“हम आतंक के खिलाफ एक हैं” क्या सलमान खुर्शीद और कांग्रेस के बीच सब ठीक?
घर वापसी के साथ ही सलमान ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की
सलमान पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ दुनिया को संदेश देने वाले प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे। उनके बयान और पार्टी के बयानों में कोई समंजस्य नहीं है। यह बात इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि सलमान खुर्शीद की गिनती गांधी परिवार के करीबी नेताओं में होती है। कांग्रेस की ओर से शशि थरूर, मनीष तिवारी, सलमान खुर्शीद और आनंद शर्मा का नाम शामिल किया गया।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, पूर्व सांसद और मंत्री सलमान खुर्शीद भारत लौट आए हैं। सलमान भी पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ दुनिया को संदेश देने वाले प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे। घर वापसी के साथ ही सलमान ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की और उन्हें पूरे विदेशी दौरे की जानकारी दी। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, “हम सब आतंकवाद के खिलाफ हैं और विदेश मंत्री सभी जरूरी सवालों के जवाब दे चुके हैं।”
कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि सलमान और कांग्रेस के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। उनके बयान और पार्टी के बयानों में कोई समंजस्य नहीं है। यह बात इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि सलमान खुर्शीद की गिनती गांधी परिवार के करीबी नेताओं में होती है। सलमान यूपीए सरकार के दौरान देश के विदेश मंत्री और कई बार सांसद रह चुके हैं। उनके दादा, डॉ. ज़ाकिर हुसैन देश के राष्ट्रपति भी रह चुके हैं।
प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों को लेकर है पूरा विवाद
यह पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब सरकार ने तय किया कि विदेश जाने वाले प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस के भी चार सदस्य होंगे। दरअसल, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की कामयाबी के बाद सरकार ने निर्णय लिया कि पूरी दुनिया में अलग-अलग प्रतिनिधिमंडल भेजे जाएंगे। तय हुआ कि 7 प्रतिनिधिमंडल भेजे जाएंगे, जिनमें सभी दलों के नेता, सांसद और कई पूर्व अधिकारी शामिल होंगे।
इस सूची में कांग्रेस की ओर से शशि थरूर, मनीष तिवारी, सलमान खुर्शीद और आनंद शर्मा का नाम शामिल किया गया। लेकिन कांग्रेस का दावा है कि ये वे चार नाम नहीं हैं जो उन्होंने सरकार को सौंपे थे। तभी से इन नेताओं और कांग्रेस नेतृत्व के बयानों में सामंजस्य की कमी दिख रही है। जहां कांग्रेस और राहुल गांधी हर रोज सरकार की सैन्य कार्रवाई पर सवाल उठा रहे हैं, वहीं ये सभी नेता सरकार के सुर में सुर मिला रहे हैं।
When on mission against terrorism, to carry India’s message to the world, it’s distressing that people at home are calculating political allegiances. Is it so difficult to be patriotic?
— Salman Khurshid (@salman7khurshid) June 2, 2025
पहले भी दे चुके हैं अलग बयान
सलमान खुर्शीद पहले भी पार्टी लाइन से अलग बयान दे चुके हैं। कुछ दिन पहले भी उन्होंने अपने आलोचकों को जवाब देते हुए लिखा था, “क्या देश के साथ खड़ा होना इतना मुश्किल है?” सलमान के बयान इसलिए और महत्वपूर्ण हो जाते हैं क्योंकि वे लंबे समय से गांधी परिवार के करीबी रहे हैं। वे पार्टी के महासचिव और देश के विदेश मंत्री रह चुके हैं। यूपीए के दिनों में उन्हें उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का अध्यक्ष भी बनाया गया था।
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क्या अलग-थलग पड़ गई है कांग्रेस पार्टी?
पिछले साल विपक्षी एकता ने भाजपा को बड़ा झटका दिया था। लेकिन अब एक साल बीत चुका है और कांग्रेस कई बड़े मुद्दों पर अलग-थलग खड़ी दिखाई दे रही है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के मसले पर तृणमूल कांग्रेस और एआईएमआईएम जैसे भाजपा के धुर विरोधी भी सरकार के साथ खड़े नजर आ रहे हैं। ऐसे में सलमान खुर्शीद जैसे करीबी नेता का पार्टी से अलग बयान देना कांग्रेस के लिए बड़ी समस्या बन सकता है।