Vastu Tips: गलत स्थान पर बनी हुई सीढ़ियां बना सकती है आपको कर्जग्रस्त
राहु के प्रभाव से जीवन में नकारात्मकता ला सकती हैं सीढ़ियां
वास्तु शास्त्र के अनुसार, सीढ़ियों का गलत स्थान पर निर्माण व्यक्ति को आर्थिक संकट में डाल सकता है। ईशान कोण में उत्तरी दिशा की सीढ़ियां विशेष रूप से अशुभ मानी जाती हैं। राहु के प्रभाव के कारण ऐसी सीढ़ियां जीवन में नकारात्मक बदलाव ला सकती हैं। इस समस्या को दूर करने के लिए राहु की शांति आवश्यक है।
सुविधा और सुरक्षा दोनों ही दृष्टियों से किसी भी इमारत में सीढ़ियों का होना अनिवार्य हैं। सीढ़ियों के बिना किसी भवन की कल्पना करना संभव नहीं है। यदि आपका मकान एक मंजिला है और आपने स्थान की कमी के कारण डिजायन में सीढ़ियों को नहीं रखा है तो भी आपको लकड़ी या लोहे से बनी हुई अस्थायी सीढ़ियां तो रखनी ही होगी। शायद आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि संसार की सबसे उंची बिल्डिंग दुबई की बुर्ज खलीफा में भी सीढ़ियां है। क्योंकि आमतौर किसी भी इमारत में सीढ़ियों का होना जरूरी है। भले ही आप लिफ्ट लगाएं या ना लगाएं परन्तु सीढ़ियां होनी जरूरी है। क्योंकि किसी भी आपात स्थिति में जब लिफ्ट और एलिवेटर जैसे सिस्टम काम नहीं करते हैं तो लोगों की सुरक्षा के लिए सीढ़ियां ही काम आती हैं। यही कारण है कि कम से कम पांच हजार ईसा पूर्व में भी सीढ़ियों की संरचना लक्षण प्राप्त होते हैं। जैसे सिंधु घाटी सभ्यता में भी सीढ़ियों के सिम्टम्स प्राप्त होते हैं। माना जाता है कि जैसे ही मनुष्य ने अपने मकान पर पक्की छत की कल्पना की वैसे ही उसे सीढ़ियों आवश्यकता अनुभव हुई होगी। जैसे जैसे मानव इतिहास के क्रम में निर्माण कला का विकास हुआ वैसे ही सीढ़ियों के विकास की परिकल्पना भी सामानान्तर चलती रही और वर्तमान में सीढ़ियों अपने कई रूपों में हमारे सामने हैं।
राहु का प्रतीक हैं सीढ़ियां
उस स्थिति में ईशान कोण की सीढ़ियां ज्यादा अशुभ होती हैं जब कि वे ईशान कोण में उत्तर-उत्तर पूर्व में हो। सीढ़ियां राहु का प्रतीक हैं लेकिन जब हमें प्रश्न कुंडली के आधार पर सीढ़ियों की दिशा का आकलन करना हो तो राहु को नहीं देखना चाहिए। उस स्थिति में राहु सीढ़ियांे का प्रतिनिधित्व नहीं करता है। लेकिन जब घर या किसी इमारत में सीढ़ियों की शुभाशुभ स्थिति या परिणाम देखना हो तो राहु के प्रभाव जरूर दृष्टिगोचर होते हैं। राहु और मंगल में किसी भी वस्तुस्थिति को नष्ट करने का अवगुण होता है। खासकर यदि जन्म कुंडली में इन दोनों ग्रहों पर शुभ प्रभाव न हो गलत स्थान पर बनी हुई सीढ़ियां व्यक्ति के जीवन को पूरी तरह से बर्बाद करने में सक्षम है। मैंने बहुत से घरों के अवलोकन में अनुभव किया है कि जब सीढ़ियां उत्तरी ईशान कोण या ब्रह्म स्थान पर आ रही हो तो घर स्वामी आत्मघाती फैसले लेकर अपने जीवन को स्वयं ही नरक बना लेता है। इसलिए जब सीढ़ियां गलत हो तो उन्हें हटा देने के अलावा राहु की शान्ति भी आवश्यक है। क्योंकि किसी भी वास्तु दोष को हटा देने के बावजूद भी उसका नकारात्मक फल बहुत जल्द नष्ट नहीं होता है। लेकिन राहु की शान्ति करवाने से हटाये गये वास्तु दोष के प्रभाव तत्काल खत्म हो जाते हैं।
सीढ़ियों के बारे में क्या कहता है वास्तु
