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पूजा घर में भूलकर भी ये सात गलतियां नहीं करनी चाहिए, वर्ना होगा दैवीय प्रकोप

भारत की वैदिक संस्कृति में पाठ-पूजा का खास महत्व बताया गया है। ईश्वर की भक्ति पूजा-पाठ से की जाती है ताकि उनकी कृपा हम पर हमेशा बनी रहे। शास्‍त्रों में कई नियम पूजा-पाठ

12:20 PM Jan 29, 2020 IST | Desk Team

भारत की वैदिक संस्कृति में पाठ-पूजा का खास महत्व बताया गया है। ईश्वर की भक्ति पूजा-पाठ से की जाती है ताकि उनकी कृपा हम पर हमेशा बनी रहे। शास्‍त्रों में कई नियम पूजा-पाठ

भारत की वैदिक संस्कृति में पाठ-पूजा का खास महत्व बताया गया है। ईश्वर की भक्ति पूजा-पाठ से की जाती है ताकि उनकी कृपा हम पर हमेशा बनी रहे। शास्‍त्रों में कई नियम पूजा-पाठ के देवी-देवताओं की आराधना के लिए बताए गए हैं। इन्हीं के माध्यम से व्यक्ति ईश्वर की कृपा प्राप्त करता है। जो लोग सनातन परंपरा को मानते हैं उनके घरों में मंदिर जरूर होता है। साथ ही रोजाना वह अपने मंदिर में ईश्वर की पूजा भी करते हैं। 
लोग अपने घर के मंदिर में अलग-अलग देवी देवताओं की मूतियां या तस्वीरें रखते हैं साथ ही वह प्रार्थना करते हैं कि उन्हें घर में सुख-शांति हमेशा बनी रहे। लेकिन लोगों से कई बार जाने या अनजाने कुछ गलतियां हो जाती हैं जिसकी वजह से उन्हें उनकी पूजा का फल प्राप्त नहीं होता है। चलिए आपको इन गलतियों के बारे में बताते हैं।
कई लोग पूजा स्‍थान अपने शयन कक्ष में ही बनाते हैं। लेकिन यह वास्तु शास्‍त्र के मुताबिक बिल्कुल गलत है। कभी भी पूजा घर शयन कक्ष में नहीं बनाना चाहिए। ऐसा होने से व्यक्ति के पारिवारिक जीवन में संबंध अच्छे नहीं होते।
घर में ही मंदिर बनाने की परंपरा आजकल बनती जा रही है। हालांकि वास्तु शास्‍त्र में कहा गया है कि पूजा का स्‍थान घर में विभिन्न होना चाहिए। वास्तु शास्‍त्र में मंदिर घर के अंदर खुले स्‍थान पर माना गया है। 
कई बार लोग जब कहीं छुट्टियां मनाने या किसी काम से बाहर जाते हैं तो वह अपने घर के साथ-साथ पूूजा घर को भी बंद कर जाते हैं। वास्तु शास्‍त्र में बताया गया है कि जब आप अपने घर के मंदिर में देवी-देवताओं की स्‍थापना करते हैं तो हमेशा यही प्रयास करें कि उनकी पूजा नियमित रूप से हो। अगर आप घर में ताला लगा रहे हैं तो पूजा घर में ताला ना लगाएं। 
कभी भी पुराने फूल, माला, अगरबत्तियां पूजा घर में जमा करके ना रखें। ऐसा करने से घर में नकारात्मक ऊर्जा पैदा होती है और खुशियां और आय भी कम होने का खतरा हो जाता है। 
वास्तुशास्‍त्र के मुताबिक शौचालय और स्नान गृह की दीवारों से पूजा घर की दीवारें अलग हों।
पूजा घर रसोई घर के साथ भी नहीं बनाना चाहिए। ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि रसोई घर में जूठन और डस्टबीन यह चीजें होती हैं जो कि पूजा घर की पवित्रता को नष्ट करती हैं। 
पूजा घर भूल से भी घर में सीढ़ी के नीचे ना बनाएं।
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