स्वर्ग की प्राप्ति के लिए बैकुंठ चतुर्दशी पर ऐसे करें भगवान शिव और विष्णु जी की आराधना
02:49 PM Nov 04, 2025 IST | Khushi Srivastava
Vaikuntha Chaturdashi Puja Vidhi: सनातन धर्म में बैकुंठ चतुर्दशी का विशेष स्थान है। इस दिन सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु और भगवान शिव दोनों की एक साथ पूजा की जाती है। वर्ष भर में यही एकमात्र अवसर होता है जब इन दो महान देवताओं की एकसाथ पूजा की जाती है। मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन श्रद्धा और विधिविधान से पूजा व व्रत करता है, उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है और जीवन के समस्त दुखों से मुक्ति मिलती है।
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Vaikuntha Chaturdashi 2025: कब है बैकुंठ चतुर्दशी?
हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि 03 नवंबर, सोमवार की रात 2:05 से शुरू होगी, जो मंगलवार, 4 नवंबर की रात 10:36 तक रहेगी। हालांकि बैकुंठ चतुर्दशी के दिन पूजन रात के समय होता है इसलिए बैकुंठ चतुर्दशी से संबंधित पूजा और उपाय 4 नवंबर को किए जाएंगे।
Vaikuntha Chaturdashi Puja Samagri: बैकुंठ चतुर्दशी के लिए नोट करें पूजन सामग्री
पूजा के लिए सामग्री नोट करें- साफ कपड़ा, कमल के फूल, तुलसी पत्ते और बेलपत्र, घी, दीपक, धूप, गंगाजल, पंचामृत, मीठे में खीर या मिठाई, फल, अक्षत और रोली।
Vaikuntha Chaturdashi Puja Vidhi: बैकुंठ चतुर्दशी पर ऐसे करें पूजन
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें। मंदिर या घर के पूजा स्थल को साफ करें और गंगाजल का छिड़काव करें। मंदिर में भगवान भोलेनाथ और भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। दोनों देवताओं की पूजा करें। विष्णु जी को तुलसी के पत्ते अर्पित करें और भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाएं। अंत में आरती करें और मीठे से भोग लगाएं।
साथ ही विष्णु जी के मंत्र- "ॐ नमो नारायणाय नमः" और शिव जी का मंत्र- "ॐ नमः शिवाय" का जाप करें। इस दिन घर के बाहर दीपक जरूर जलाएं, ऐसा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
Vaikuntha Chaturdashi Mahatva: दुख-कष्टों का निवारण और कुंडली दोष मुक्ति
बैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान भोलेनाथ और भगवान विष्णु की पूजा एक-साथ की जाती है, इसलिए इस दिन का खास महत्व है। माना जाता है कि इस दिन दोनों देवताओं की पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहती है। इस दिन अगर व्यक्ति अगर पूरे श्रद्धा भाव से पूजा करता है तो उसके समस्त कष्ट दूर होते हैं, साथ ही जन्म कुंडली के दोषों का निवारण भी होता है।
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Vaikuntha Chaturdashi Vrat Katha: बैकुंठ चतुर्दशी की पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार की बात है भगवान विष्णु, भगवान शिव की आराधना करने के लिए काशी आए। गंगा स्नान के बाद उन्होंने निश्चय किया कि वे भगवान शिव को एक हजार स्वर्ण कमल पुष्प अर्पित करेंगे। पूजा के दौरान उन्होंने देखा कि एक फूल कम है। कहा जाता है कि भगवान शिव ने विष्णुजी की भक्ति की परीक्षा लेने के लिए एक कमल छिपा लिया था। जब फूल कम पड़ा, तो आगे पढ़ें...
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