वैशाख पूर्णिमा: धर्म-पुण्य का विशेष मास
वैशाख पूर्णिमा: दान-पुण्य से मिलता है द्विगुणित फल
वैशाख पूर्णिमा सनातन धर्म में विशेष महत्व रखती है। स्कंद पुराण के अनुसार, इस दिन दान-पुण्य का विशेष फल मिलता है। माना जाता है कि धर्मराज की पूजा से अकाल मृत्यु से मुक्ति मिलती है। वैशाख मास में सभी देवता जल में निवास करते हैं, इसलिए सूर्योदय से पहले स्नान और दान-पुण्य के कार्यों से व्यक्ति के पूर्व जन्म के पाप नष्ट होते हैं।
वैसे तो भारतीय विक्रम संवत् में चन्द्र की गति के अनुसार कुल 12 पूर्णिमाएं आती है। हालांकि यह एक स्थूल आकलन है। क्योंकि जिस वर्ष क्षय मास होता है उस वर्ष 11 पूर्णिमाएं ही आयेंगी। और इसी प्रकार से जिस वर्ष में अधिक मास होता है, तो 13 पूर्णिमाएं आती है। हालांकि क्षय और अधिक मासों को छोड़ दिया जाए तो एक चन्द्र वर्ष में स्वाभाविक तौर पर 12 पूर्णिमाएं हीं आयेंगी। वैसे तो इन सभी पूर्णिमाओं का अपना कुछ न कुछ धार्मिक महत्व होता है, लेकिन वैशाख पूर्णिमा कुछ मान्यताओं को लेकर विशेष महत्वपूर्ण हो जाती है। वैशाख पूर्णिमा को हमारे सनातन धर्म में कुछ खास कार्यों के लिए जाना जाता है। स्कंद पुराण में वैशाख मास को सबसे श्रेष्ठ मास की संज्ञा दी गई है। खासतौर पर दान-पुण्य के संदर्भ में इसको खास मान्यता है। माना जाता है कि वैशाख पूर्णिमा के दिन दान करने से दान का द्विगुणित फल प्राप्त होते हैं। पेयजल सेवा के संदर्भ में यह पूर्णिमा लोगों में लोकप्रिय है।
एक अन्य मान्यता के अनुसार वैशाख पूर्णिमा को धर्मराज की पूजा का विधान भी बताया गया है। माना जाता है कि इस दिन धर्मराज की पूजा, ध्यान और मनन करने से अकाल मृत्यु से छुटकारा मिलता है। जो लोग स्वास्थ्य की दृष्टि से कष्ट में हैं उन्हें जरूर भगवान धर्मराज की पूजा-अर्चना करनी चाहिए।
सभी देवता करते हैं जल में निवास
माना जाता है कि वैशाख मास में सभी देवता जल में निवास करते हैं इसलिए इस मास में सूर्योदय से पहले स्नान करने और दान पुण्य करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि पूरे वैशाख मास में सूर्योदय से पूर्व स्नान और भगवान श्रीविष्णु के ध्यान और दान करने से बैकुंठ की प्राप्ति होती है। व्यक्ति के पूर्व जन्म के पाप नष्ट हो जाते हैं। आम बोलचाल की भाषा में इसे वैशाख स्नान कहा जाता है जो कि लगभग 30 दिनों की अवधि तक चलता है। इस वर्ष चैत्र शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा, शनिवार संवत् 2082 तद्नुसार अंग्रेजी दिनांक 12 अपै्रल 2025 से वैशाख स्नान आरम्भ होंगे और वैशाख शुक्ल पक्ष, पूर्णिमा संवत् 2082, सोमवार तद्नुसार अंग्रेजी दिनांक 12 मई 2025 को पूर्ण होंगे। भगवान श्रीविष्ण की कृपा चाहने वालों को जरूर ये उपक्रम करना चाहिए।
भगवान श्रीविष्णु का प्रिय मास है वैशाख
मान्यता है कि यह मास भगवान श्रीविष्णु को विशेष प्रिय है। इसलिए इस मास में भगवान की पूजा अर्चना से विशेष सिद्धि और इच्छाओं की पूर्ति होती है। गीता में भगवान ने कहा है कि वृक्षों में मेरा निवास पीपल है। इसलिए इस मास में पीपल की पूजा, भगवान श्रीविष्णु की पूजा मानी गई है। इस पूरे मास में संध्या के समय पीपल के नीचे दीपक जलाने से कर्ज मुक्ति होती है। यश और मान की प्राप्ति होती है। यदि नौकरी छूट गई है या फिर बिजनेस नहीं चल रहा है तो निश्चित तौर लाभ होता है। मान्यता है कि इस मास में पीपल की पूजा से पूर्व जन्म के पाप नष्ट हो जाते हैं इसलिए भाग्य का साथ मिलता है।
सत्यविनायक पूर्णिमा
पुराणों में कहा गया है कि भगवान श्रीकृष्ण के बचपन के सखा सुदामा जब द्वारिका में श्रीकृष्ण से मिलने पहुंचे तो उनकी दरिद्रता देख कर भगवान का मन द्रवित हो गया। उन्होंने सुदामा को सत्यविनायक अर्थात् वैशाख पूर्णिमा के व्रत के विषय में बताया। कहा जाता है कि इस व्रत को करने भर से ही सुदामा की दरिद्रता नष्ट हो गई। इसलिए जो लोग धन से पीड़ित हैं उन्हें अवश्य ही वैशाख पूर्णिमा का व्रत रखना चाहिए।
भगवान बुद्ध जयन्ती
मान्यता है कि इस दिन भगवान श्री विष्णु ने बुद्ध अवतार लिया था। इसलिए वैशाख पूर्णिमा पर बौद्ध धर्म के अनुयायी इसे एक पर्व के तौर पर मनाते आये हैं। बौद्ध धर्म में इस दिन उत्सव और त्योहार का माहौल रहता है। साथ ही यह भी मान्यता है कि वैशाख पूर्णिमा को ही गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे गौतम से बुद्ध बने। साथ ही बुद्ध को महानिर्वाण भी वैशाख पूर्णिमा को हुआ था। इसलिए इन तीन कारणों से बौद्ध धर्म में वैशाख पूर्णिमा का निर्विवाद रूप से विशेष महत्व है। इस दिन बौद्ध धर्म के अनुयायी भगवान बुद्ध की विशेष पूजा का आयोजन करते हैं।
कब है वैशाख पूर्णिमा
चन्द्र मास की गणना के अनुसार वैशाख शुक्ल पक्ष, पूर्णिमा संवत् 2082, सोमवार तद्नुसार अंग्रेजी दिनांक 12 मई 2025 को है। वैशाख पूर्णिमा इस दिन रात्रि 10 बजकर 25 मिनट तक रहेगी। किसी भी तिथि की क्षमता तिथि के आरम्भ होने के 15 घड़ी तक अधिक रहती है इसलिए सूर्योदय के बाद लगभग दोपहर 12 बजे तक दान पुण्य का विशेष महत्व है। वैशाख मास में लोगों को पानी पिलाना, गर्मी के राहत के लिए छाते आदि का दान और गो-सेवा को विशेष फलदायी माना गया है।