क्या सोच रही है हिंद-पाक की जनता सिंदूर के बाद!
आजकल व्हाट्सअप पर सब कुछ आ जाता है। पाकिस्तानी जनता से विभिन्न यूट्यूब चैनलों के एंकर पूछते हैं कि क्या भारत सिंदूर-2 करेगा तो वे राजनेताओं की तरह यह नहीं रटते कि ऐसा हुआ तो भरपूर ताक़त से जवाब दिया जाएगा, बल्कि नामचीन महिला पत्रकार आशूर काजमी ने तो यहां तक कहा कि जब पाकिस्तानी दहशतगर्द (आतंकी) हिंदुस्तान के बेगुनाह बाशिंदों और फ़ौजियों की जान लेंगे तो उनको पूरा अधिकार है बदला लेने का। फिर उन्होंने यह भी कहा कि मोदी से पंगा ले कर पाकिस्तान ने भारी ग़लती की है। उन्होंने मोदी की इस बात की हिमायत भी की कि "गोली और बोली" साथ-साथ चलना असंभव है।
एक अन्य युवक ने यहां तक कह दिया कि उन्हें मोदी जैसा शासक चाहिए न कि शाहबाज शरीफ और आसिम मुनीर जैसे ढीले लोग! लाहौर से कराची, इस्लामाबाद और बलूचिस्तान के लोगों में सिंदूर-1 का दबदबा बैठा हुआ है और ख़ौफ़ज़दा हैं कि कब सिंदूर-2 से पुनः पाकिस्तान को ठोका जाए। दिल्ली में आयोजित एक भारत-पाक संगोष्ठी में, जिसे "इंडो-पाक पीस प्लेटफार्म" के सर्वे सर्वा ओ.पी. शाह ने संयोजित किया था, इस बात का आभास हुआ कि आज पूरा पाकिस्तान किसी भी समय सिंदूर-2 होने के भय से ग्रसित बैठा है। यह मात्र 22 अप्रैल को पहलगाम हमले के कारण नहीं, जहां 26 लोगों की मौत हुई थी, बल्कि, पाकिस्तान की उस मानसिकता के कारण है, जो एक लंबे समय से कभी छत्तीसिंह पुरा, कभी उड़ी, कभी पुलवामा में पाकिस्तानी आतंकवादियों, आईएसआई व सेना द्वारा क़त्ल किए बेगुनाह भारतीय नागरिक व सैनिक मारे जाते रहे हैं। आज पूरा पाकिस्तान इस डर से कांप रहा है, कि कब भारत उन से सिंदूर के खून का बदला चुका ले।
इस संदर्भ में एक ओर जहां पूर्व पाकिस्तानी राजनायिक, अशरफ जहांगीर काज़ी ने जहां भारत से संयम से सोचने की बात की, बल्कि हाथ जोड़े, वहीं उसके पूर्व मंत्री खुर्शीद महमूद कसूरी ने भारत से युद्ध की धमकी दी, यदि पानी रोका गया। क्या पाकिस्तान धमकियां देने से उस समय बाज़ आएगा, जब उसकी ईंट से ईंट बज जाएगी! वास्तव में भारत-पाकिस्तान उसी प्रकार से सगे भाईयों की तरह हैं, जो 1947 के विभाजन के बाद बिछड़ गए। ये दोनों एक ही मां के बेटे हैं, जैसा कि भारत रत्न, मौलाना आज़ाद ने पंजाब के विभाजन के समय कहा था कि पानी को तलवार से काटा नहीं जा सकता। वे पाकिस्तान की स्थापना के सख्त विरोधी थे और मुसलमानों से कहते थे कि उनकी धरोहर भारत में ही है और जब जिन्ना ने मुस्लिमों को बहकाया, भटकाया और भड़काया तो बहुत से पाकिस्तान चले गए। आज़ाद ने यह देखा तो बड़े दुखी हुए और एक दिन जामा मस्जिद की सीढ़ियों से उन्हें रोकने का आह्वान किया कि उनकी धरोहर, संस्कृति, संस्कार, मस्जिदें, मदरसे उन्हें पुकार रहे हैं।
विभाजन को लेकर आज़ाद के मन मस्तिष्क पर बड़ी गहरी चोट थीं, ऐसे मुस्लिमों को उन्होंने ललकारा और लताड़ा कि जब आज़ाद ने दौड़ना चाहा तो उनके पांव तोड़ दिए, जब उन्होंने लिखना चाहा तो हाथ क़लम कर दिए और जब उन्होंने बोलना चाहा, तो उनकी ज़बान पकड़ ली। उन्होंने महात्मा गांधी और पंडित नेहरु पर आरोप लगाया था कि भारत के विभाजन के वे जिम्मेदार थे, क्योंकि गांधी ने आज़ाद को वचन दिया था कि अगर विभाजन हुआ तो उनकी लाश पर होगा, मगर नेहरु द्वारा बहकाए जाने पर गांधीजी भटक गए और विभाजन हो गया, मगर कांग्रेस की इस परिवारवादी मानसिकता ने हर स्थान पर नेहरू-गांधी को थोप और छाप दिया, जबकि आज़ाद, पटेल, लाल बहादुर शास्त्री को पूर्ण रूप से लुप्त कर दिया। इस वार्ता में कई पाकिस्तानी लोगों ने ही पाकिस्तान को कोसा कि एक बड़े भाई की तरह उस से क्रॉस बॉर्डर लाभ उठाने चाहिए थे।
नामचीन शायर, फैज़ अहमद फैज़ की बेटी, हलीमा ने कहा कि कुछ पाकिस्तानियों की बेवकूफी के कारण हिंद-पाक मुशायरे, साहित्यिक व पत्रकारिता, नाट्य कला, खेल-कूद आदि गतिविधियों पर भी भारत ने रोक लगा दी है। मुजफ्फराबाद बस, लाहौर बस, समझौता एक्सप्रेस आदि भी ठप्प हैं। एक अन्य प्रसिद्ध लेखिका, बीना सरवर ने कहा कि अब भारत-पाकिस्तान के रिश्ते बेहतर होने चाहिएं, क्योंकि मेडिकल टूरिज्म के बंद होने से या तो कई पाकिस्तानी जानें गंवा रहे हैं, या हज़ारों गुणा महंगे इलाज के लिए अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया आदि जा रहे हैं और इन्सानियत का तकाज़ा यह है कि उसे बहाल करना चाहिए, मगर बीना को यह भी समझना चाहिए कि इन्सानियत का तकाज़ा यह भी है कि बेगुनाह हिन्दुस्तानियों की जान भी बराबर की कीमती है।