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Vastu Tips : जाने वे कौन से वास्तु दोष हैं जो कर सकते हैं धन की कमी

धन की कमी का कारण बन सकते हैं ये वास्तु दोष

11:39 AM Jan 13, 2025 IST | Astrologer Satyanarayan Jangid

धन की कमी का कारण बन सकते हैं ये वास्तु दोष

vastu tips   जाने वे कौन से वास्तु दोष हैं जो कर सकते हैं धन की कमी

वास्तु शास्त्र, पंच तत्त्वों पर आधारित एक वैदिक विज्ञान है। यदि आप इसकी गहराई में जाएंगे तो निश्चित तौर पर इसके वैज्ञानिक स्वरूप को देख कर चकित रह सकते हैं। वास्तु दरअसल निर्माण की कला है। जो कि हमारे जीवन को सरल और परेशानियों से मुक्ति दिलाने का काम करती है। जब आप अपना घर वास्तु के विपरीत बनाते हैं तब भी उतना ही खर्च करना पड़ता है जितना की वास्तु के अनुसार घर बनाने में होता है। इसलिए प्रैक्टिकल तौर पर देखा जाए तो वास्तु के अनुसार घर बनाना अधिक व्यावहारिक दिखाई देता है। इसमें आप उन हजारों वर्षों की परम्पराओं का लाभ ले सकते हैं जो कि हमारे पूर्वजों ने हमारे लिए एजाज की हैं।

वास्तु एक सरल लेकिन चमत्कारी विद्या है। इसे आप अपने किसी भी परिसर फिर वह चाहे घर हो या फिर व्यवसायिक परिसर, सभी में लागू कर सकते हैं। जैसे जैसे समय व्यतीत होता है वैसे वैसे ही इसके शुभ परिणाम मिलने लगते हैं। जीवन में उन्नति के नये मार्ग दिखाई देेते हैं। लेकिन जब घर वास्तु के विपरीत हो तो बहुत सी समस्याएं आने लगती हैं। लोगों में आपकी प्रतिष्ठा धूमिल हो जाती है। बहुत मेहनत के बावजूद भी परिणाम जीरो आता है और घर-परिवार में मांगलिक काम रुक जाते हैं। इसके पीछे वे वास्तु दोष होते हैं जो कि बहुत गंभीर किस्म के हो। मैं यहां उन्हीं महत्वपूर्ण वास्तु दोषों की सरल भाषा में व्याख्या करें जो कि धन के मामले में आपको दूसरों से पीछे रखते हैं। यदि आपने इन दोषों को दूर कर लिया तो निश्चित रूप से एक निश्चित समय में सफलता आपके कदम चूमेगी।

आपको किन दोषों को दूर करना चाहिए

यदि आपको धन संबंधी परेशानी है तो सर्व प्रथम आपको अग्नि कोण अर्थात दक्षिण-पूर्व दिशा को देखना चाहिए। आमतौर पर जब दक्षिण-पूर्व में वास्तु दोष हो तो धन की कमी होती है। दक्षिण-पूर्व में रसोई होनी चाहिए। या अग्नि संबंधी कोई लक्षण होने चाहिए। लेकिन यहां पर पानी सबंधी कोई निर्माण नहीं होना चाहिए। हालांकि दक्षिण-पूर्व में किचन सबसे उत्तम निर्माण है लेकिन किचन यदि संभव नहीं हो तो वहां पर बेडरूम या गेस्ट रूम भी बनाया जा सकता है लेकिन कभी भी टाॅयलेट, बाथरूम, अण्डरग्राउंड वाटरटैंक, बेसमेन्ट जैसा निर्माण नहीं होना चाहिए। यदि इस प्रकार के दोश हों तो उनको तत्काल दूर करना चाहिए।

उत्तर-पूर्व में पानी का स्थान होना शुभ होता है यदि यहां पर किचन, टाॅयलेट, सीढ़ियां, स्टोररूम या कबाड़घर जैसा कुछ बना हुआ हो तो घर में मांगलिक कामों में कमी आती है। बुद्धि ठीक से काम नहीं करती है। जो भी फैसला लेते हैं वह उल्टा हो जाता है। बिजनेस में पर्याप्त उन्नति नहीं होती है। लोगों के साथ संपर्कोें में खटास आती है। यदि आप राजनीति जैसे क्षेत्र में हों तो सफलता मिलने में अनेक बाधाएं आती हैं। यदि आपको जीवन में सफलता और समृद्धि चाहिए तो इन दोषों को दूर करना चाहिए।

