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क्या है डिसलिपिडेमिया? जिससे सरकारी की तुलना में प्राइवेट स्कूल के बच्चे अधिक प्रभावित

डिसलिपिडेमिया: सरकारी स्कूलों की तुलना में प्राइवेट स्कूलों में अधिक

04:32 AM May 30, 2025 IST | Amit Kumar

डिसलिपिडेमिया: सरकारी स्कूलों की तुलना में प्राइवेट स्कूलों में अधिक

क्या है डिसलिपिडेमिया  जिससे सरकारी की तुलना में प्राइवेट स्कूल के बच्चे अधिक प्रभावित

दिल्ली के स्कूलों में डिसलिपिडेमिया की बढ़ती समस्या पर एम्स की रिपोर्ट ने चिंता जताई है। प्राइवेट स्कूलों के बच्चों में मोटापा और लिपिड असंतुलन की दर अधिक है। विशेषज्ञों के अनुसार, असंतुलित खानपान और कम शारीरिक गतिविधि इसके कारण हैं। माता-पिता और स्कूलों को बच्चों की जीवनशैली में सुधार लाने की जरूरत है।

What is dyslipidemia: देश की राजधानी दिल्ली के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की सेहत को लेकर एक चिंताजनक रिपोर्ट सामने आई है. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) की एक हालिया रिसर्च में पता चला है कि दिल्ली के लगभग 34 प्रतिशत स्कूली बच्चे डिसलिपिडेमिया से प्रभावित हैं. यह स्थिति शरीर में लिपिड (वसा) के असंतुलन को दर्शाती है, जो आगे चलकर मोटापा, हार्ट अटैक और डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती है.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, AIIMS द्वारा की गई इस स्टडी में 6 से 19 वर्ष की आयु के 3,888 बच्चों को शामिल किया गया. अध्ययन में यह पाया गया कि प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों में मोटापा, हाई बीपी और लिपिड असंतुलन के मामले अधिक देखे गए, जबकि सरकारी स्कूलों में भी यह समस्या तेजी से बढ़ रही है.

लाइफस्टाइल- खानपान है मुख्य वजह

एम्स की बायोस्टैटिस्टिक्स विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. एम. कलैवानी का कहना है कि बच्चों की बिगड़ती जीवनशैली और असंतुलित खानपान इस समस्या की सबसे बड़ी वजह है.

बच्चे आजकल ज्यादा स्नैक्स और जंक फूड खा रहे हैं फिजिकल एक्टिविटी में कमी आ रही है. वहीं खेलने-कूदने की जगह बच्चे मोबाइल और लैपटॉप पर अधिक समय बिता रहे हैं. इस वजह से उनके शरीर, खासकर पेट के आसपास चर्बी जमा हो रही है, जो आगे चलकर कई बीमारियों को जन्म दे सकती है.

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कैसे करें बचाव?

कलैवानी के अनुसार, इस समस्या से निपटने के लिए माता-पिता और स्कूलों को मिलकर बच्चों की लाइफस्टाइल में बदलाव लाने की जरूरत है.

1-स्वस्थ और संतुलित आहार दें, जिसमें प्रोटीन और विटामिन भरपूर हो

2-जंक फूड और स्ट्रीट फूड से दूरी बनाएं

3-बच्चों को खेलने और व्यायाम करने के लिए प्रेरित करें

4-स्क्रीन टाइम को सीमित करें

समय रहते ध्यान देने पर इस गंभीर समस्या से बचा जा सकता है और बच्चों को एक स्वस्थ भविष्य दिया जा सकता है.

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Amit Kumar

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