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VS Achutanandan: केरल के पूर्व मुख्यमंत्री का निधन, 100 साल की उम्र में ली अंतिम सांस!

04:59 PM Jul 21, 2025 IST | Shivangi Shandilya
vs achutanandan  केरल के पूर्व मुख्यमंत्री का निधन  100 साल की उम्र में ली अंतिम सांस
Achutanandan Passed Away

VS Achutanandan: केरल (Kerala) के पूर्व मुख्यमंत्री वी.एस. अच्युतानंदन (CM Achutanandan) का आज (सोमवार) तिरुवनंतपुरम के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। वह 101 वर्ष के थे। उन्होंने 2006 से 2011 तक केरल के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। अच्युतानंदन, जिन्हें 'वीएस' के नाम से जाना जाता है, उन 32 संस्थापकों में से दो जीवित नेताओं में से एक थे, जिन्होंने 1964 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) से अलग होकर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) (सीपीआई-एम) का गठन किया था। 2006 में, 82 वर्ष की आयु में, उन्होंने पार्टी को केरल में सत्ता में वापस ला दिया और अगले पांच वर्षों तक मुख्यमंत्री रहे।

VS Achutanandan का कैसा था स्वभाव?

पिछले कुछ सालों से वे सार्वजनिक जीवन से दूर ही रहते थे। VS Achutanandan निधन से पहले वे तिरुवनंतपुरम में अपने बेटे के घर पर ही रहते थे. उम्र संबंधी स्वास्थ्य समस्याओं की वजह से वह अधिकांश अपना समय घर ही बिताते थे। उनके निजी सचिव ए.जी. शशिधरन नायर ने कहा कि, "वी.एस. एक ऐसे नेता थे जो कभी किसी से नहीं डरते थे। जब भी वे कोई मुद्दा उठाते थे, पार्टी लाइन की परवाह नहीं करते थे।" उन्होंने 2008 की एक घटना का ज़िक्र किया जब वी.एस. ने ख़ुद अपने बेटे वी.ए. अरुण कुमार की नियुक्ति पर लगे आरोपों की विधानसभा समिति से जांच कराने की घोषणा की थी। बाद में ये आरोप झूठे साबित हुए।

सीपीआई ने दी श्रद्धांजलि

सीपीआई (M) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट करते हुए लिखा, "कॉमरेड वी.एस. अच्युतानंदन को श्रद्धांजलि। मैं उन्हें नमन करते हुए अपना लाल झंडा झुकाता हूं..."

शशि थरूर ने बताया महान नेता

वहीं, कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी उनके निधन पर दुख जताया है। उन्होंने एक्स पर लिखा, "पूर्व मुख्यमंत्री वी.एस. अच्युतानंदन के निधन पर शोक व्यक्त करता हूं। केरल के कम्युनिस्ट आंदोलन के महान नेता 'वीएस' साधारण परिवार से उठकर एक बड़े जनप्रिय नेता और 2006 से 2011 तक मुख्यमंत्री बने, जहां उन्हें सबका सम्मान मिला। उनके लाखों अनुयायी उन्हें याद करेंगे। ओम शांति!"

कैसा रहा उनका सफर?

उनका पूरा जीवन मज़दूरों, किसानों और गरीबों के लिए संघर्ष करते हुए बीता। VS Achutanandan ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ भी लड़ाई लड़ी। वे केरल के एक छोटे से गांव से थे और सिर्फ़ सातवीं कक्षा तक पढ़े थे। उनकी राजनीतिक यात्रा एक ट्रेड यूनियन से शुरू हुई। वे 1939 में कांग्रेस और फिर 1940 में कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल हुए।

ब्रिटिश राज के दौरान और आज़ादी के बाद भी वे कई सालों तक जेल में रहे और अक्सर पुलिस से छिपते रहे। 1964 में जब कम्युनिस्ट पार्टी भंग हुई, तो वे माकपा के संस्थापक सदस्य बने। 1980 से 1992 तक वे पार्टी के राज्य सचिव रहे। वे चार बार केरल विधानसभा के सदस्य चुने गए और दो बार विपक्ष के नेता भी रहे।

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Shivangi Shandilya

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