'युद्ध कोई फिल्मी कहानी नहीं...' सीजफायर को लेकर पूर्व सेना प्रमुख नरवणे ने कही ये बड़ी बात
सीजफायर पर नरवणे की सख्त टिप्पणी
पूर्व सेना प्रमुख जनरल नरवणे ने भारत-पाक संघर्ष विराम पर कहा कि इसे सीजफायर कहना गलत है; यह केवल सैन्य कार्रवाई को रोकने की घोषणा है। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुए पाकिस्तान को LOC पर गलत गतिविधियों के प्रति कड़ा संदेश दिया और चेताया कि नीतियों में बदलाव नहीं होने पर गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।
भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए संघर्ष विराम पर भारतीय सेना के पूर्व प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने अहम प्रतिक्रिया दी है. पुणे में ‘इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया’ के हीरक जयंती समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि इसे सीजफायर कहना उचित नहीं होगा, यह केवल सैन्य कार्रवाई को रोकने की घोषणा है. उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों और हफ्तों में हालात किस ओर बढ़ते हैं, इसका इंतज़ार करना होगा.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जनरल नरवणे ने “ऑपरेशन सिंदूर” का उल्लेख करते हुए कहा कि इस अभियान के माध्यम से पाकिस्तान को लाइन ऑफ़ कंट्रोल (LOC) पर की जाने वाली गलत गतिविधियों के प्रति कड़ा संदेश दिया गया है. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि पाकिस्तान ने अपनी नीतियों में बदलाव नहीं किया, तो उसे इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं.
‘युद्ध कोई फिल्मी कहानी नहीं’
अपने संबोधन में उन्होंने युद्ध की गंभीरता पर बल देते हुए कहा कि यह किसी बॉलीवुड फिल्म की तरह नहीं होता. युद्ध का वास्तविक स्वरूप अत्यंत त्रासद और विनाशकारी होता है. उन्होंने कहा कि युद्ध के दौरान न सिर्फ सैनिक, बल्कि आम नागरिक भी प्रभावित होते हैं, और इसके दुष्प्रभाव पीढ़ियों तक महसूस किए जा सकते हैं.
‘युद्ध से पहले कूटनीति जरूरी’
उन्होंने बताया कि हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान अधिकृत क्षेत्रों में आतंकवादी अड्डों को निशाना बनाया. जनरल नरवणे ने कहा कि किसी भी सैन्य टकराव से पहले कूटनीतिक प्रयास अनिवार्य होते हैं. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि युद्ध कभी उनकी पहली पसंद नहीं होगी, लेकिन अगर आदेश दिया जाए, तो एक सैनिक होने के नाते वह पीछे नहीं हटेंगे.
‘रक्षा क्षेत्र में निवेश को बताया आवश्यक’
अपने भाषण में उन्होंने रक्षा बजट की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा कि रक्षा पर किया गया खर्च कभी व्यर्थ नहीं जाता. यह देश की सुरक्षा के लिए एक अनिवार्य बीमा की तरह है. उन्होंने कहा कि एक मजबूत सेना न केवल युद्ध को टालने में मदद करती है, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी प्रोत्साहन देती है.
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