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लोकसभा चुनाव से पूर्व केंद्र सरकार ने सीएए का नोटिफिकेशन जारी कर पूरे देश में चर्चा का एक पुराना विषय नए रूप में दे दिया है। इस क़ानून के द्वारा 2014 से पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए गैर मुस्लिम प्रवासियों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) को भारत की नागरिकता मिल सकती है। नागरिकता प्राप्त करने हेतु केंद्र सरकार ने ऑनलाइन पोर्टल भी तैयार किया है। जहा पर आवेदन कर सकते है।
CAA का पूरा नाम अंग्रेजी में सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट है जिसे हिंदी में नागरिकता संशोधन अधिनियम कहा जाता है। सीएए भारतीय संसद में साल 2019 में 11 दिसंबर को पारित किया गया था , जिसमें 25 वोट इसके पक्ष में पड़े थे और 105 वोट इसके विरोध में। 12 दिसंबर को इस विधेयक को राष्ट्रपति द्वारा मंजूरी मिली थी। सीएए के तहत नागरिकता पाने का आवेदन ऑनलाइन ही होगा। इसे लेकर एक ऑनलाइन पोर्टल भी तैयार किया गया है।
नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 एक ऐसा कानून है, जिसके तहत दिसंबर 2014 से पहले तीन पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत में आने वाले छह धार्मिक अल्पसंख्यकों (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई) को नागरिकता दी जाएगी. नागरिकता संशोधन बिल पहली बार 2016 में लोकसभा में पेश किया गया था। यहां से तो ये पास हो गया था लेकिन राज्यसभा में रह गया। बता दें कि इस कानून के तहत उन लोगों को अवैध प्रवासी माना गया है, जो भारत में वैध यात्रा दस्तावेज (पासपोर्ट और वीजा) के बगैर घुस आए हैं या फिर वैध दस्तावेज के साथ तो भारत आए हैं लेकिन समय बीत जाने के बाद भी वह अपने देश वापस नहीं गए हैं।
CAA लागू होने के बाद नागरिकता देने का अधिकार पूरी तरह से केंद्र सरकार के पास होगा. पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी धर्म से जुड़े शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता दे दी जाएगी. नागरिकता पाने की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन ही रखी गई है, जिसे लेकर एक ऑनलाइन पोर्टल भी तैयार किया. नागरिकता पाने के लिए आवेदकों को अपना वह साल बताना होगा, जब उन्होंने बिना किसी दस्तावेज के भारत में आए थे। नागरिकता पाने के लिए आवेदकों से किसी तरह का कोई दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा। पात्र विस्थापितों को सिर्फ ऑनलाइन पोर्टल पर जाकर अपना आवेदन करना होगा। जिसके बाद गृह मंत्रालय आवेदन की जांच करेगा और आवेदक को नागरिकता जारी कर दी जाएगी।