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अमृतसर में बीता था वीरू देवगन का बचपन, संघर्षपूर्ण रहा मायानगरी तक पहुंचने का सफर

पंजाब की सरज़मी को लांघकर बॉलीवुड की रौशनमयी वातावरण में कई पंजाबी गबरूओं ने अपने-अपने हुनर के झंडे बुलंद किए है। बात चाहे फिल्म अदाकार धर्मेंद्र देयोल की हो या एक्शन मैन के लिए विख्यात वीरू देवगन की हो।

03:05 PM May 28, 2019 IST | Shera Rajput

पंजाब की सरज़मी को लांघकर बॉलीवुड की रौशनमयी वातावरण में कई पंजाबी गबरूओं ने अपने-अपने हुनर के झंडे बुलंद किए है। बात चाहे फिल्म अदाकार धर्मेंद्र देयोल की हो या एक्शन मैन के लिए विख्यात वीरू देवगन की हो।

लुधियाना-अमृतसर :  पंजाब की सरज़मी को लांघकर बॉलीवुड की रौशनमयी वातावरण में कई पंजाबी गबरूओं ने अपने-अपने हुनर के झंडे बुलंद किए है। बात चाहे फिल्म अदाकार धर्मेंद्र देयोल की हो या एक्शन मैन के लिए विख्यात वीरू देवगन की हो। सोमवार को अजय देवगन के पिता वीरू देवगन की कार्डियक अरेस्ट के कारण आकस्मिक मौत का समाचार सुनते ही पंजाब विशेषकर गुरूओं की नगरी के नाम से विख्यात अमृतसर के कई लोगों की आंखें नम है। 
76 वर्षीय वीरू देवगन के निधन की खबर सुनकर अमृतसर स्थित शरीफपुरा के रानी बाजार में शोक की लहर है, क्योंकि उनका जन्म अमृतसर में हुआ था। उनका यहां से मायानगरी पहुंचने तक का सफर काफी संघर्षपूर्ण रहा है। 1957 में उन्होंने अपने फिल्मी सफर की शुरुआत की थी। जानने वालों के मुताबिक वीरू का बचपन से ही सिनेमा के प्रति काफी लगाव था और वह 1957 में मुंबई जाने के लिए बिना टिकट लिए फ्रंटियर मेल पर चढ़ गए थे।
 रेलवे अधिकारियों द्वारा पकड़े जाने पर उन्हें कई दिनों जेल में रहना पड़ा। बाहर निकलते ही पेट की भूख ने उन्हें तोड़ा तो जीवयापन हेतु टेक्सियां साफ की और कई स्थानों पर झाड़ू तक लगाया लेकिन उन्हें संघर्षमयी दिनों के बीच ही जल्द समझ लग गई कि वह हीरो नहीं बन पाएंगे तो उन्होंने दिल ही दिल में ठान लिया कि वह अपने सपनों को अपनी संतान के जरिए  पूरा करेंगे और आखिर कर दिखाया। वीरू ने अपने बेटे अजय देवगन के जरिए सपना पूरा किया।
 
रानी बाजार स्थित बारी वारी गली निवासी वीरू देवगन के दोस्त रहे 85 वर्षीय भोजराज के पुत्र प्रकाश चंद के मुताबिक 2012 में अजय देवगन की फिल्म ‘ हिंदोस्तान की कसम ’ के रिलीज के समय आखिरी बार वीरू देवगन अमृतसर आए थे। बारी वाली गली में वीरू देवगन का घर बड़ा ही मशहूर हुआ करता था।
मुंबई जाने के बाद भी अकसर वह अपने बचपन के दोस्तों से मिलने के लिए आया करते थे। प्रकाश चंद के मुताबिक उन्होंने बचपन में उन्हें देखा था, जो कि जम्मू में वैष्णो देवी के दर्शन करने के लिए अकसर आया करते थे। शरीफपुरा स्थित गोल मसीत निवासी शिवनाथ चंद्र उर्फ काला प्रधान ने बताया कि वीरू उनके पड़ोस में रहने वाले भोजराज पटवारी के धर्म भाई बने हुए थे, जिनसे वह परिवार सहित मिलने के लिए आया करते थे।
गुरु नगरी से संबंधित होने की वजह से उनके निधन पर लोगों को दुख है। शहरवासियों के साथ-साथ कला जगत से जुड़ी शख्सियतों में शामिल पंजाब नाट्यशाला के संस्थापक जतिंदर बराड़, विरसा विहार सोसायटी के प्रधान केवल धालीवाल, केटी कला के डायरेक्टर बृजेश जौली व आर्ट गैलरी के प्रधान शिवदेव सिंह, बॉलीवुड गायक हरिंदर सोहल, जगदीश सचदेवा आदि ने शोक जताया।
– रीना अरोड़ा
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