आखिर क्यों करवाचौथ में होता है सींक, छलनी और करवे का इस्तेमाल?
Highlights
- क्या है कलश का महत्व?
- जानें दीपक की खासियत
- यमराज से मांगी पति की लम्बी उम्र
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत रखती है। साल 2023 में करवा चौथ का त्योहार 1 नवंबर को मनाया जाएगा। इस दिन सुहागन औरतें श्री गणेशजी और चंद्रमा के साथ-साथ भगवान शिव, माता पार्वती और कार्तिकेय की पूजा करती हैं।
करवा चौथ शब्द की उत्पत्ति दो शब्दों के मिलन से हुई है- "करवा" अर्थात मिटटी का बर्तन और "चौथ" मतलब गणेश जी की प्रिय तिथि चतुर्थी। अक्सर देखा जाता है कि करवाचौथ की पूजा के दौरान छलनी, सींक, करवा और दीपक जैसी चीजों का इस्तेमाल होता है। क्या आपको इस पूजा के दौरान इस्तेमाल होने वाली पूजा सामग्री के प्रतीकात्मक महत्व के बारें में पता है? अगर नहीं तो आइए जानते है इसका महत्व।
क्या है कलश का महत्व?
करवाचौथ की पूजा में चंद्रमा को अर्घ्य देने की परंपरा है। पुराणों के अनुसार, कलश को खुशी, समृद्धि और मंगल कामनाओं की इच्छाओं का प्रतीक माना जाता है। धार्मिक विश्वास के अनुसार, सभी ग्रह, नक्षत्र और तीर्थ का निवास कलश में होता है। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि कहा जाता है कि कलश, ब्रामा, विष्णु, महेश, सभी नदियाँ, समुद्र, तालाब और तेतीस कोटि देवी-देवता भी कलश में विराजमान होते हैं। रोली, चावल, दीपक, फल-फूल, पताशा, सुहाग का सामान और इसके साथ जल से भरा हुआ एक कलश भी रखा जाता है। जौ या गेहूं को कर्वे के ऊपर दीपक में रखा जाता है। जौ ख़ुशी,समृद्धि, शांति और प्रगति का प्रतीक है।
जानें दीपक की खासियत
करवा चौथ में दीपक की रोशनी का एक विशेष अर्थ है। शास्त्रों के अनुसार, पृथ्वी पर सूर्य के बदले हुए स्वरूप को आग माना जाता है। यह माना जाता है कि एक गवाह के रूप में अग्नि को साक्षी मानकर होने वाली पूजा सेवा सफल होती है। दूसरी ओर, प्रकाश को ज्ञान का प्रतीक भी कहा जाता है। दीपक नकारात्मक ऊर्जा को भी समाप्त करता है। छलनी के संदर्भ में, ज्यादातर महिलाएं चंद्रमा को पहले छलनी में देखती हैं और तुरंत अपने पतियों को देखते हैं और दिन के अंत में उपवास को खोलती हैं। यह करवाचौथ में सुनी जाने वाली वीरवती की कहानी से संबंधित है। जब बहन वीरवती को उसके भाइयों ने भूखा देखा तब उसके भाइयों ने चाँद निकलने से पहले ही पेड़ की आड़ में छलनी की मदद से चाँद बनाया और अपनी बहन का करवाचौथ का व्रत खुलवाया।
यमराज से मांगी पति की लम्बी उम्र
करवा चौथ की पूजा में एक सींक का होना बहुत महत्वपूर्ण है। यह सींक मां करवा की शक्ति का प्रतीक है। किंवदंती के अनुसार, मां करवा के पति का पैर एक मगरमच्छ द्वारा पकड़ा गया था। फिर उन्होनें मगरमच्छ को एक कच्चे धागे में बांध दिया और यमराज के पास पहुंच गई। उस समय वह चित्रगुप्त के खाते को देख रहे थे। करवा ने सात सींक लिए और उनसे खाते को आकाश में उड़ाना शुरू कर दिया। करवा ने यमराज से अपने पति की रक्षा करने के लिए कहा और करवा के पति के जीवन को बचाने और दीर्घायु का आशीर्वाद देने के लिए मगरमच्छ को मार डाला।
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