What are Sin Goods: रोजमर्रा के सामानों पर राहत, तो इन वस्तुओं पर 40% टैक्स क्यों? जानें वजह
What are Sin Goods: जीएसटी काउंसिल की बैठक में स्लैब कम करने और जीएसटी रेट्स घटाने की बड़ी घोषणा की गई है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के अनुसार, अब 5% और 18% के अलावा सिन गुड्स के लिए 40% का स्पेशल स्लैब होगा. मतलब इन वस्तुओं पर सरकार 40 % का टैक्स वसूलेगी।
What are Sin Goods: क्या होते हैं सिन गुड्स?
"सिन गुड्स" उन वस्तुओं और सेवाओं को कहा जाता है जो सेहत या वित्तीय स्थिति के लिए नुकसानदेह मानी जाती हैं। उदाहरण के लिए, तंबाकू से जुड़े उत्पाद, शराब, पान मसाला, सिगरेट, गुटखा, जुआ, ऑनलाइन गेमिंग, और कोल्ड ड्रिंक्स जैसी चीजें शामिल हैं। सरकार का मकसद इन पर भारी टैक्स लगाकर इनकी खपत को कम करना है।
40% GST Items: 40% टैक्स स्लैब में शामिल वस्तुएं
1. तंबाकू उत्पाद
- पान मसाला
- गुटखा
- चबाने वाली तंबाकू
- बिना प्रोसेस किया गया तंबाकू
- सिगरेट और बीड़ी
- छोटे और बड़े सिगार
- इन उत्पादों का सेवन स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन सकता है, इसलिए इन्हें उच्च टैक्स स्लैब में रखा गया है।

2. हेल्थ को नुकसान पहुंचाने वाले ड्रिंक्स
- मीठे कोल्ड ड्रिंक्स
- कैफीन युक्त एनर्जी ड्रिंक्स
- सोडा या कार्बोनेटेड पेय
इन ड्रिंक्स में शुगर और कैमिकल्स की मात्रा अधिक होती है जो सेहत के लिए हानिकारक मानी जाती है।

3. भारी इंजन वाली गाड़ियां
- पेट्रोल कार (1200 सीसी से ऊपर)
- डीजल कार (1500 सीसी से ज्यादा)
- मोटरसाइकिल (350 सीसी से अधिक)
भारी इंजन वाली इन गाड़ियों को लग्जरी आइटम माना गया है, इसलिए इन पर भी 40% तक का टैक्स लगाया गया है।
Super Luxury Items: 4. सुपर लग्जरी वस्तुएं
- प्राइवेट जेट
- याट (निजी नावें)
- हेलीकॉप्टर
ये महंगे और विशेष वर्ग के लोगों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली चीजें हैं, जिन पर सरकार अब ज्यादा टैक्स वसूलेगी।

5. आईपीएल और मनोरंजन सेवाएं
अब आईपीएल टिकट पर भी 40% जीएसटी लगेगा। पहले यह दर 28% थी। क्रिकेट प्रेमियों के लिए यह खबर थोड़ी निराशाजनक हो सकती है।
6. ऊर्जा से जुड़ी वस्तुएं
- कोयला
- लिग्नाइट
- पीट (जैविक ईंधन)
इन्हें भी नई टैक्स कैटेगरी में रखा गया है।
सरकार का उद्देश्य क्या है?
सरकार का कहना है कि इन बदलावों का मुख्य मकसद आम लोगों की सेहत और वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करना है। इसके साथ ही टैक्स सिस्टम को और सरल और प्रभावी बनाना है। छोटे व्यापारियों, किसानों और मध्यम वर्ग के हितों का भी ध्यान रखा गया है।
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