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"जब भोलेनाथ ने लिया भगवान विष्णु की भक्ति का इम्तिहान", जानें बैकुंठ चतुर्दशी की अनसुनी कथाएं

02:57 PM Nov 03, 2025 IST | Khushi Srivastava
Vaikuntha Chaturdashi Vrat Katha (Photo: AI Generated)
Vaikuntha Chaturdashi Vrat Katha: सनातन धर्म में बैकुंठ चतुर्दशी का विशेष स्थान है। इस दिन सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु और भगवान शिव दोनों की एक साथ पूजा की जाती है। वर्ष भर में यही एकमात्र अवसर होता है जब इन दो महान देवताओं की एकसाथ पूजा की जाती है। मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन श्रद्धा और विधिविधान से पूजा व व्रत करता है, उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है और जीवन के समस्त दुखों से मुक्ति मिलती है।
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Vaikuntha Chaturdashi Date: 2025 में कब है बैकुंठ चतुर्दशी?

हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि 03 नवंबर, सोमवार की रात 2:05 से शुरू होगी, जो मंगलवार, 4 नवंबर की रात 10:36 तक रहेगी। हालांकि बैकुंठ चतुर्दशी के दिन पूजन रात के समय होता है इसलिए बैकुंठ चतुर्दशी से संबंधित पूजा और उपाय 4 नवंबर को किए जाएंगे।
धार्मिक ग्रंथों में बैकुंठ चतुर्दशी के एक नहीं बल्कि दो कथाओं का वर्णन किया गया है। ऐसे में आइए उन दोनों कथाओं के बरे में विस्तार से जानें।

Vaikuntha Chaturdashi Vrat Katha: "जब भोलेनाथ को नेत्र अर्पित करने चले भगवान विष्णु"

Vaikuntha Chaturdashi Vrat Katha (Photo: AI Generated)

बैकुंठ चतुर्दशी की पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार की बात है भगवान विष्णु, भगवान शिव की आराधना करने के लिए काशी आए। गंगा स्नान के बाद उन्होंने निश्चय किया कि वे भगवान शिव को एक हजार स्वर्ण कमल पुष्प अर्पित करेंगे। पूजा के दौरान उन्होंने देखा कि एक फूल कम है। कहा जाता है कि भगवान शिव ने विष्णुजी की भक्ति की परीक्षा लेने के लिए एक कमल छिपा लिया था।

जब फूल कम पड़ा, तो भगवान विष्णु ने निश्चय किया कि वे अपनी एक आंख, जिसे कमल नेत्र कहा जाता है, अर्पित कर देंगे। जैसे ही वे ऐसा करने वाले थे, भगवान शिव प्रकट हुए और उन्हें ऐसा करने से रोका। भगवान विष्णु की सच्ची भक्ति देखकर भोलेनाथ अत्यंत प्रसन्न हुए और उन्हें सुदर्शन चक्र का वरदान दिया। शिवजी ने यह भी कहा कि जो भक्त इस पवित्र तिथि पर भगवान विष्णु की आराधना करेगा, वह सीधे बैकुंठ धाम को प्राप्त करेगा। तभी से बैकुंठ चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है।

Vaikuntha Chaturdashi Ki Kahani: "नारद मुनि का प्रश्न और मोक्ष का द्वार" दूसरी व्रत कथा

Vaikuntha Chaturdashi Ki Kahani (Photo: AI Generated)

एक अन्य कथा के अनुसार, एक बार नारद जी पृथ्वी लोक से होकर बैकुंठ धाम पहुंचे। भगवान विष्णु ने उनका स्वागत किया और आने का कारण पूछा। नारद जी बोले – "हे प्रभु, आपने कृपानिधान नाम धारण किया है, परंतु आपकी कृपा केवल कुछ भक्तों पर होती है। साधारण मनुष्य आपकी भक्ति के बावजूद मुक्ति से वंचित रह जाते हैं। कृपया कोई ऐसा उपाय बताएं जिससे सामान्य लोग भी आपकी भक्ति से मोक्ष प्राप्त कर सकें।"

नारद जी की बात सुनकर भगवान विष्णु बोले – "हे नारद, कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को जो भी स्त्री या पुरुष श्रद्धापूर्वक व्रत रखेगा और मेरी पूजा करेगा, उसके लिए स्वर्ग के द्वार स्वयं खुल जाएंगे।" इसके बाद भगवान विष्णु ने अपने द्वारपाल जय-विजय को आदेश दिया कि वे इस दिन स्वर्ग के द्वार खुले रखें। उन्होंने कहा कि जो भक्त मेरे नाम का स्मरण कर पूजा करेगा, उसे बैकुंठ धाम की प्राप्ति अवश्य होगी।

Vaikuntha Chaturdashi Mahatva: दुख-कष्टों का निवारण और कुंडली दोष मुक्ति

बैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान भोलेनाथ और भगवान विष्णु की पूजा एक-साथ की जाती है, इसलिए इस दिन का खास महत्व है। माना जाता है कि इस दिन दोनों देवताओं की पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहती है। इस दिन अगर व्यक्ति अगर पूरे श्रद्धा भाव से पूजा करता है तो उसके समस्त कष्ट दूर होते हैं, साथ ही जन्म कुंडली के दोषों का निवारण भी होता है।

यह भी पढ़ें- Dev Deepawali 2025 Upay: देव दीपावली पर बाधाओं से मुक्ति के लिए करें 5 चमत्कारी उपाय, दूर करें राहु-केतु, गुरु और शनि दोष

इस साल कार्तिक पूर्णिमा 5 नवंबर को है। ऐसे में इसी दिन देव दीपावली का पर्व भी मनाया जाएगा। देव दीपावली के दिन कुछ खास उपाय करके आप अपने ग्रह दोषों को दूर कर सकते हैं। तो आइए इनके बारे में विस्तार से जानते हैं, आगे पढ़ें...

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