घर का मध्य भाग ब्रह्म स्थान कहा जाता है। ब्रह्म स्थान पर कोई भी अशुभ निर्माण नहीं होना चाहिए। यदि यहां पर अशुभ निर्माण होता है तो बुद्धि भ्रम पैदा हो जाता है। समाज में प्रतिष्ठा में कमी आती है। बदनामी हो सकती है। उधार दिया गया धन समय पर नहीं मिलता है। केवल ब्रह्म पर ही बेसमेंट हो तो घर का स्वामी कंगाल हो जाता है।

अशुभ और धन को नष्ट करने वाले वास्तु दोषों की फेहरिस्त में मुख्य द्वार का गलत स्थान पर होना भी है। जब मुख्य द्वार किसी असुर के स्थान पर आ जाए तो घर में नित-नए विवाद होते हैं। घर में कोई शुभ ऊर्जा प्रवेश नहीं कर पाती है। घर में गलत लोगों का प्रवेश होने लगता है। घर का कोई सदस्य बुरी आदतों का शिकार हो सकता है। इसलिए मुख्य द्वार के वास्तु दोश को तत्काल प्रभाव से दूर करना चाहिए। इस दोष को दूर करने के लिए दिशाओं का विशेष महत्व है इसलिए किसी अनुभवी वास्तु शास्त्री से सलाह जरूर करनी चाहिए।

यदि आप किसी बहुत पुराने घर में जैसे हवेली आदि में रह रहे हैं तो यह स्वयं में एक बड़ा वास्तु दोष है। देखा जाता है कि निर्माण जब बहुत पुराना हो जाता है तो उसमें उर्जा का अभाव हो जाता है। इस तरह के भवन में रहने से उन्नति की संभावना बहुत कम होती है।

यदि दक्षिण-पष्चिम भाग में बेसमेंट है तो यह बुरी आदतों के कारण बड़ा नुकसान कर सकता है। यहां बने हुए बेसमेन्ट को तुरन्त बंद करवाना चाहिए। अन्यथा आपको घर छोड़ना पड़ सकता है।

जब धर्मशाला, स्कूल, काॅलेज, फैक्टरी, मंदिर या हाॅस्टल जैसी किसी विशाल इमारत से सट कर दक्षिण या पश्चिम दिशा में घर बना हो तो उसमें तरक्की होने की बहुत कम संभावना होती है। इस तरह के घर को छोड़ देना ही बेहतर होता है। इस तरह के घर में रहकर आप बार-बार उपर उठने का प्रयास करते हैं लेकिन सफलता नहीं मिलती है। इस तरह के घर में यदि वास्तु दोष भी हो तो स्थिति ज्यादा गंभीर हो सकती है।

जिस प्लाॅट में घर बना हुआ है उस प्लाॅट का उत्तर-पूर्व या दक्षिण-पूर्व कोण यदि कटा हुआ है तो यह बड़ा वास्तु दोष होता है। इस तरह के दोष के कारण मैनेजमेन्ट या धन की कमी के कारण बिजनेस में बंद हो सकता है। यदि ईशान कोण में दोष हो तो कर्ज की समस्या भी बनी रह सकती है। इसके निवारण के लिए कटे हुए भाग को भूखण्ड से अलग कर देना चाहिए। लेकिन वास्तव में यह दोष है या नहीं इसको समझने के लिए कम्पास का प्रयोग करें।

यदि भूखण्ड बड़ा हो और इमारत बहुत कम जगह में बनी हुई हो तो ऐसे घर में वास्तु दोष होता है। इस दोष को दूर करने के लिए भूखण्ड को दो भागों में बांट देना चाहिए। इससे भूखण्ड का दोष नष्ट हो जाता है। जब आपको बड़ा मकान बनाना हो तो उस भूखण्ड को पुनः मुख्य भूखण्ड में समाहित कर सकते हैं।

यदि आप किसी आवासीय इमारत के फ्लैट में रहते हैं तो उसका मुख्य द्वार कभी भी दक्षिण-पश्चिम कोण में नहीं होना चाहिए। यदि ऐसा होगा तो इस तरह के घर में हर्षोल्लास का वातावरण नहीं रह पाएगा। हमेशा एक सन्नाटा सा बना रहेगा। घर के लोग एक दूसरे से कटे हुए रहेंगे। फ्लैट का चुनाव करते समय इस तरह की बातों को विषेश ध्यान में रखना चाहिए। सबसे बड़ी बात यह है कि जब हमें फ्लैट खरीदना हो तो हमें अपनी पसंद का फ्लैट चुनने की आजादी होती है।

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Astrologer Satyanarayan Jangid

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