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‘रंगीले’ राजस्थान में मतदान

01:18 AM Nov 26, 2023 IST | Aditya Chopra
‘रंगीले’  राजस्थान में मतदान

देश के पांच राज्यों में चल रहे चुनावों में आज राजस्थान का चुनाव भी सम्पन्न हो गया और इस राज्य के मतदाताओं ने भाजपा व कांग्रेस पार्टियों का भविष्य ईवीएम मशीनों में कैद कर दिया। राजस्थान के चुनावों की सबसे उल्लेखनीय घटना यह रही कि राज्य के ताजा राजनैतिक इतिहास में पहली बार चुनावी मुद्दा पिछले पांच वर्षओं तक चला श्री अशोक गहलोत की सरकार का शासन मुख्य मुद्दा रहा। अतः चुनावों में जो शानदार मत प्रतिशत रहा है उसे देखकर कोई भी चुनावी पंडित परिणामों के बारे में पारंपरिक भविष्यवाणी नहीं कर सकता। सायं पांच बजे तक ही राज्य में फौरी आकलन के अनुसार 70 प्रतिशत के करीब मतदान हो चुका था। इसके साथ ही जिस प्रकार गहलोत सरकार द्वारा अपने शासनकाल में चलाई गई जन कल्याणकारी योजनाओं की चर्चा पूरे चुनावी विमर्श में रही उससे भी सत्ता के विरुद्ध और सत्ता के पक्ष में लोगों के रुझान का अनुमान मत प्रतिशत देखकर लगाना बुद्धिमानी नहीं होगी। चुनावों में जो लोग आम मतदाताओं की सजगता और चातुर्य व राजनैतिक सूझबूझ पर शक करते हैं वे भारत के लोकतन्त्र की जीवन्तता को पहचानने में भूल कर देते हैं।
चुनावी राजनीति में न कोई रिवाज होता है और न कोई रूढ़ीवादी परंपरा होती है। सब कुछ मतदाताओं की बुद्धि और विवेक पर निर्भर करता है। मतदाता का जैसा मन होता है वह वैसा ही व्यवहार राजनीतिज्ञों के साथ चुनावों के समय करता है क्योंकि इस दिन वह लोकतन्त्र का शहंशाह होता है। उसके एक वोट की कोई कीमत नहीं होती क्योंकि कभी-कभी प्रत्याशी एक वोट तक से हार जाता है और एक ही वोट के अंतर से देश की सरकारें तक गिर जाती हैं। परन्तु बदलते समय के अनुसार जिस प्रकार से चुनाव प्रचार के माध्यमों में अंतर आ रहा है उसकी वजह से चुनाव आयोग की भूमिका भी बहुत बढ़ गई है। चुनावों से पहले लागू आचार संहिता की आवश्यकताएं भी बदलती हुई दिखाई पड़ रही हैं। अपनी चुनाव प्रणाली को अधिकाधिक पवित्र व शुचितापूर्ण बनाने के लिए आने वाले समय में चुनाव आयोग को बहुत मेहनत करनी पड़ सकती है।
राजस्थान के चुनाव एक सकारात्मक सन्देश देकर भी गये हैं क्योंकि पूरे चुनाव प्रचार के दौरान चुनावी विमर्श में आम लोगों के वे मुद्दे ही केन्द्र में रहे जिनका सम्बन्ध उनके जीवन की समस्याओं से होता है। इनमें शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, महंगाई, खेती-किसानी और सामाजिक न्याय मुख्य रहे। वास्तव में लोकतन्त्र में विधानसभा के चुनावों में चुनावों के अवसर पर यदि लोगों से जुड़े मुद्दे नहीं आ पाते हैं। कहीं न कहीं आम आदमी चुनावों से गायब ही माना जाता है। राजस्थान के भूगोल को जो लोग जानते हैं और इसकी सामाजिक संरचना से वाकिफ हैं उन्हें मालूम है कि राज्य की राजनीति पर पुराने राजे-रजवाड़ों का कितना प्रभाव रहा है। इसकी वजह यह है कि राजपूताना का इतिहास ‘वचन’ पर मर मिटने वालों का इतिहास रहा है। आधुनिक समय में जो राजनीति चल रही है उसमें भी वचन का खेल ही हो रहा है। सम्पन्न चुनावों में कांग्रेस व भाजपा दोनों की तरफ से लोगों को कुछ गारंटियां देने का वचन दिया गया है। ये सभी गारंटियां आम लोगों का जीवन स्तर सुधारने से ही सम्बन्धित हैं परन्तु पिछले पांच साल में अशोक गहलोत ने जिस प्रकार स्वास्थ्य के अधिकार को नागरिकों का मूलभूत अधिकार बना कर कांग्रेस की तरफ से अन्य गारंटियां दीं उन्हें लोग किस प्रकार से लेते हैं, इसका पता हमें आगामी 3 दिसम्बर को चलेगा जिस दिन वोटों की गिनती के बाद चुनाव परिणाम आयेंगे। चुनाव परिणाम जो भी आयें वे लोगों का फैसला ही होगा और जिस भी पार्टी के हक में यह फैसला आयेगा उनमें से एक सत्ता के सिंहासन पर बैठेगी और दूसरी विपक्ष की भूमिका निभायेगी। यह उम्मीद की जा रही है कि चुनावों में जनता का स्पष्ट जनादेश आयेगा क्योंकि हाल के वर्षों में प. बंगाल से लेकर कर्नाटक व गुजरात व हिमाचल में जितने भी विधानसभा चुनाव हुए हैं उन सभी में जनता ने स्पष्ट जनादेश दिया है और अपनी मन पसन्द सरकार गठित की है।
वैसे राजस्थान की परंपरा भी यही है कि यहां की जनता प्रायः स्पष्ट जनादेश ही देती है। मतदान शानदार होने का मतलब भी मोटे तौर पर यही निकाला जा सकता है कि जनता निर्णायक फैसला देने जा रही है। इसकी एक वजह यह भी है कि चुनाव प्रचार के दौरान लोगों में दोनों प्रमुख पार्टियों के चुनावी विमर्श को देखते हुए किसी प्रकार भ्रम भी नजर नहीं आया। इसका कारण यह भी कहा जा सकता है कि राजस्थानी आमतौर पर बहुत सीधे-सादे और मन से साफ लोग होते हैं। वे लाग-लपेट के साथ कोई काम करना पसन्द नहीं करते। जाहिर है कि राजनीति में भी इसका अक्स जरूर दिखाई देगा। सबसे सुखद यह रहा कि पूरे मतदान में अपनी शान्ति व सौहार्द की संस्कृति को सिर- माथे रखते हुए राज्य के चुनावों में कहीं भी हिंसा होने की खबर नहीं आयी। इसके लिए राजस्थान के लोग बधाई के पात्र हैं।

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Aditya Chopra

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