वक्फ संशोधन कानून: Supreme Court में आज फिर सुनवाई, केंद्र सरकार की दलीलें होंगी पेश
केंद्र सरकार आज वक्फ संशोधन पर सुप्रीम कोर्ट में रखेगी पक्ष
वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है। केंद्र सरकार के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता अपने तर्क पेश करेंगे। याचिकाकर्ताओं के वकील कपिल सिब्बल और अन्य ने धार्मिक संस्थाओं को वित्तीय सहायता पर सवाल उठाए। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को स्पष्ट कानूनी आधार की आवश्यकता पर जोर दिया।
Waqf Amendment Act 2025: वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को लेकर दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार, 21 मई को लगातार दूसरे दिन सुनवाई जारी रहेगी. इस दौरान केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता अपने तर्क पेश करेंगे.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 20 मई को सुनवाई के पहले दिन भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ की अनुपस्थिति में जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस एजी मसीह और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की पीठ ने मामले की सुनवाई की. केंद्र की तरफ से तुषार मेहता ने अपील की कि अदालत इस मामले की सुनवाई सिर्फ उन्हीं तीन बिंदुओं तक सीमित रखे, जिन पर केंद्र ने अपने जवाब दाखिल किए हैं.
याचिकाकर्ताओं के पक्ष में उतरे ये वरिष्ठ वकील
याचिकाकर्ताओं की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, एएम सिंघवी और राजीव धवन ने पैरवी की. कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि सरकार को किसी भी धार्मिक संस्था को वित्तीय सहायता नहीं देनी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि मस्जिदों में मंदिरों की तरह बड़े पैमाने पर चढ़ावा नहीं आता.
CJI ने क्या कहा?
इस पर चीफ जस्टिस ने टिप्पणी की कि वे मंदिर, दरगाह और चर्च तीनों में गए हैं, और देखा है कि हर धार्मिक स्थान पर श्रद्धालु चढ़ावा चढ़ाते हैं. जवाब में सिब्बल ने स्पष्ट किया कि उनका इशारा सिर्फ मस्जिदों की ओर था, न कि दरगाहों की.
कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को दी सख्त चेतावनी
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि यदि वे अंतरिम राहत की मांग कर रहे हैं, तो इसके लिए उन्हें बेहद ठोस और स्पष्ट कानूनी आधार देने होंगे, क्योंकि किसी भी कानून को संवैधानिक मानने की प्राथमिक धारणा रहती है.
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CJI ने पूछा ये सवाल?
चीफ जस्टिस ने यह भी सवाल उठाया कि क्या भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की देखरेख वाली संपत्तियों में प्रार्थना करने से धर्म का पालन बाधित होता है, और क्या यह संविधान द्वारा दिए गए धार्मिक अधिकारों का हनन है.
पांच याचिकाओं पर केंद्रित सुनवाई
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट केवल पांच प्रमुख याचिकाओं पर विचार कर रहा है, जिनमें एआईएमआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी द्वारा दाखिल याचिका भी शामिल है. सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों को कुल सात घंटे बहस के लिए दिए हैं. मंगलवार को तीन घंटे सुनवाई हो चुकी है, और आज केंद्र सरकार की दलीलें सुनना अहम माना जा रहा है.