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Vrishchika Sankranti 2025 Date and Time: 'तेज' और 'समृद्धि' लाएगी 2025 की वृश्चिक संक्रांति, नोट करें पूजा विधि, स्नान-दान का महामुहूर्त और शक्तिशाली मंत्र

12:35 PM Nov 10, 2025 IST | Khushi Srivastava
Vrishchika Sankranti 2025 Date and Time (Photo: AI Generated)

Vrishchika Sankranti 2025 Date and Time: पंचांग के अनुसार, जब सूर्य एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश करता है, तो उस दिन को संक्रांति कहा जाता है। इसी कड़ी में जब सूर्य तुला राशि से निकलकर वृश्चिक राशि में प्रवेश करते हैं, तो यह दिन वृश्चिक संक्रांति कहलाता है। वृश्चिक संक्रांति के पर्व पर स्नान, दान और पूजा-पाठ अत्यंत फलदायी माना गया है। ऐसे में आइए जानते हैं इस वर्ष की वृश्चिक संक्रांति की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।

Vrishchika Sankranti 2025 Date and Time: कब है वृश्चिक संक्रांति?

हिंदू पंचांग के अनुसार, वर्ष 2025 में सूर्य देव 16 नवंबर को तुला राशि से निकलकर मंगल की राशि वृश्चिक में प्रवेश करेंगे। इसलिए वर्ष 2025 में वृश्चिक संक्रांति का पावन पर्व रविवार, 16 नवंबर को मनाया जाएगा।
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Vrishchika Sankranti 2025 Muhurat: वृश्चिक संक्रांति 2025 का शुभ मुहूर्त

Vrishchika Sankranti 2025 Date and Time (Photo: AI Generated)

साल 2025 में, वृश्चिक संक्रांति का क्षण 16 नवंबर को दोपहर 01:45 बजे होगा। इस संक्रांति से जुड़ा पुण्य काल सुबह 08:02 बजे से शुरू होकर दोपहर 01:45 बजे तक रहेगा, जिसकी कुल अवधि 5 घंटे 43 मिनट है। इसके अतिरिक्त, महापुण्य काल दिन में 11:58 बजे से शुरू होगा और दोपहर 01:45 बजे संक्रांति के क्षण तक चलेगा, जिसकी अवधि 1 घंटा 47 मिनट है।

Vrishchika Sankranti Ka Mahatva: वृश्चिक संक्रांति का महत्व

Vrishchika Sankranti 2025 Date and Time (Photo: AI Generated)
यह दिन सूर्य देव की आराधना को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से पापों का नाश होता है और आत्मा पवित्र होती है। इस अवसर पर पितरों को तर्पण देने और दान-पुण्य करने का विशेष फल प्राप्त होता है। सूर्य का यह गोचर आत्मविश्वास, प्रतिष्ठा और करियर पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। इसे दान और सेवा का पर्व भी कहा गया है, क्योंकि इस समय सूर्य अग्नि तत्व के प्रतीक रूप में जीवन में नई ऊर्जा और शक्ति का संचार करते हैं।

Vrishchika Sankranti 2025 Puja Vidhi: वृश्चिक संक्रांति पर पूजा विधि

वृश्चिक संक्रांति के दिन प्रातःकाल सूर्योदय से पहले उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करें। अगर ऐसा करना संभव न हो तो या घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। स्वच्छ वस्त्र पहनें और तांबे के पात्र में जल, लाल चंदन, लाल फूल और गुड़ मिलाकर सूर्य देवता को अर्घ्य दें। अर्घ्य देते समय “ॐ सूर्याय नमः” या “ॐ घृणि सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करें। इसके बाद सूर्य देव की धूप, दीप और लाल चंदन से पूजा करें तथा आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें।

दान के रूप में अपनी सामर्थ्य अनुसार वस्त्र, अन्न, तिल, गुड़ या अन्य आवश्यक वस्तुएं जरूरतमंदों को दें। गाय का दान इस दिन अत्यंत शुभ माना गया है। अगर हो सके, तो पितरों के लिए तर्पण और श्राद्ध कर्म भी करें। माना जाता है कि वृश्चिक संक्रांति पर पूजा और दान-पुण्य करने से जीवन में सुख, समृद्धि और उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।

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डिस्क्लेमर- इस लेख बताई गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। पंजाब केसरी इसकी पुष्टि नहीं करता है।
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