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ज्ञानवापी मस्जिद मामले में आज नहीं आएगा कोर्ट का फैसला, जानें क्यों?

उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद मामले में आज वाराणसी की एक फास्ट ट्रैक कोर्ट का फैसला नहीं आएगा। जज के छुट्टी पर होने के चलते मामले में अगली सुनवाई के लिए 14 नवंबर की तारीख दी गई है।

01:16 PM Nov 08, 2022 IST | Desk Team

उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद मामले में आज वाराणसी की एक फास्ट ट्रैक कोर्ट का फैसला नहीं आएगा। जज के छुट्टी पर होने के चलते मामले में अगली सुनवाई के लिए 14 नवंबर की तारीख दी गई है।

उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद मामले में आज वाराणसी की एक फास्ट ट्रैक कोर्ट का फैसला नहीं आएगा। जज के छुट्टी पर होने के चलते मामले में अगली सुनवाई के लिए 14 नवंबर की तारीख दी गई है। याचिका में मस्जिद के परिसर में पाए गए कथित शिवलिंग की पूजा करने की अनुमति मांगी गई है।
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हिंदू पक्ष के वकील अनुपम द्विवेदी ने बताया कि ज्ञानवापी मस्जिद मामले में आज जो आदेश आना था वो जज साहब की छुट्टी पर होने की वजह से नहीं आ पाया। अगली तारीख 14 नवंबर की दी गई है। हम उम्मीद करते हैं कि उस दिन आदेश आ जाएगा।
याचिका में शिवलिंग की पूजा-अर्चना की मांग
किरन सिंह बिसेन द्वारा दायर याचिका में वजूखाने में मिले कथित भगवान आदि विश्वेश्वर के स्वयंभू ज्योतिर्लिंग की पूजा-अर्चना शुरू करवाने, पूरा ज्ञानवापी परिसर हिंदुओं को सौंपा जाए और वहां मुस्लिमों का प्रवेश प्रतिबंधित करने की मांग की गई। इस मांग को मसजिद कमेटी ने चुनौती दी है। उसने ऑर्डर 7 रूल 11 के तहत केस पर सवाल उठाया है।
कोर्ट ने इस मामले में 27 अक्टूबर को दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने क बाद फैसला सुरक्षित कर लिया था। आज इसपर फैसला आना था कि हिंदू वादी का केस चलने लायक है या नहीं। अगर कोर्ट का फैसला किरन सिंह बिसेन के पक्ष में आता है, तो मसजिद कमेटी इसे हाईकोर्ट में चुनौती दे सकेगी। ज्ञानवापी मस्जिद के बारे में हिंदू पक्ष का दावा है कि मुगल बादशाह औरंगजेब के आदेश पर यहां पहले बने आदि विश्वेश्वर के भव्य मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया था। हिंदू पक्ष के मुताबिक यहां मंदिर की दीवारों पर ही मस्जिद बना दी गई।
कोर्ट के आदेश पर हुआ था सर्वे 
मस्जिद में कोर्ट के आदेश पर सर्वे भी हुआ था। सर्वे से पता चला था कि मस्जिद में कई जगह हिंदू देवी-देवता और प्रतीक चिन्ह हैं। मस्जिद के गुंबदों के भीतर भी पिरामिड जैसे पुराने गुंबद होने की जानकारी मिली थी। साथ ही वजूखाने में शिवलिंग जैसी आकृति भी सर्वे के दौरान पता चली थी। हिंदू इसे भगवान विश्वेश्वर का ज्योतिर्लिंग बता रहे हैं। वहीं, मस्जिद कमेटी इसे फव्वारा कह रही है।

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