Top NewsindiaWorldViral News
Other States | Delhi NCRHaryanaUttar PradeshBiharRajasthanPunjabjammu & KashmirMadhya Pradeshuttarakhand
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariBusinessHealth & LifestyleVastu TipsViral News
Advertisement

कब है देवउठनी एकादशी

12:33 PM Sep 17, 2024 IST | Astrologer Satyanarayan Jangid

देवउठनी एकादशी : जैसा कि विदित है कि गत आषाढ़ कृष्ण पक्ष, एकादशी अर्थात, 17 जुलाई, 2024 को देवशयनी एकादशी के साथ ही चातुर्मास की शुरूआती हुई थी। मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीविष्णु निद्रा में चले गये। भगवान श्रीविष्णु जब निद्रा में होते हैं तब तक सभी सनातन धार्मिक कार्यक्रम निलम्बित रहते हैं। इसके आगामी कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तद्दुसार 12 नवंबर, 2024, मंगलवार को यह निद्रा पूर्ण करके श्रीविष्णु उठेंगे।

देवउठनी एकादशी से लौट आयेगा शादियों का मौसम

आम बोलचाल की भाषा में इसे देव-उठनी एकादशी कहा जाता है। इसके साथ ही विवाहादि शुभ कार्यों की शुरूआत हो जाती है। शहनाइयों की मधुर ध्वनि सारे वातावरण को अलौकिक कर देगी। दूसरे मांगलिक कार्य भी शुरू हो जाएंगे। हर साल देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक करीब 4 माह का अंतर रहता है। इस दीर्घ समायवधि में शुभ काम कमोबेश रूके रहे। विशेष तौर पर उत्तर भारत में देवउठनी एकादशी की विशेष मान्यता है।

Advertisement

एक विक्रम संवत् वर्ष में कुल 24 एकादशियां आती हैं। अर्थात् हर महीने दो एकादशी आती है। एक कृष्ण पक्ष की और दूसरी शुक्ल पक्ष की एकादशी। लेकिन देवुत्थान एकादशी का अपना महत्व है। इस दिन से शुभ और मांगलिक कार्यों की शुरुआत होने से बिजनेस में भी तेजी देखी जाती है। लोगों में खरीदारी का विशेष उत्साह रहता है। क्योंकि हमारे सनातन धर्म में देवउठनी एकादशी एक विशेष महत्व है। चूंकि इस दिन देवता जागृत होते हैं इसलिए यह दिन एक सर्वमान्य स्वयंसिद्ध मुहूर्त बन जाता है। जिसे शादी का सावा या मुहूर्त कहा जाता है।

भारतीय ज्योतिष के अनुसार इस विवाह के लिए किसी मुहूर्त आदि का विचार नहीं किया जाता है। दरअसल यह स्वयं में ही एक सिद्ध मुहूर्त है। यही कारण है कि इस दिन उत्तर भारत में शादियों की बहार आ जाती है। ज्योतिष के अनुसार एक विक्रम संवत् वर्ष में कुल साढ़े तीन स्वयं सिद्ध विवाह मुहूर्त होते हैं। जिसमें एक देवउठनी एकादशी भी है।

विवाह आदि जैसे मांगलिक कार्यक्रमों के अलावा इस दिन भगवान श्रीविष्णु की विशेष पूजा कर उन्हें नींद से जगाये जाने का शुभ कार्य भी होता है। इसके अलावा यही वह दिन है जिस दिन वर्ष का चातुर्मास का समापन होता है। हालांकि आम बोलचाल की भाषा में इसे देवउठनी एकादशी ही कहा जाता है वैसे इस एकादशी को प्रबोधनी एकादशी या देवुत्थान एकादशी भी कहा जाता है।

देश और दुनिया की तमाम खबरों के लिए हमारा YouTube Channel ‘PUNJAB KESARI’ को अभी subscribe करें। आप हमें FACEBOOK, INSTAGRAM और TWITTER पर भी फॉलो कर सकते हैं।

Advertisement
Next Article