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भारत की संस्कृति अपना रहे पश्चिमी देश

हमारे भारत की संस्कृति, संस्कार सभ्यता इतने मजबूत हैं कि पश्चिमी देश भी उसे अपना रहे हैं। कुछ साल पहले भारतीय लोग पश्चिमी देशों की नकल करके अपने आपको माडर्न

09:53 AM Dec 30, 2018 IST | Desk Team

हमारे भारत की संस्कृति, संस्कार सभ्यता इतने मजबूत हैं कि पश्चिमी देश भी उसे अपना रहे हैं। कुछ साल पहले भारतीय लोग पश्चिमी देशों की नकल करके अपने आपको माडर्न

हमारे भारत की संस्कृति, संस्कार सभ्यता इतने मजबूत हैं कि पश्चिमी देश भी उसे अपना रहे हैं। कुछ साल पहले भारतीय लोग पश्चिमी देशों की नकल करके अपने आपको माडर्न समझते थे परन्तु आजकल पश्चिमी देश भारत की संस्कृति को अपनाकर अपने आप को धन्य समझते हैं।

बहुत से लोग नान वैज से वैजीटेरियन बन रहे हैं। बहुत से लोग गायत्री मंत्र, योगा में विश्वास कर रहे हैं, यही नहीं बहुत से लोग कृष्ण भक्त बन रहे हैं। भारत में बहुत से विदेशी लोग भारतीय धार्मिक स्थानों में मिलेंगे, कोई शांति ढूंढ रहा, कोई मोक्ष की तलाश में नैचुरल पैथी और आयुर्वेद में विश्वास कर रहे हैं। हर्बल में विश्वास कर रहे हैं। रशिया में हिन्दी बोली जा रही है। तुलसी और दूसरे पेड़ों को पूजा जा रहा है।

काश भारतीय लोग भी अपनी संस्कृति, सभ्यता पर विश्वास करें उसे मानें और अपने आपको उत्तम मानें। भारत में भगवान राम, लक्ष्मण भाइयों की संस्कृति है (परन्तु अमीर घरों के भाई इस संस्कृति को भूल रहे हैं जैसे पॉलिटिकल परिवार, बिजनेसमैन परिवार। एक ने अपने प्रसिद्ध राजनीतिक भाई को गोली मार दी। इसमें दो प्रसिद्ध बिजनेसमैन परिवार के भाइयों ने आपस में गोलियां मार दीं।

यही नहीं अभी-अभी एक भाई ने अपने कैंसर से जूझते भाई को इस हद तक तंग कर दिया कि भाई के रिश्ते को तार-तार कर दिया। हमारे देश में श्रवण पुत्र की संस्कृति है परन्तु एक पुत्र ने अपनी 87 वर्षीय मां को कैद कर सारी सम्पत्ति जबरदस्ती अपने नाम करा ली और उस पर पैहरा लगा कैमरे लगा दिए कि वह अपने दूसरे बेटे से बात भी न कर सके। उसकी इस हरकत को देखते हुए एक गरीब रिश्तेदार ने कहा बड़े लोगों से हमारे घर अच्छे हैं जो रिश्तों की कद्र तो करते हैं, प्यार करते हैं, पैसा लोगों के प्यार, विश्वास को मार देता है।

काश आज भारतीय सोचें कि उनको उनके पूर्वज क्या विरासत में देकर गए हैं जिनका विदेशी लोग भी लोहा मान रहे हैं और वो अधर्म कर क्या पाप कर रहे हैं। आज हर गली, कुनबे में कई चाचा, कंस मामा, विभीषण जैसे भाई पैदा हो रहे हैं। कैकेयी जैसी देवरानियां पैदा हो रही हैं जो मां को बेटों से अलग कर रही हैं। रिश्तों की मर्यादाएं समाप्त हो रही हैं। मुंह में राम-राम, बगल में छुरी वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। पैसों के लिए रिश्ते बिक रहे हैं।

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