ये रेयर अर्थ मिनरल्स आखिर है क्या ?
जब यह खबर आई कि चीन ने रेयर अर्थ मिनरल्स की आपूर्ति को बाधित करने का निर्णय लिया है तो दुनियाभर में हड़कंप मच गया। सबके सामने एक सवाल कि अब आगे क्या होगा? क्या वाकई दुनिया चीन की मुट्ठी में है? तो मैंने सोचा कि इस बार के कॉलम में आपके साथ क्यों न उस रेयर अर्थ मिनरल्स के बारे में चर्चा की जाए जिसने दुनिया को हिला कर रख दिया है। रेयर अर्थ मिनरल्स वैसे विज्ञान का विषय है लेकिन हम इसे सामान्य स्तर पर समझें तो कहानी समझ में आ जाती है। विज्ञान अभी तक जितने तत्वों को जान पाया है और उनका अध्ययन कर पाया है, उनमें से 17 तत्व ऐसे हैं जिन्हें हम रेयर अर्थ मिनरल्स कहते हैं। ये हैं लैंथेनम, सेरियम, प्रेजोडायमियम, नियोडिमियम, प्रोमेथियम, समैरियम, युरोपियम, गैडोलीनियम, टेरबियम, डिस्प्रोसियम, होल्मियम, एर्बियम, थुलियम, यटरबियम, ल्यूटिटियम, स्कैंडियम और यट्रियम, मोबाइल फोन, लैपटॉप, टीवी स्क्रीन, कम्प्यूटर हार्ड ड्राइव, मैमोरी कार्ड से लेकर सोलर पैनल और पवन टर्बाइन, हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी और मोटर्स तक में इनका उपयोग किया जाता है। इतना ही नहीं, गाइडेड मिसाइलें, रडार सिस्टम, जेट इंजन और अन्य डिफेंस टेक्नोलॉजी से लेकर एमआरआई मशीन और अन्य मेडिकल उपकरणों में इनका उपयोग होता है।
यानी ये 17 तत्व नए दौर की जिंदगी का सबसे अहम हिस्सा हैं लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हम जिन्हें रेयर अर्थ मिनरल्स कह रहे हैं, वे वास्तव में रेयर अर्थात दुर्लभ नहीं हैं। पृथ्वी के पास इनका भरपूर भंडार है, फिर इन्हें दुर्लभ क्यों कहते हैं? इसकी चर्चा करेंगे, लेकिन उससे पहले आपको यह जानकर गर्व के साथ हैरानी हो सकती है कि यूनाइटेड स्टेट जियोलॉजिकल सर्वे की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ रेयर अर्थ मिनरल्स की उपलब्धता के मामले में भारत दुनिया में तीसरे नंबर पर है, फिर भी हम अपनी जरूरत का करीब 97 प्रतिशत रेयर अर्थ मिनरल्स चीन से प्राप्त करते हैं। इसका कारण जानने से पहले यह जान लेते हैं कि यूनाइटेड स्टेट जियोलॉजिकल सर्वे की ताजा रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में किसके पास कितना रेयर अर्थ मिनरल्स है। दुनिया में सबसे ज्यादा लगभग 44 करोड़ मीट्रिक टन दुर्लभ खनिज का भंडार अकेले चीन के पास है। दूसरे नंबर पर ब्राजील है जिसके पास 21 करोड़ मीट्रिक टन का भंडार है। तीसरे नंबर पर भारत है जिसके पास 69 लाख मीट्रिक टन, चौथे नंबर पर ऑस्ट्रेलिया के पास 57 लाख मीट्रिक टन तथा पांचवें नंबर पर रूस के पास 38 लाख व उसके बाद अमेरिका के पास 19 लाख मीट्रिक टन दुर्लभ खनिज का भंडार है।
