इटली के सुरक्षा विधेयक में क्या हैं ऐसे नियम, जिससे योगी मॉडल की होने लगी चर्चा
क्या इटली का नया कानून योगी मॉडल से मेल खाता है?
इटली ने विवादास्पद सुरक्षा विधेयक पारित किया है, जो विरोध प्रदर्शनों पर नियंत्रण और सुरक्षा बलों को अधिक कानूनी संरक्षण देगा। इस कानून की तुलना उत्तर प्रदेश के योगी मॉडल से की जा रही है. जो काफी हद तक इस कानून से मेल खाता है.
Italy News: इटली में भारी विरोध-प्रदर्शनों के बाद सीनेट ने एक नए और विवादास्पद सुरक्षा विधेयक को पारित कर दिया है. इस कानून के लागू होने के बाद देश में होने वाले प्रदर्शनों पर नियंत्रण कसा जाएगा और सुरक्षा बलों को अधिक कानूनी संरक्षण मिल सकेगा. इस दौरान कई एक्स्पर्ट्स का कहना है कि यह कानून उत्तर प्रदेश में अपनाए गए “योगी मॉडल” से काफी हद तक मेल खाता है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, योगी मॉडल में भी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के प्रावधान हैं और पुलिस को अधिक अधिकार दिए गए हैं. हालांकि, मानवाधिकार संगठनों ने इस कानून का कड़ा विरोध किया है. प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी की दक्षिणपंथी सरकार द्वारा प्रस्तुत इस सुरक्षा डिक्री को निचले सदन से पहले ही मंज़ूरी मिल चुकी थी. अब यह सीनेट में 109 मतों के मुकाबले 69 मतों से पास हो गया, जबकि एक सदस्य अनुपस्थित रहा.
विधेयक के प्रमुख प्रावधान
नए कानून के तहत सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने, तोड़फोड़ करने वाले आंदोलनों और विरोध-प्रदर्शनों में भाग लेने वालों को सख्त सज़ा दी जाएगी. इसके साथ ही, सुरक्षा बलों को कार्रवाई के दौरान अधिक कानूनी छूट प्रदान की गई है. एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि कुछ राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों में खुफिया एजेंसियों को अभियोजन से छूट मिलेगी.
पुलिस अधिकारियों को भी मिलेगा संरक्षण
इस कानून में यह भी प्रावधान है कि ड्यूटी के दौरान किसी पुलिसकर्मी को चोट पहुंचाने पर कड़ी सजा दी जाएगी. इसके अलावा, सेवा के दौरान जांच का सामना कर रहे पुलिसकर्मियों की कानूनी फीस के लिए 10,000 यूरो तक की सहायता दी जाएगी.
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PM मेलोनी की प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री मेलोनी ने इस कानून को ‘नागरिकों, कमजोर वर्गों और सुरक्षा बलों की रक्षा के लिए एक निर्णायक कदम” बताया है. उन्होंने कहा कि यह कदम एक सुरक्षित इटली के उनके संकल्प की दिशा में उठाया गया एक ठोस प्रयास है.
विधेयक में यह भी कहा गया है कि जेलों या प्रवासी हिरासत केंद्रों में विद्रोह करने या आदेश न मानने वाले कैदियों को लंबी सजाएं दी जाएंगी. साथ ही, सार्वजनिक परिवहन में जेबतराशी करने वालों और गर्भवती होने का झूठा दावा कर जेल से बचने की कोशिश करने वालों के लिए भी कठोर नियम बनाए गए हैं.
मानवाधिकार संगठनों का विरोध
इस कानून को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि यह कानून असहमति को दबाने, नागरिक अधिकारों को सीमित करने और शांतिपूर्ण विरोध को अपराध घोषित करने की दिशा में उठाया गया कदम है.