भारतीय टेनिस का गिरता ग्राफ चिंता की बात
एक जमाना वह भी था जब हमारे पास रामनाथन कृष्णन, विजय अमृतराज, आनंद अमृतराज और रमेश कृष्णन जैसे विश्व प्रसिद्ध सिंगल्स खिलाड़ी थे।
नई दिल्ली : भारतीय टेनिस पर नजर डालें तो सारा भार अब युकी भांबरी और रामकुमार रामनाथन के कंधों पर है। हालांकि युकी विश्व के टॉप 100 खिलाडिय़ों में है जबकि रामकुमार का नंबर 115 वां है। फिर भी इन खिलाडिय़ों की कोई बड़ी पहचान नहीं है और ना ही इनसे एशियाड, ओलंपिक या ग्रांड स्लैम आयोजनों में किसी बड़े करिश्मे की उम्मीद की जा सकती है। महिला वर्ग में तो सूनापन पसरा है। सानिया मिर्जा का स्थान लेनेवाली कोई अन्य खिलाड़ी हमारे पास नहीं है। एक जमाना वह भी था जब हमारे पास रामनाथन कृष्णन, विजय अमृतराज, आनंद अमृतराज और रमेश कृष्णन जैसे विश्व प्रसिद्ध सिंगल्स खिलाड़ी थे।
रामनाथन ने 1960 और 61 के विम्बलडन सेमी फाइनल में स्थान बना कर भारत के लिए श्रेष्ठ प्रदर्शन किया तो विजय अमृतराज को एक समय ब्योन बोर्ग और जिम्मी कॉनर्स के स्तर का खिलाड़ी आंका गया। विजय एक समय विश्व के 16वें टाप खिलाड़ी थे तो रमेश ने 23वाँ स्थान अर्जित किया। उनके बाद लिएंडर पेस ने दो दशक तक भारतीय टेनिस को अपने दम पर पहचान दिलाई। ओलंपिक कांस्य पदक जीतने वाले इस खिलाड़ी ने देश के लिए कई सम्मान अर्जित किए। खासकर, डेविस कप में उसने कभी अकेले तो डबल्स में महेश भूपति के साथ मिलकर यादगार प्रदर्शन किए। लिएंडर और महेश ने अनेक ग्रांड स्लैम डबल्स खिताब भी जीते।
लेकिन आज तक एक भी भारतीय सिंगल्स खिताब नहीं जीत पाया है। आनंद अमृतराज, शशि मेनन, जसजीत सिंह, सोमदेव बर्मन आदि खिलाडिय़ों ने भारतीय टेनिस में बड़ा योगदान दिया परंतु कामयाबी का दौर अब थमता नजर आ रहा है। टेनिस जानकारों की माने तो भारतीय टेनिस के लिए अब बेहद खराब दौर आने वाला है। कारण, पेस, बोप्पना और बर्मन के बाद सारा भार युकी और रामकुमार के कंधों पर आन पड़ा है, जिनके लिए आगे का सफर आसान नहीं होने वाला।
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(राजेंद्र सजवान)

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