रेयर अर्थ मिनरल्स की खासियत यह है कि इसमें हाई मैग्नेटिक फील्ड, लाइट एमिटिंग प्रॉपर्टी, हाई मेल्टिंग प्वाइंट्स, बॉइलिंग प्वाइंट्स, हाई इलेक्ट्रिकल थर्मल कंडक्टिविटी के गुण होते हैं जो इसे बहुउपयोगी बनाते हैं। चीन ने बहुत पहले समझ लिया था कि आने वाले वक्त की सबसे बड़ी संपदा यही रेयर अर्थ मिनरल्स होने वाले हैं, इसलिए उसने खनन और प्रोसेसिंग की बेहतरीन तकनीक विकसित कर ली। 70 प्रतिशत खनन अकेले चीन करता है और दुनिया के करीब 90 प्रतिशत रेयर अर्थ मिनरल्स की प्रोसेसिंग चीन में होती है, यहां तक कि भारत भी जो खनन करता है, वह भी प्रोसेसिंग के लिए चीन भेजता है, वैसे भी रेयर अर्थ मिनरल्स की माइनिंग बहुत कठिन और महंगा काम है, ये दुर्लभ खनिज हाई रेडियोएक्टिव एलिमेंट्स जैसे यूरेनियम और थोरियम के साथ मिक्स पाए जाते हैं इसलिए इनकी माइनिंग के लिए अत्यंत कुशलता की जरूरत होती है अन्यथा रेडिएशन हो सकता है और न केवल काम करने वाले बल्कि आसपास के लोगों के लिए भी जान का खतरा हो सकता है। जहां तक भारत का सवाल है तो हमारे पास अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी की कमी है। ऑस्ट्रेलिया और स्वीडन जैसे कई देशों पर हमें खनन टेक्नोलॉजी के लिए निर्भर रहना पड़ता है, हालांकि हमारे वैज्ञानिक इस पर लगातार काम करते रहे हैं और जल्दी ही हम कुशलता प्राप्त कर लेंगे। भारत ने इसके लिए ‘नेशनल क्रिटिकल मिनरल मिशन’ शुरू किया है, इस मिशन के तहत 2031 तक 30 प्रमुख खनिज भंडारों की पहचान की जानी है, यदि हम संसाधनों का सही दोहन और प्रोसेसिंग करने में सक्षम हो गए तो आत्मनिर्भर हो जाएंगे।
मौजूदा वैश्विक परिदृश्य में रेयर अर्थ मिनरल्स के मामल में चीन पर निर्भर रहना अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारना है। यह पहली बार नहीं है जब चीन ने इसकी आपूर्ति को बाधित किया है। 2010 में भी चीन ने जापान, अमेरिका और यूरोपीय देशों को रेयर अर्थ मिनरल्स देना बंद कर दिया था। अभी हाल ही में चीन ने फिर से निर्यात प्रतिबंध लगा दिए जिससे स्मार्टफोन, सैन्य उपकरण और हरित ऊर्जा प्रोजेक्ट्स पर गंभीर असर पड़ा है। यही कारण है कि अमेरिका भी रेयर अर्थ मिनरल्स के लिए हाथ-पांव मार रहा है। ऑस्ट्रेलिया के साथ अमेरिका ने आनन-फानन में जो डील की है वह काफी कुछ रेयर अर्थ मिनरल्स को लेकर ही है। ट्रम्प की नजर ग्रीनलैंड पर इसीलिए है क्योंकि वहां बहुतायत में रेयर अर्थ मिनरल्स मिलने की संभावना है। यूक्रेन से जो इलाका रूस ने जीता है, वहां भी काफी रेयर अर्थ मिनरल्स है। रसायन विज्ञान के 17 तत्वों ने वाकई दुनिया में भूचाल ला दिया है। जिसके पास जितना रेयर अर्थ मिनरल्स होगा, वह उतना ही धनाढ्य और उतना ही शक्तिशाली होगा। फिलहाल तो दिल यही कह रहा है...
तू न रह मेरे लिए दुर्लभ/ तू मेरी ख्वाहिशों में है,
तू चाहत है मेरी/ और तू ही तमन्ना है मेरी!
और अंत में डोनाल्ड ट्रम्प के खिलाफ पिछले सप्ताह अमेरिका में 2600 से ज्यादा प्रदर्शन हुए, जिनमें 70 लाख लोग शामिल हुए। ये अभूतपूर्व था। इसके पहले किसी राष्ट्रपति के खिलाफ अमेरिका में इतना बड़ा प्रदर्शन कभी नहीं हुआ लेकिन दुनिया के सबसे शक्तिशाली नेता कहलाने वाले ट्रम्प ने इसका कैसा जवाब दिया? उन्होंने अपना एआई वीडियो बनवाकर खुद को प्रदर्शनकारियों पर गंदगी गिराते हुए दिखाया। क्या यह उन्हें शोभा देता है? संभव है कि ट्रम्प कांग्रेस से डरे हुए हों लेकिन खुद को बहादुर बताने के चक्कर में ऐसी हरकत कर रहे हों! उन्हें कौन सद्बुद्धि देगा?