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कहां और कब होगा कल्कि का अवतार ? क्या कहता है पुराण ? जानें पूरी कहानी

01:21 PM Feb 20, 2024 IST | Pratibha
10th Avatar Kalki

10th Kalki Avatar: कल्कि को विष्णु का भावी और अंतिम अवतार माना गया है। मान्यता के अनुसार (10th Avatar Kalki) कल्कि अवतार के बाद कलियुग खत्म हो जाएगा। तो आइए जानते हैं कल्कि अवतार से जुड़े महत्वपूर्ण जानकारी।

कहां होगा कल्कि अवतार ?

कल्कि पुराण के अनुसार भगवान विष्णु का कल्कि अवतार संभल गांव में होगा। मान्यता है कि उत्तरप्रदेश के मुरादाबाद के पास स्थित संभल गांव में भगवान विष्णु का 10वां कल्कि अवतार होना है।

कैसा होगा कल्कि अवतार का स्वरूप ?

'अग्नि पुराण' के सौलहवें अध्याय में कल्कि अवतार का चित्रण तीर-कमान धारण किए हुए एक घुड़सवार के रूप में किया हैं. कल्कि भगवान देवदत्त नाम के एक सफेद घोड़े पर बैठ कर आएंगे और पापियों का विनाश करेंगे. यह अवतार (10th Avatar Kalki) 64 कलाओं से युक्त होगा। इनके गुरु चिरंजीवी भगवान परशुराम होंगे जिनके इनके निर्देश पर कल्कि भगवान शिव की तपस्या करेंगे और दिव्यशक्तियों को प्राप्त कर अधर्म का अंत करेंगे।

प्रधानमंत्री मोदी जी ने कल्कि भगवान मंदिर में रखा आधारशिला

उत्तर प्रदेश के संभल स्थित कल्कि धाम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल्कि भगवान के भव्य और दिव्य मंदिर की आधारशिला रख दी है। इस मंदिर का निर्माण पांच साल के अंदर पूरा कर लिया जाएगा। इस मंदिर के निर्माण में भी सीमेंट या लोहे का इस्तेमाल नहीं होगा। बल्कि पूरा निर्माण कार्य पत्थरों से हुआ है। ऐसे में भगवान नारायण के 24 अवतारों में (10th Avatar Kalki) अंतिम अवतार है जो 4 लाख 26 हजार साल बाद होने वाला है। श्रीमद भागवत के मुताबिक कल्कि भगवान का अवतरण दुष्टों के विनाश के लिए होगा। दरअसल, यह अवतार ऐसे वक्त पर होगा, जब सृष्टि में धर्म का लोप हो चुका होगा।

फिर होगा सतयुग

पृथ्वी पर एक बार फिर से सतयुग का प्रारंभ होगा। श्रीमद भागवत के 12वें स्कंध और स्कंद पुराण के 24वें अध्याय में वर्णित कथा के अनुसार ही रामगंगा नदी के तट पर स्थित संभल में कल्कि भगवान के (10th Avatar Kalki) भव्य और दिव्य मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। विभिन्न शिलालेखों के मुताबिक संभल में मौजूदा मंदिर का इतिहास करीब एक हजार साल पुराना है।

अहिल्या बाई होल्कर ने कराया पुर्ननिर्माण

विश्वनाथ मंदिर के पुर्ननिर्माण के बाद अहिल्या बाई होल्कर ने काशी में इस मंदिर को बनवाया था। उसके बाद भी यह मंदिर कई बार टोड़कर बनवाया गया। कांग्रेस से निष्काषित नेता आचार्य प्रमोद कृष्णन के मुताबिक चूंकि दशावतार में (10th Avatar Kalki) कल्कि अवतार 10वें स्थान पर है। ऐसे में पूर्व के सभी अवतारों के लिए 10 अलग-अलग गर्भगृह भी बनाए जाएंगे। यह पूरा परिसर करीब 10 एकड़ जमीन पर बनेगा और इसके बनकर तैयार होने में करीब पांच साल का वक्त लगेगा।

गुलाबी पत्थरों से होगा निर्माण

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस मंदिर के निर्माण के लिए भरतपुर राजस्थान के गुलाबी पत्थरों का इस्तेमाल किया जाएगा। इन पत्थरों का इस्तेमाल सोमनाथ मंदिर और अयोध्या में रामलला के मंदिर निर्माण में भी किया गया है। आचार्य प्रमोद कृष्णन के मुताबिक कल्कि भगवान के मंदिर का शिखर 108 फुट की ऊंचाई पर होगा। 11 फुट ऊंचे चबूतरे (10th Avatar Kalki) पर बनने वाले इस मंदिर में 68 तीर्थों की स्थापना होगी। राम मंदिर की तरह इसमें भी लोहे या सीमेंट का इस्तेमाल नहीं होगा। उन्होंने बताया कि मंदिर में कल्कि भगवान के नए विग्रह की स्थापना के बाद भी पुराने विग्रह को हटाया नहीं जाएगा। मंदिर के ठीक बीच में शिवलिंग होगा।

समय के साथ बदलता रहा नाम

आचार्य प्रमोद कृष्णन के मुताबिक भगवान कल्कि के जन्मस्थान संभल का नाम समय के साथ बदलता रहा है। पुराणों में इस स्थान को शंभल कहा गया है। शंभल शंभू से बना है। जैसे कि शंभ्लेश्वर महादेव। मुगलकाल में इसका नाम शंभल (10th Avatar Kalki) से संभल हो गया। इस स्थान को सतयुग में सत्यव्रत के नाम से जाना जाएगा। इस स्थान को त्रेता युग में महंतगिरी तो द्वापर में इसे पिंघल द्वीप कहा गया। उन्होंने बताया कि इसी संभल के 24 कोस की परिधि में कल्कि भगवान का अवतार होगा।

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