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Waqf Amendment Bill 2025 में मोदी सरकार ने क्या बदला, जानें आसान शब्दों में सबकुछ

आसान शब्दों में जानें वक्फ संशोधन बिल के बारे में सबकुछ

10:33 AM Apr 02, 2025 IST | Neha Singh

आसान शब्दों में जानें वक्फ संशोधन बिल के बारे में सबकुछ

waqf amendment bill 2025 में मोदी सरकार ने क्या बदला  जानें आसान शब्दों में सबकुछ
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मोदी सरकार ने वक्फ संशोधन बिल 2025 लोकसभा में पेश किया है, जिससे वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और पारदर्शिता में सुधार होगा। विपक्ष और मुस्लिम संगठनों ने इस बिल का विरोध किया है, जबकि सरकार का कहना है कि यह बिल वक्फ संपत्तियों के सही प्रबंधन के लिए आवश्यक है।

आज केंद्र की मोदी सरकार ने लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल पेश किया है। सदन में इसको लेकर बहस जारी है। इस बिल को लेकर पूरे देश में बवाल मचा हुआ है। पूरे विपक्ष और कई मुस्लिम संगठनों ने वक्फ संशोधन बिल का विरोध किया। विपक्ष ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार इस बिल के जरिए मुस्लिमों के अधिकारों का हनन कर रही है। वहीं सरकार का कहना है कि भारत में वक्फ की ज़मीन करीब 9 लाख एकड़ है। यह कुछ मुस्लिम देशों से भी ज्यादा है। इसलिए इसका सही प्रबंधन जरूरी है। आइए जानते हैं कि केंद्र सरकार ने इस बिल में क्या कुछ बड़े बदलाव किए गए हैं। लेकिन उससे पहले समझिए कि वक्फ बिल क्या है।

वक्फ बिल क्या है?

वक्फ संशोधन बिल 2024, वक्फ अधिनियम 1995 में बदलाव करने वाला एक विधेयक है। इसके उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन, पारदर्शिता और दुरुपयोग के लिए नियमों को सख्त करना है। पिछल वक्फ अधिनियम 1995 के मुताबिक यदि कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति वक्फ को दान करता है तो वो वक्फ की जमीन हो जाती है। इसके बाद वो चाहकर भी अपनी जमीन वक्फ से वापस नहीं ले सकता।  

क्या बदलाव हुए

1 धर्म बदलने पर लगेगी लगाम

सूत्रों के मुताबिक इस बिल में कहा गया है कि जो भी व्यक्ति वक्फ बोर्ड को जमीन दान करेगा, उसे यह साबित करना होगा कम से कम 5 साल से वह इस्लाम का पालन कर रहा है। इससे धर्म बदलवाकर जमीन हथियाने के मामलों पर लगाम लगेगी। अब वक्फ ट्रिब्यूनल में 2 की जगह 3 सदस्य होंगे और तीसरा सदस्य इस्लामिक विद्वान होगा। पहले संशोधन विधेयक में ट्रिब्यूनल में दो सदस्यों का प्रावधान था। अब वक्फ बोर्ड अगर किसी जमीन पर अपना दावा करता है तो उसे 6 महीने के अंदर रजिस्ट्रेशन करवाना होगा।

2 ‘वक्फ बाय यूजर’ का हटाया गया

पहले के कानून में अगर कोई जमीन लंबे समय से वक्फ के लिए इस्तेमाल हो रही थी तो उसे वक्फ माना जा सकता था। इसे ‘वक्फ बाय यूजर’ कहा जाता था। लेकिन, नए बिल में इस प्रावधान को हटा दिया गया है। जेपीसी ने कहा कि ‘वक्फ बाय यूजर’ को हटाने का नियम अतीत से नहीं, बल्कि भविष्य में लागू होना चाहिए। यानी, यह नियम पहले से वक्फ मानी जाने वाली जमीनों पर लागू नहीं होना चाहिए।

3 कलेक्टर करेगा फैसला

पुराने कानून में वक्फ से जुड़े मामलों पर फैसला लेने का अधिकार वक्फ ट्रिब्यूनल के पास था। अगर किसी जमीन पर कोई विवाद है तो ट्रिब्यूनल यह तय करता था कि वह जमीन वक्फ है या नहीं। नए बिल में कहा गया है कि अगर इस बात पर विवाद है कि जमीन वक्फ है या सरकारी, तो इस मामले पर जिला कलेक्टर (डीसी) फैसला लेंगे। जेपीसी ने कहा कि जिला कलेक्टर से ऊपर का अधिकारी, जिसे राज्य सरकार नियुक्त करेगी, इस मामले पर फैसला करे।

4 गैर मुस्लिम भी होंगे बोर्ड के सदस्य

पुराने कानून के अनुसार वक्फ ट्रिब्यूनल के सीईओ का मुस्लिम होना जरूरी था। लेकिन, नए बिल में गैर-मुस्लिम सीईओ को भी अनुमति दी गई है। बिल में यह भी कहा गया है कि बोर्ड के कुल सदस्यों में से दो सदस्य गैर-मुस्लिम होंगे। बिल में बोहरा और अघाखानी समुदाय के लोगों को प्रतिनिधित्व देने की बात भी कही गई है।

फिलहाल सदन में वक्फ बिल पर बहस जारी है। कुछ देर बाद बिल को पास करने के लिए वोटिंग की जाएगी। अगर विधेयक पास हो जाता है तो इसे राज्सभा में पेश किया जाएगा। दोनों सदनों से पास होने के बाद इस विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। राष्ट्रपित के हस्ताक्षर करने के बाद यह विधेयक बिल बन जाएगा और वक्फ बोर्ड पर लागू होगा।

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