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उत्तरकाशी में मजदूरों को निकालने के लिए शुरु हुआ वर्टिकल ड्रिलिंग

06:23 PM Nov 26, 2023 IST | Divyanshu Mishra

उत्तराखंड के सिलक्यारा टनल हादसे को आज पूरे 15 दिन हो गए हैं लेकिन अभी भी रेस्क्यू टीम को कोई सफलता नहीं मिली है। बीते 3 दिनों से रेस्क्यू ऑपरेशन में लगातार कई परेशानियां आ रही हैं, जिसके चलते ड्रिलिंग का काम रुक गया है।

HIGHLIGHTS

 

अमेरिकी हैवी ऑगर मशीन पूरी तरह से क्षतिग्रस्त

शनिवार को अमेरिकी हैवी ऑगर मशीन पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई, जिसके चलते मशीन का हिस्सा टनल में फंस गया, जिसे बाहर निकालने के लिए हैदराबाद से प्लाजमा कटर मशीन बुलवाई गई, जो कल देर रात देहरादून के जौलीग्रांट एयरपोर्ट पहुंची। उसके बाद उस मशीन को रविवार को सिलक्यारा टनल पहुंचाया गया। फिर प्लाजमा कटर मशीन से कटिंग का काम शुरू किया गया, जिसमें वक़्त लगेगा। वहीं चंडीगढ़ से भी लेजर कटर मंगाया गया है। मलबे में फंसी बरमा मशीन के पार्ट्स को निकालने की कोशिश जारी है। एनएचआईडीसीएल के प्रबंध निदेशक महमूद अहमद ने कहा कि सुरंग में फंसी बरमा मशीन के पार्ट्स निकालने का काम किया जा रहा है। 13.9 मीटर ऑगर के पार्ट्स सुरंग में फंसे हुए हैं। सोमवार तक पार्ट्स को निकाल लिया जाएगा। इसके बाद आगे मैनुअल काम किया जाएगा। उन्होंने कहा, 28 नवंबर से आरवीएनएल काम शुरू करेगा। हमने पूरे कार्य के लिए 100 घंटों का लक्ष्य रखा है। इसके अलावा 15 दिनों से टनल में फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने के लिए अब पहाड़ के ऊपर से वर्टिकल ड्रिलिंग की जायेगी। लेकिन विशेषज्ञ इसे सुरक्षित नहीं मान रहे हैं।

ऑपरेशन में विशेषज्ञ वर्टिकल ड्रिलिंग को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नहीं

अंतरराष्ट्रीय सुरंग विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स के देखरेख में चल रहे ऑपरेशन में विशेषज्ञ वर्टिकल ड्रिलिंग को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नहीं है। वहीं चट्टानों की कमजोर बनावट ड्रिलिंग के कंपन से कभी भी भर भराकर गिर सकती है। जिस क्षेत्र में सुरंग का निर्माण किया गया है, वहां चट्टानें बहुत कमजोर हैं, जो भारी भरकम मशीन के कंपन से कभी भी गिर सकती हैं। अगर पहाड़ी के ऊपरी क्षेत्र में वर्टिकल ड्रिलिंग की जाती है, तो करीब 90 मीटर गहराई तक ड्रिलिंग करने में 45 से 48 घंटे का समय लग सकता है, वो भी तब जब ड्रिलिंग के दौरान कोई बाधा नहीं आती है। वरिष्ठ भूगर्भ विज्ञान डॉ. एके बियानी की मानें तो सुरंग में भूस्खलन होने से अब इसके 25 से 30 मीटर हिस्से में भी इसका प्रभाव हो सकता है। मतलब यह हिस्सा खतरनाक साबित हो सकता है। हालांकि पहाड़ी के ऊपर से वर्टिकल ड्रिलिंग का काम शुरू हो गया है। अभी तक 15 मीटर वर्टिकल ड्रिलिंग का काम कर लिया गया है। महमूद अहमद ने बताया कि हमने शनिवार से और 2 से 3 विकल्पों पर काम करना शुरू कर दिया है। एसजेवीएनएल को वर्टिकल ड्रिलिंग का जिम्मा दिया है। उन स्थानों की पहचान भी कर ली है, जहां ड्रिलिंग बेहतर हो सकती है। लगभग 15 मीटर की ड्रिलिंग पूरी हो चुकी है। अनुमान है कि कुल 86 मीटर की ड्रिलिंग की जानी है। हमें लगता है कि ड्रिलिंग अगले 2 दिनों में पूरी हो जाएगी।

 

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