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सैन्य तख्तापलट के विरोध में म्यांमा में तेज हुए विरोध के स्वर, प्रदर्शनकारियों और पुलिस में जमकर झड़प

म्यामां में पिछले सप्ताह हुए सैन्य तख्तापलट के विरोध में सोमवार को प्रदर्शनकारियों और पुलिस में जमकर झड़प हुई। इस दौरान राजधानी ने पी ता में शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे लोगों पर पुलिस ने पानी की बौछार की।

02:46 PM Feb 08, 2021 IST | Ujjwal Jain

म्यामां में पिछले सप्ताह हुए सैन्य तख्तापलट के विरोध में सोमवार को प्रदर्शनकारियों और पुलिस में जमकर झड़प हुई। इस दौरान राजधानी ने पी ता में शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे लोगों पर पुलिस ने पानी की बौछार की।

सैन्य तख्तापलट के विरोध में म्यांमा में तेज हुए विरोध के स्वर  प्रदर्शनकारियों और पुलिस में जमकर झड़प
म्यामां में पिछले सप्ताह हुए सैन्य तख्तापलट के विरोध में सोमवार को प्रदर्शनकारियों और पुलिस में जमकर झड़प हुई। इस दौरान राजधानी ने पी ता में शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे लोगों पर पुलिस ने पानी की बौछार की। 
रविवार को थाईलैंड से लगती म्यामां की पूर्वी सीमा पर स्थित मयावड्डी में भीड़ को तितर बितर करने के लिए पुलिस ने हवा में गोलियां चलायीं। किसी के घायल होने की खबर नहीं मिली है लेकिन एक स्वतंत्र संस्था ‘एसिस्टेंस एसोसिएशन फॉर पोलिटिकल प्रिजनर्स’ ने बताया कि एक महिला को गोली लगी। 
संस्था की ओर से इससे अधिक जानकारी नहीं दी गई। वैधानिक रूप से देश की सरकार चलाने का हक किसे है इसे लेकर प्रदर्शनकारियों और सेना के बीच गतिरोध कम होता नहीं दिख रहा है। हिरासत में ली गई नेत्री आंग सान सू ची को रिहा करने और सरकार बहाल करने की मांग को लेकर देशभर में प्रदर्शन हो रहे हैं। इंटरनेट पर लगे प्रतिबंध रविवार को हटाए जाने के बाद और अधिक संख्या में लोग जागरूक हो रहे हैं। 
सरकारी मीडिया विरोध प्रदर्शनों को महत्व नहीं दे रहा है लेकिन सोशल मीडिया पर प्रदर्शन की तस्वीरें और वीडियो डाले जा रहे हैं। उत्तर में स्थित कचिन राज्य, दक्षिण पूर्व में मोन राज्य, पूर्वी राज्य शान के सीमावर्ती शहर ताचिलेक, ने पी ता और मंडाले में सोमवार को विरोध प्रदर्शन की नई घटनाओं की खबरें प्राप्त हुई हैं। 
यंगून में सुबह प्रदर्शनकारियों ने नारे लगाए, तीन उंगलियों से सलामी दी और “सैन्य तख्तापलट का बहिष्कार” तथा “म्यांमा के लिए न्याय” लिखी हुई तख्तियां दिखाते हुए विरोध व्यक्त किया। कुछ लोग समूह बनाकर मुख्य प्रदर्शनकारियों से अलग हो गए और उन्होंने सुले पैगोडा का रुख किया जो कि पूर्ववर्ती जुंटा शासकों के विरोध में रैली करने का एक प्रमुख स्थल रहा है। 
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