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लोकसभा में पेश होगा वक्फ संशोधन विधेयक, विपक्ष और सरकार आमने-सामने

वक्फ संशोधन विधेयक पर बुधवार को लोकसभा और गुरुवार को राज्यसभा में चर्चा होगी…

12:40 PM Apr 02, 2025 IST | Shera Rajput

वक्फ संशोधन विधेयक पर बुधवार को लोकसभा और गुरुवार को राज्यसभा में चर्चा होगी…

लोकसभा में पेश होगा वक्फ संशोधन विधेयक  विपक्ष और सरकार आमने सामने

वक्फ संशोधन विधेयक पर बुधवार को लोकसभा और गुरुवार को राज्यसभा में चर्चा होगी। सरकार इसे पारित कराने के लिए प्रतिबद्ध है, जबकि विपक्ष इसे असंवैधानिक बताते हुए विरोध कर रहा है।

वक्फ संशोधन विधेयक पर बुधवार को लोकसभा और गुरुवार को राज्यसभा में चर्चा होगी। सरकार इस विधेयक को पारित कराने के लिए प्रतिबद्ध है, जबकि विपक्ष इसे असंवैधानिक बताते हुए इसका कड़ा विरोध कर रहा है। दोनों सदनों में इस पर चर्चा के लिए आठ-आठ घंटे का समय निर्धारित किया गया है।

सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा), जनता दल-यूनाइटेड (जदयू), शिवसेना और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने अपने सांसदों को व्हिप जारी कर सरकार के पक्ष में मतदान करने को कहा है। हालांकि, भाजपा के कुछ सहयोगी दल विधेयक में संशोधन की मांग कर रहे हैं और उम्मीद है कि भाजपा उनकी चिंताओं को ध्यान में रखेगी।

केंद्रीय अल्पसंख्यक और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने बताया कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की अध्यक्षता में कार्य मंत्रणा समिति (बीएसी) की बैठक में इस विधेयक पर आठ घंटे की चर्चा तय की गई है, जिसे जरूरत पड़ने पर बढ़ाया भी जा सकता है।

बता दे कि बैठक में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस हुई। विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के सदस्यों ने बैठक से वॉकआउट किया और सरकार पर उनकी आवाज दबाने का आरोप लगाया। हालांकि, लोकसभा में भाजपा के नेतृत्व वाले राजग के पास बहुमत होने के कारण विधेयक पारित होने में कोई कठिनाई नहीं दिख रही है।

विपक्ष ने जताई आपत्ति

लोकसभा में कांग्रेस के उप नेता गौरव गोगोई ने आरोप लगाया कि विपक्ष की मांगों को अनसुना किया जा रहा है। विपक्ष चाहता था कि चर्चा का समय बढ़ाया जाए और मणिपुर की स्थिति, मतदाता पहचान पत्र से जुड़े विवाद जैसे अन्य मुद्दों पर भी बहस हो।

बीएसी बैठक में सरकार और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक हुई, जिसके बाद विपक्षी दलों ने बैठक छोड़ दी। रीजीजू ने कहा कि कुछ दल चार से छह घंटे की चर्चा चाहते थे, जबकि विपक्षी दल 12 घंटे की चर्चा पर अड़े थे।

राज्यसभा में विधेयक पर चर्चा गुरुवार को

राज्यसभा की बीएसी बैठक में यह तय किया गया कि गुरुवार को इस विधेयक पर चर्चा होगी। तब तक लोकसभा में विधेयक पारित होने की उम्मीद है।

विधेयक के प्रमुख विरोधियों में शामिल एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इसे ‘असंवैधानिक’ करार देते हुए कहा कि यह मुसलमानों के धार्मिक अधिकारों पर नियंत्रण के उद्देश्य से लाया गया है। उन्होंने भाजपा के सहयोगी दलों तेदेपा और जदयू को चेतावनी देते हुए कहा कि जनता उन्हें इस विधेयक पर उनके रुख के लिए जवाबदेह बनाएगी।

विधेयक पर संख्याबल का गणित

लोकसभा में कुल 542 सदस्य हैं, जिनमें राजग के 293 सांसद हैं। भाजपा कई बार कुछ निर्दलीय सांसदों का समर्थन हासिल करने में भी सफल रही है। शुरुआत में तेदेपा, जदयू और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने विधेयक के कुछ प्रावधानों पर आपत्ति जताई थी, लेकिन संसदीय संयुक्त समिति द्वारा उनकी चिंताओं को दूर करने के बाद वे इसके समर्थन में आ सकते हैं।

कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया और चर्च ऑफ भारत का समर्थन

हालांकि विपक्ष इस विधेयक को ‘अल्पसंख्यक विरोधी’ बताने का प्रयास कर रहा है, लेकिन कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया और चर्च ऑफ भारत ने इसका समर्थन किया है। इससे सरकार को विपक्ष के आरोपों का जवाब देने में मदद मिल रही है।

पिछले साल जब यह विधेयक पेश किया गया था, तो इसे संसद की संयुक्त समिति को भेज दिया गया था। समिति की रिपोर्ट आने के बाद, सरकार ने कुछ संशोधनों को मंजूरी दी थी।

संसद का बजट सत्र 4 अप्रैल को होगा समाप्त

सरकार चाहती है कि बजट सत्र समाप्त होने से पहले इस विधेयक को पारित कर दिया जाए। वहीं, विपक्ष 12 घंटे की चर्चा की मांग कर रहा है और इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश कर रहा है।

विपक्षी इंडिया गठबंधन के नेताओं राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे, केसी वेणुगोपाल, राम गोपाल यादव, सुप्रिया सुले, कल्याण बनर्जी और संजय सिंह ने अपनी रणनीति पर चर्चा की है। इस बैठक में द्रमुक, राष्ट्रीय जनता दल, माकपा और अन्य विपक्षी दलों के प्रमुख नेता भी शामिल हुए।

विपक्ष इस विधेयक को मुस्लिम समुदाय के हितों के खिलाफ बता रहा है और कुछ मुस्लिम संगठन भी इसके विरोध में खड़े हैं।

क्या है विधेयक का उद्देश्य?

विधेयक का उद्देश्य भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और प्रशासन में सुधार करना है। सरकार का दावा है कि इससे वक्फ संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन होगा, लेकिन विपक्ष इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला बता रहा है।

अब देखना यह है कि संसद में इस विधेयक पर होने वाली चर्चा के दौरान सरकार और विपक्ष के बीच किस तरह का टकराव देखने को मिलता है।

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Shera Rajput

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