क्या है कड़कनाथ मुर्गे की खासियत? जो झारखंड में तेजी से हो रहा लोकप्रिय
कड़कनाथ: झारखंड में बढ़ रही मांग और कीमत
कड़कनाथ मुर्गा अपनी अनोखी बनावट और औषधीय गुणों के कारण झारखंड में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। उच्च प्रोटीन और कम कोलेस्ट्रॉल के कारण यह हृदय रोग, मधुमेह और कैंसर जैसी बीमारियों के लिए फायदेमंद है। इसकी मांग रांची, बोकारो और जमशेदपुर में बढ़ रही है, जिससे इसकी कीमतें भी बढ़ गई हैं।
Kadaknath Chicken: कड़कनाथ मुर्गा अपनी अनोखी बनावट और औषधीय गुणों के कारण झारखंड में तेज़ी से लोकप्रिय हो रहा है. इसे ‘ब्लैक चिकन’ या ‘कालीमासी’ के नाम से भी जाना जाता है. इस नस्ल की सबसे खास बात है कि इसकी त्वचा, मांस, हड्डियां और खून तक काले रंग के होते हैं.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कड़कनाथ मुर्गा उच्च प्रोटीन (25% से अधिक) और कम कोलेस्ट्रॉल (180 मिग्रा प्रति 100 ग्राम) वाला होता है, जिससे यह हृदय रोग, मधुमेह और कैंसर जैसी बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है.
झारखंड में तेजी से बढ़ रही डिमांड
बता दें कि रांची, बोकारो और जमशेदपुर जैसे शहरी क्षेत्रों में कड़कनाथ की मांग में भारी इज़ाफा देखा गया है. इसी के चलते इसका मांस आम चिकन की तुलना में काफी महंगा बिक रहा है. मांस की नॉर्मल कीमत, 800 से 1200 रुपए प्रति किलो है. वहीं सर्दियों में बात करें तो यह मुर्गा 1000 से 1500 रुपए प्रति किलो तक बिकता है.
इसके अंडे की कीमत की बात करें तो यह 30 से 50 प्रति अंडा है. वहीं बोकारो में कभी-कभी ये ऑफर के दौरान 5 रुपए में भी मिल जाता है. वहीं एक व्यस्क मुर्गे की कीमत की बात करें तो वह, 3000 से 4000 रुपए किलो तक होती है. इस मुर्गे का वजन 1.8 से 2.5 किलो तक होता है.
सरकार दे रही इस मुर्गे के पालन को बढ़ावा
राज्य सरकार राष्ट्रीय पशुधन योजना के अंतर्गत कड़कनाथ पालन को बढ़ावा दे रही है. इस योजना के तहत किसानों को बैंक लोन के साथ 25 लाख रुपए तक की सब्सिडी मिल रही है. रांची, बोकारो और दुमका जैसे जिलों में कई पोल्ट्री फार्म इस नस्ल का उत्पादन कर रहे हैं, जिससे स्थानीय उपलब्धता भी बढ़ी है.
‘कम लागत में ज्यादा मुनाफा’
कड़कनाथ पालन अब एक फायदे का सौदा बन चुका है, विशेषकर ग्रामीण किसानों के लिए. ऐसे में इसके 100 चूजों पर शुरुआती खर्च, 15,000 से 20,000 रुपए तक आता है. वहीं इसके एक चूजे की खुराक के खर्च की बात करें तो, वह 500 से 700 रुपए तक है. इसके अलावा इस मुर्गे की मृत्यु दर कम होने से जोखिम भी कम होता है. इसकी टिकाऊ प्रकृति और पोषण गुणों के चलते यह एक स्थायी आय का स्रोत बनकर उभर रहा है.
सांप्रदायिक हिंसा से Karnataka को बड़ा झटका: DK Shivkumar
स्वास्थ्य और स्वाद का बेहतरीन मेल
अब कड़कनाथ केवल स्वाद के लिए नहीं, बल्कि सेहत और आमदनी के लिए भी पहचाना जा रहा है. अगर आप इस मुर्गे का पालन करना चाहते हैं या इससे लाभ उठाना चाहते हैं, तो सही समय पर जानकारी लेना और शुरुआत करना ही आपकी सबसे बड़ी ताकत होगी.