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Vishwakarma Puja Aarti Lyrics: इस आरती के बगैर अधूरी है भगवान विश्वकर्मा की पूजा, यहां देखें लिरिक्स

11:19 AM Sep 17, 2025 IST | Khushi Srivastava
vishwakarma puja aarti lyrics  इस आरती के बगैर अधूरी है भगवान विश्वकर्मा की पूजा  यहां देखें लिरिक्स
Vishwakarma Puja Aarti Lyrics
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Vishwakarma Puja Aarti Lyrics: हर साल 17 सितंबर के दिन विश्वकर्मा पूजा (Vishwakarma Jayanti) का त्योहार मनाया जाता है। विश्वकर्मा पूजा भगवान विश्वकर्मा को समर्पित है। भगवान विश्वकर्मा को हिंदू धर्म में ब्रह्मांड का पहला और महानतम वास्तुकार और इंजीनियर माना जाता है। विश्वकर्मा पूजा का भी हिंदू धर्म में काफी बड़ा महत्व है। विश्वकर्मा पूजा हर साल कन्या संक्रांति के दिन की जाती है।

विश्वकर्मा पूजा औद्योगिक, तकनीकी और कारीगरी क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। ऐसा माना जाता है कि विश्वकर्मा पूजा को करने से जीवन में बरकत होती है। इस दिन औद्योगिक और तकनीक के जगत में बाबा विश्वकर्मा की पूजा विधि-विधान से होती है। ऐसे में यहां पर भगवान विश्वकर्मा की आरती बताई गई है, इस आरती को आप पूजा के बाद पढ़ सकते हैं।

भगवान विश्वकर्मा की आरती (Vishwakarma Puja Aarti Lyrics)

Vishwakarma Puja Aarti Lyrics
Vishwakarma Puja Aarti Lyrics (ai generated)

ओम जय श्री विश्वकर्मा, प्रभु जय श्री विश्वकर्मा ।
सकल सृष्टि के कर्ता, रक्षक स्तुति धर्मा ।। 1 ।।

ओम जय श्री विश्वकर्मा, प्रभु जय श्री विश्वकर्मा ।

आदि सृष्टि में विधि को, श्रुति उपदेश दिया।
जीव मात्र का जग में, ज्ञान विकास किया।। 2।।

ओम जय श्री विश्वकर्मा, प्रभु जय श्री विश्वकर्मा । ऋषि अंगिरा ने तप से, शांति नहीं पाई।

ध्यान किया जब प्रभु का, सकल सिद्ध आई ।। 3 ।।
ओम जय श्री विश्वकर्मा, प्रभु जय श्री विश्वकर्मा ।

रोग ग्रस्त राजा ने जब आश्रय लीना ।
संकट मोचन बन कर दूर दुःख कीना ।। 4 ।।
ओम जय श्री विश्वकर्मा, प्रभु जय श्री विश्वकर्मा ।

जब रथकार दम्पति, तुम्हारी टेर करी ।
सुनकर दीन प्रार्थना, विपत्ति हरी सगरी ।। 5 ।।

ओम जय श्री विश्वकर्मा, प्रभु जय श्री विश्वकर्मा ।

एकानन चतुरानन, पंचानन राजे ।
द्विभुज, चतुर्भुज, दसभुज, सकल रूप साजे ।। 6 ।।

ओम जय श्री विश्वकर्मा, प्रभु जय श्री विश्वकर्मा ।

ध्यान धरे जब पद का, सकल सिद्धि आवे।
मन दुविधा मिट जाये, अटल शांति पावे ।। 7 ।।

ओम जय श्री विश्वकर्मा, प्रभु जय श्री विश्वकर्मा ।

श्री विश्वकर्मा जी की आरती जो कोई जन गावे ।।
कहत गजानन्द स्वामी, सुख सम्पत्ति पावे ।। 8 ।।

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Khushi Srivastava

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