Top NewsIndiaWorldOther StatesBusiness
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariHoroscopeHealth & LifestyleViral NewsTech & AutoGadgetsvastu-tipsExplainer
Advertisement

गुरुवार को भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व, इस चालीसा से करें गुणगान, रहेगा सुख, समृद्धि का वास और विवाह संबंधी बाधाओं का होगा नाश

03:43 PM Nov 13, 2025 IST | Amit Kumar
Vishnu ji ki Chalisa in Hindi (credit S-M)

Vishnu ji ki Chalisa in Hindi: सनातन धर्म में सप्ताह का प्रत्येक दिन किसी न किसी देवता को समर्पित है। गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को अर्पित माना गया है। इस दिन श्रीहरि की आराधना करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है। साथ ही विवाह संबंधी बाधाएं या जीवन की अन्य परेशानियां भी दूर होती हैं।

Vishnu ji ki Chalisa in Hindi: गुरुवार को भगवान विष्णु की पूजा का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की सच्चे मन से पूजा करता है, उसके जीवन में सौभाग्य और समृद्धि आती है। भगवान विष्णु पालनकर्ता हैं, इसलिए उनकी कृपा से जीवन में स्थिरता और शांति बनी रहती है। अगर किसी के विवाह में अड़चनें आ रही हों या दांपत्य जीवन में तनाव हो, तो इस दिन विशेष रूप से श्रीहरि की पूजा करनी चाहिए।

Lord Vishnu Chalisa: केले के पेड़ की पूजा का विशेष महत्व

गुरुवार के दिन केले के पेड़ की पूजा करने का विशेष विधान है। धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है कि भगवान विष्णु को केले का वृक्ष अत्यंत प्रिय है।

Advertisement

Vishnu ji ki Chalisa in Hindi (credit S-M)

Vishnu ji ki Chalisa in Hindi: गुरुवार को करें ‘विष्णु चालीसा’ का पाठ

गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की चालीसा का पाठ करना अत्यंत शुभ माना गया है। मान्यता है कि विष्णु चालीसा का नियमित पाठ करने से —


Vishnu ji ki Chalisa in Hindi (credit S-M)

विष्णु चालीसा पाठ की विधि

विष्णु चालीसा पाठ से मिलने वाले लाभ


Vishnu ji ki Chalisa in Hindi (credit S-M)

Vishnu Chalisa Lyrics in Hindi

दोहा

विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय।
कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय।

चौपाई

नमो विष्णु भगवान खरारी।
कष्ट नशावन अखिल बिहारी॥
प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी।
त्रिभुवन फैल रही उजियारी॥
सुन्दर रूप मनोहर सूरत।
सरल स्वभाव मोहनी मूरत॥
तन पर पीतांबर अति सोहत।
बैजन्ती माला मन मोहत॥
शंख चक्र कर गदा बिराजे।
देखत दैत्य असुर दल भाजे॥
सत्य धर्म मद लोभ न गाजे।
काम क्रोध मद लोभ न छाजे॥
संतभक्त सज्जन मनरंजन।
दनुज असुर दुष्टन दल गंजन॥
सुख उपजाय कष्ट सब भंजन।
दोष मिटाय करत जन सज्जन॥
पाप काट भव सिंधु उतारण।
कष्ट नाशकर भक्त उबारण॥
करत अनेक रूप प्रभु धारण।
केवल आप भक्ति के कारण॥
धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा।
तब तुम रूप राम का धारा॥
भार उतार असुर दल मारा।
रावण आदिक को संहारा॥
आप वराह रूप बनाया।
हरण्याक्ष को मार गिराया॥
धर मत्स्य तन सिंधु बनाया।
चौदह रतनन को निकलाया॥
अमिलख असुरन द्वंद मचाया।
रूप मोहनी आप दिखाया॥
देवन को अमृत पान कराया।
असुरन को छवि से बहलाया॥
कूर्म रूप धर सिंधु मझाया।
मंद्राचल गिरि तुरत उठाया॥
शंकर का तुम फन्द छुड़ाया।
भस्मासुर को रूप दिखाया॥
वेदन को जब असुर डुबाया।
कर प्रबंध उन्हें ढूंढवाया॥
मोहित बनकर खलहि नचाया।
उसही कर से भस्म कराया॥
असुर जलंधर अति बलदाई।
शंकर से उन कीन्ह लडाई॥
हार पार शिव सकल बनाई।
कीन सती से छल खल जाई॥
सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी।
बतलाई सब विपत कहानी॥
तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी।
वृन्दा की सब सुरति भुलानी॥
देखत तीन दनुज शैतानी।
वृन्दा आय तुम्हें लपटानी॥
हो स्पर्श धर्म क्षति मानी।
हना असुर उर शिव शैतानी॥
तुमने ध्रुव प्रहलाद उबारे।
हिरणाकुश आदिक खल मारे॥


Vishnu ji ki Chalisa in Hindi (credit S-M)

गणिका और अजामिल तारे।
बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे॥
हरहु सकल संताप हमारे।
कृपा करहु हरि सिरजन हारे॥
देखहुं मैं निज दरश तुम्हारे।
दीन बन्धु भक्तन हितकारे॥
चहत आपका सेवक दर्शन।
करहु दया अपनी मधुसूदन॥
जानूं नहीं योग्य जप पूजन।
होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन॥
शीलदया सन्तोष सुलक्षण।
विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण॥
करहुं आपका किस विधि पूजन।
कुमति विलोक होत दुख भीषण॥
करहुं प्रणाम कौन विधिसुमिरण।

कौन भांति मैं करहु समर्पण॥
सुर मुनि करत सदा सेवकाई।
हर्षित रहत परम गति पाई॥
दीन दुखिन पर सदा सहाई।
निज जन जान लेव अपनाई॥
पाप दोष संताप नशाओ।
भव-बंधन से मुक्त कराओ॥
सुख संपत्ति दे सुख उपजाओ।
निज चरनन का दास बनाओ॥
निगम सदा ये विनय सुनावै।
पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै॥

यह भी पढ़ें: उत्पन्ना एकादशी के दिन भूलकर भी न करें ये 10 गलतियां, वरना सफल नहीं होगी पूजा

Advertisement
Next Article