वास्तु में सरल और उन्नतिशील जीवन के लिए अनेकानेक निर्देश प्राप्त होते हैं। इसलिए सीढ़ियों के बारे में में भी शुभाशुभ स्थिति निर्धारित है। वैदिक वास्तु में सीधे तौर पर सीढ़ियों के लिए दक्षिण या पश्चिम दिशा को शुभ माना है। इन दिशाओं के अलावा यदि कहीं पर सीढ़ियां हों तो वे कम या ज्यादा अशुभ हो सकती हैं। जैसे यदि सीढ़ियां पूर्व दिशा में हो लेकिन ईशान कोण में नहीं हो तो उनका अशुभ प्रभाव कुछ कम होता है। लेकिन ईशान कोण में सीढ़ियां सबसे ज्यादा खराब मानी जाती है। हालांकि दक्षिण दिशा में सीढ़ियों का होना शुभ माना जाता है लेकिन दक्षिण दिशा में गृहक्षत के स्थान पर सीढ़िया बना देने से परेशानी आती है। इस लिए इस देवता के स्थान पर सीढ़ियां नहीं होनी चाहिए। इसी प्रकार से पश्चिम दिशा में सीढ़ियों का बनाया जाना शुभ होता लेकिन पश्चिम दिशा में सुग्रीव, पुष्पदंत और वरूण देवताओं के स्थान पर सीढ़ियों का होना अशुभ होता है इसके अलावा दूसरे स्थानों पर पश्चिम दिशा में सीढ़ियां बना सकते हैं। सीढ़ियों की शुभता को देखने का एक तरीका यह भी है कि सीढ़ियों की बनावट कुछ इस प्रकार से होनी चाहिए कि जब हम सीढ़ियों पर चढ़े तो हमारा चेहरा दक्षिण या पश्चिम दिशा की तरफ हो।
सीढ़ियों के घूमने का सही फार्मूला क्या है
सीढ़ियों के बारे में प्रमुख दो घटक हैं। पहला है कि सीढ़ियां कहां होनी चाहिए और दूसरा है कि सीढ़ियों का घुमाव किस तरह होना चाहिए। सीढ़ियों के घुमाव का एक सरल सा फार्मूला है कि सीढ़ियां हमेशा घड़ी की सुइयों की तरह घूमनी चाहिए। मतलब है कि क्लॉक वाइज होनी चाहिए। कुछ वास्तु विशेषज्ञ यह समझते हैं कि जब सीढ़ियां उत्तर या पूर्व दिशा में बनाना हो तो उनके घुमाव को एंटी क्लॉक वाईज कर देना चाहिए। इससे सीढ़ियों का वास्तु दोष दूर हो जाता है। जब कि यह पूरी तरह से भ्रामक है। सीढ़ियां चाहे वास्तु के अनुसार हो या ना हो उनका घुमाव हमेशा क्लॉक वाइज होना चाहिए। वास्तव में जब सीढ़ियां गलत जगह पर बनी हो उसके साथ ही यदि उनका घुमाव भी विपरीत हो तो यह दोहरा वास्तु दोष हो सकता है।
कितनी होनी चाहिए सीढ़ियों की संख्या
हालांकि वास्तु के स्थूल मान्यताओं के अनुसार सीढ़ियों की संख्या का कोई विशेष महत्त्व नहीं है, फिर भी कुछ मित्र इस संबंध में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं। उनके लिए बता देना चाहूंगा कि सीढ़ियों की संख्या के संबंध में एक बहुत ही सरल सा सूत्र बता रहा हूं। फार्मूला यह है कि कुल सीढ़ियों में 3 का भाग देने पर 2 शेष बचने चाहिए।
सीढ़ियों के संबंध में कुछ वास्तु टिप्स
1 – सीढ़ियों को कभी भी ब्रह्म स्थान पर नहीं होना चाहिए। जिस घर में ब्रह्म स्थान पर सीढ़ियां हों वहां शीघ्र ही सब कुछ नष्ट हो जाता है।
2 – सीढ़ियों को कभी भी घर के मुख्य द्वार या उपमुख्य द्वार के उपर से नहीं होना चाहिए। जिस कमरे के द्वार के ठीक उपर से सीढ़ियां निकल रही हो उस कमरे को कभी भी बेडरूम नहीं बनाना चाहिए। स्टोर या गेस्टरूम जैसा कुछ बनाया जा सकता है।
3 – स्टेयरकेस को हमेशा उपर से बंद रखना चाहिए।
4 – यदि सीढ़ियां वास्तु के अनुसार नहीं बनी हो तो टेम्पररी रूप से सीढ़ियों को बंद कर देना चाहिए या फिर कवर कर देना चाहिए।
5 – यदि घर में परमानेन्ट सीढ़ियां निर्माण में नहीं हो और आप टेम्पररी सीढ़ियां काम में लेते हैं तो भी इन सीढ़ियों का स्थान दक्षिण या पश्चिम दिशा में ही रखना चाहिए। यदि उत्तर या पूर्व दिशा में टेम्पररी सीढ़ियों की जरूरत हो तो काम में लेने के बाद इनको हटा देना चाहिए।