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क्या है प्रेह विहेयर मंदिर विवाद? जिसे लेकर 1 हजार साल से भिड़ते हैं थाइलैंड और कंबोडिया

12:41 PM Jul 02, 2025 IST | Priya

बैंकॉक/नोम पेन्ह: थाईलैंड की संवैधानिक अदालत ने 2 जुलाई को प्रधानमंत्री पैतोंगतर्न शिनावात्रा को पद से निलंबित कर दिया है। यह फैसला एक कथित विवादास्पद फोन कॉल के चलते आया, जिसमें उन्होंने कंबोडिया के एक वरिष्ठ नेता से घनिष्ठ संबंधों का संकेत दिया। यह वार्ता उस वक्त हुई थी जब दोनों देशों के बीच सीमा पर तनाव चरम पर था। लीक हुई इस कॉल में पैतोंगतर्न ने कंबोडियाई नेता को "चाचा" कहकर संबोधित किया, जिसने थाईलैंड में राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया। आम जनता और विपक्ष ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता से जुड़ा गंभीर मामला बताया, खासकर उस समय जब दोनों देशों के बीच एक हजार साल पुराने प्रेह विहेयर मंदिर को लेकर टकराव फिर तेज हो गया है।

क्या है प्रेह विहेयर मंदिर विवाद?
प्रेह विहेयर मंदिर एक 9वीं सदी का हिंदू मंदिर है, जिसे खमेर सम्राट सूर्यवर्मन ने भगवान शिव के लिए बनवाया था। यह मंदिर आज कंबोडिया के सीमावर्ती प्रांत में स्थित है, लेकिन थाईलैंड इस पर आंशिक दावे करता रहा है। मंदिर को 2008 में यूनेस्को द्वारा वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित किए जाने के बाद से ही दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ता गया। 2008 से 2011 के बीच मंदिर को लेकर कई बार सैन्य झड़पें हो चुकी हैं। 2011 की हिंसा में दोनों ओर से सैनिकों और नागरिकों की जानें गई थीं, और हजारों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाना पड़ा था।

ताज़ा टकराव और अंतरराष्ट्रीय कदम
हाल ही में 28 मई को सीमा पर फिर हालात बिगड़ गए। कंबोडिया का आरोप है कि उसकी सेना जब नियमित गश्त कर रही थी, तब थाई सैनिकों ने हमला कर दिया। वहीं थाईलैंड का कहना है कि गोलीबारी की शुरुआत कंबोडियाई फौज ने की। इस झड़प में एक कंबोडियाई सैनिक की मौत हो गई। इसके बाद, 1 जून को कंबोडिया के प्रधानमंत्री हुन मानेट ने ऐलान किया कि वे यह मामला इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) में ले जाएंगे। उनकी संसद ने भी इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। हालांकि, थाईलैंड ICJ के अधिकार क्षेत्र को मान्यता नहीं देता। फिर भी दोनों देशों ने 14 जून को एक साझा बैठक में सीमा विवाद पर जॉइंट बाउंड्री कमेटी (JBC) के जरिए बातचीत पर सहमति जताई।

ASEAN की भूमिका सवालों के घेरे में
2011 में जब मंदिर विवाद ने हिंसक रूप लिया था, तब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने मामला ASEAN को सौंपा था। इंडोनेशिया की पहल पर दोनों देशों ने संयुक्त निगरानी टीम की तैनाती भी स्वीकार की थी। हालांकि इस बार ASEAN की ओर से कोई स्पष्ट या ठोस प्रतिक्रिया अब तक सामने नहीं आई है।

राजनीतिक अस्थिरता गहराई
प्रधानमंत्री शिनावात्रा की निलंबन की खबर ऐसे समय आई है जब थाईलैंड में पहले से ही राजनीतिक ध्रुवीकरण तेज है। विपक्ष इस फोन कॉल को थाई संप्रभुता पर सीधा हमला बता रहा है, वहीं शिनावात्रा समर्थक इसे राजनीति से प्रेरित कार्रवाई करार दे रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि मंदिर विवाद और प्रधानमंत्री के निलंबन ने थाईलैंड और कंबोडिया दोनों में राष्ट्रीय राजनीति को गहरे संकट में धकेल दिया है।

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