Top NewsIndiaWorld
Other States | Delhi NCRHaryanaUttar PradeshBiharRajasthanPunjabJammu & KashmirMadhya Pradeshuttarakhand
Business
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariHoroscopeHealth & LifestyleViral NewsTech & AutoGadgetsvastu-tipsExplainer
Advertisement

'प्रेस पंजीकरण विधेयक' के आने से न्यूज सेक्टर में क्या-क्या होंगे बदलाव

06:38 PM Jan 09, 2024 IST | Rakesh Kumar

भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में प्रेस की कितनी बड़ी भूमिका रही है ये तो हम सभी को पता है। प्रेस आजादी के बाद से ही बहुमत और विचार के स्वतंत्रता की रक्षा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है। लेकिन, ऑनलाइन मीडिया और इंटरनेट के आने के बाद से दुनिया भर में सूचनाओं के पहुंच का दायरा भी बढ़ा है। आज के जमाने में कोई भी व्यक्ति घर बैठे-बैठे बड़ी ही आसानी से किसी भी देश में क्या चल रहा है इसकी जानकारी पा सकता है।

इंटरनेट के फायदों की बात

Advertisement

ये तो हुई इंटरनेट के फायदों की बात, लेकिन इस बात में कोई दोराय नहीं है कि दुनिया को इंटरनेट का जितना फायदा मिला है, उतना ही नुकसान भी हुआ है। इन नुकसानों में एक है आम लोगों तक गलत सूचना का पहुंचाया जाना, जिसे हम फेक न्यूज भी कहते हैं। ऐसे में केंद्र सरकार ने भारत में प्रेस की स्वतंत्रता और व्यापार में सुगमता लाने के लिए एक नए युग की शुरुआत की है। दरअसल 3 अगस्त को राज्यसभा में पारित होने के बाद, प्रेस और आवधिक पंजीकरण विधेयक, 2023 को 21 दिसंबर को लोकसभा में भी पारित कर दिया गया। इस विधेयक को प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन ऑफ पीरियॉडिकल बिल (PRP Bill) भी कहा जाता है। अब अगर यह विधेयक आने वाले दिनों में कानून की शक्ल लेता है तो यह प्रेस और पुस्तक के पंजीकरण अधिनियम 1867 और औपनिवेशिक युग के एक और कानून की समाप्ति मानी जाएगी। प्रेस और आवधिक पंजीकरण विधेयक 2023, ऑनलाइन माध्यम से पत्र-पत्रिकाओं के शीर्षक और पंजीकरण के आवंटन की प्रक्रिया को सरल बनाता है। आसान भाषा में समझे तो वर्तमान में जो कानून है उसके अनुसार अगर कोई व्यक्ति पीरियॉडिकल, पत्रिका या अखबार छपवाना चाहे तो सबसे पहले उसे उस पत्रिका को रजिस्टर करवाना होगा।

रजिस्ट्रेशन का नियम भी आसान नहीं

इतना ही नहीं उस रजिस्ट्रेशन का नियम भी आसान नहीं है। इसके लिए उस व्यक्ति को कई स्तर की कागजी कार्रवाई करनी होती है। इस कार्रवाई में काफी लंबा वक्त भी लग सकता है। लेकिन सरकार के नए बिल में इसी रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को थोड़ा आसान किया गया है। प्रेस और आवधिक पंजीकरण विधेयक साल 1867 में तैयार किया गया था। उस वक्त भारत में ब्रिटिश राज हुआ करता था। इस कानून को प्रेस, समाचार पत्रों और पुस्तकों के प्रकाशकों पर पूर्ण नियंत्रण रखने के लिए लाया गया था। इस कानून के तहत कोई भी प्रकाशक या व्यक्ति तय किए गए नियमों का उल्लंघन करता है तो उसे कारावास सहित भारी जुर्माना और दंड देना पड़ेगा। अब नए बिल को पेश करते वक्त सरकार ने भी यही तर्क दिया की भारत में मीडिया की स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए पुराने कानून को खत्म करके नए कानून को लागू करना जरूरी है। केंद्र सरकार के अनुसार अंग्रेजों का बनाया गया यह कानून आज के मीडिया की जरूरतों और व्यवसाय से पूरी तरह से मेल नहीं खाता है।

विस्तार से समझिए 1867 के कानून से कितना अलग है ये विधेयक

1। प्रेस और पुस्तक पंजीकरण अधिनियम 1867 कानून के तहत जिलाधिकारी के पास किसी भी पत्रिका के रजिस्ट्रेशन को सस्पेंड करने या कैंसिल करने का अधिकार होता है। लेकिन, प्रेस बिल 2023 के पास होने के बाद ये रजिस्ट्रेशन करने का अधिकार प्रेस रजिस्ट्रार जनरल के पास हो जाएगा।

2। पुराने कानून के मुताबिक पीरियॉडिकल, पत्रिका या अखबार के प्राकशकों को प्रकाशन से पहले डीएम को शपथ पत्र देना पड़ता है। लेकिन, नए विधेयक में इस तरह की कोई शर्त नहीं तय की गई है। इसका मतलब है कि प्रकाशक को डीएम को शपथ पत्र देने की जरूरत नहीं होगी।

3। प्रेस और पुस्तक पंजीकरण अधिनियम 1867 कानून के अनुसार कोई भी अखबार या पत्रिका के गलत जानकारी छापने पर प्रकाशक को कम से कम 2 हजार का जुर्माना और 6 महीने की जेल हो सकती थी। लेकिन नया नियम कहता है कि जेल केवल उसी स्थिति में हो सकती है जब कोई व्यक्ति बिना रजिस्ट्रेशन के पत्रिका-अखबार छापने की कोशिश करे।

4। प्रेस बिल 2023 के अनुसार ऐसा कोई भी व्यक्ति जो पहले किसी आतंकी गतिविधि या किसी गैरकानूनी काम के लिए सजा काट चुका हो, देश की सुरक्षा से खिलवाड़ करने का कोई कर चुका हो, उसे पत्रिका-अखबार छापने का अधिकार नहीं होगा।

5। इस कानून के दायरे में डिजिटल मीडिया- समाचार को भी लाया गया है। डिजिटल मीडिया के लिए भी वन टाइम रजिस्ट्रेशन यानी OTR के माध्यन से रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य होगा तभी वह कोई भी न्यूज दे पाएंगे। पहले डिजिटल मीडिया इस कानून के दायरे में नहीं आता था।

6। ऊपर बताए गए नियमों में बदलाव के अलावा प्रेस बिल 2023 में एक नया प्रावधान जोड़ा गया है। अपीलिय प्राधिकारी का। इस प्रावधान के तहत प्रेस और पंजीकरण अपीलीय बोर्ड बनाया जाएगा। इस बोर्ड में भारतीय प्रेस परिषद के एक अध्यक्ष और दो सदस्य होंगे। अगर किसी प्रकाशक को रजिस्टर करने से इंकार किया जाता है, पीआरजी द्वारा कोई जुर्माना लगाया जाता है या रजिस्ट्रेशन को टाला जाता है तो प्रकाशक इस बोर्ड के पास शिकायत दर्ज कर सकते हैं।

 

Advertisement
Next Article