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Vishwakarma Puja Panchamrit Bhog Recipe: भगवान विश्वकर्मा को लगाएं पंचामृत का भोग, जानें आसान रेसिपी

04:28 PM Sep 16, 2025 IST | Bhawana Rawat

Vishwakarma Puja Panchamrit Bhog Recipe: हर वर्ष 17 सितंबर को विश्वकर्मा पूजा का त्योहार मनाया जाता है। भगवान विश्वकर्मा को ब्रह्मा जी का पुत्र माना जाता है। इस दिन लोग अपने घरों, कार्यस्थल, फैक्ट्री, मशीनों और औजारों की पूजा करते हैं, जिससे उनके कार्य उन्नति हो सके। भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि के पहले इंजीनियर और महानतम वास्तुकार माना जाता है। ये त्योहार औद्योगिक, तकनीकी और कारीगरी क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इस दिन भगवान विश्वकर्मा को विभिन्न प्रकार के भोग अर्पित किए जाते हैं, उन्हीं में से एक पंचामृत भी है। पंचामृत 5 चीजों को मिलाकर बनाया जाता है, इस भोग को अमृत समान माना जाता है। चलिए जानते है पंचामृत बनाने की रेसिपी।

ऐसे बनाएं पंचामृत (Panchamrit Bhog Recipe)

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सामग्री

विधि

  1. सबसे पहले एक बर्तन में दूध डालें।
  2. फिर इसमें 2 बड़े चम्मच दही मिलाएं।
  3. इसके बाद इसमें शहद, घी और शक्कर डालें।
  4. सारी चीजों को अच्छे से मिलाएं।
  5. अंत में पंचामृत के ऊपर तुलसी के पत्ते डालें।
  6. अब इस पंचामृत भोग को भगवान विश्वकर्मा को अर्पित करें।
  7. भोग लगाने के बाद, इसको प्रसाद के रूप में परिवार के सदस्यों को दें।

विश्वकर्मा पूजा का महत्व

हिन्दू धर्म में विश्वकर्मा पूजा का बहुत महत्व है, खासकर उन लोगों के लिए जो कारोबार और मशीनरी कार्य से जुड़े हुए हो। इस दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से व्यवसाय में तरक्की मिलती है और कार्यस्थल में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।

भगवान विश्वकर्मा के मंत्र (Vishwakarma Mantra)

यह भी पढ़ें: Vishwakarma Jayanti 2025: हर साल 17 सितंबर को विश्वकर्मा जयंती मनाने के पीछे का क्या है कारण, जाने इस पूजा का महत्व

Vishwakarma Jayanti 2025: विश्वकर्मा पूजा भगवान विश्वकर्मा को समर्पित है। भगवान विश्वकर्मा को हिंदू धर्म में ब्रह्मांड का पहला और महानतम वास्तुकार और इंजीनियर माना जाता है। विश्वकर्मा पूजा का भी हिंदू धर्म में काफी बड़ा महत्व है। विश्वकर्मा पूजा हर साल कन्या संक्रांति के दिन की जाती है। विश्वकर्मा पूजा का दिन दुनिया के सभी श्रमिकों, कारीगरों और औद्योगिक क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है।

ऐसा माना जाता है कि विश्वकर्मा पूजा (vishwakarma jayanti) को करने से जीवन में बरकत होती है। लेकिन क्या आपके पता है कि हर साल केवल 17 सितंबर के दिन ही क्यों विश्वकर्मा जयंती मनाई जाती है। आइए जानते हैं इसके पीछे का कारण और इस पूजा की क्या है विशेषता।

Vishwakarma Jayanti 2025: जानें 17 सितंबर को ही क्यों मनाई जाती है विश्वकर्मा जयंती

हिंदू धर्म में विश्वकर्मा जयंती (vishwakarma jayanti) का काफी बड़ा महत्व है। हिंदू धर्म में, भगवान विश्वकर्मा को देवताओं का शिल्पकार माना जाता है। हिंदू धर्म में सृष्टि के सभी यांत्रिक और स्थापत्य कार्यों का जनक भगवान विश्वकर्मा को ही माना जाता है। हिंदू धर्म में भगवान विश्वकर्मा के जन्म को लेकर कई मान्यताएं और कहानियां प्रचलित हैं। कुछ पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि आश्विन माह के कृष्ण पक्ष के दिन ही भगवान विश्वकर्मा का जन्म हुआ था।

वहीं कुछ लोगों का ऐसा भी मानना है कि भगवान विश्वकर्मा का जन्म भाद्रपद माह की अंतिम तिथि को हुआ था। लेकिन भगवान विश्वकर्मा की जन्म तिथि के अलावा एक और भी मान्यता प्रचलित है, जिसमें विश्वकर्मा पूजा को सूर्य के परागमन के अनुसार तय किया गया। अधिकांश हिंदू त्योहार चंद्र कैलेंडर के आधार पर हर साल अलग-अलग तिथियों पर पड़ते हैं। लेकिन विश्वकर्मा पूजा की तारीख सूर्य की गति पर आधारित होने के कारण लगभग हर साल एक ही रहती है, जो कि 17 सितंबर है। आगे पढ़ें...

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