कहां गए हमारे वे 54 लापता सैनिक
आखिर वे 54 लापता भारतीय वीर सैनिक कहां गए? हमने 1971 के भारत-पाक युद्ध…
आखिर वे 54 लापता भारतीय वीर सैनिक कहां गए? हमने 1971 के भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तान के 81 हज़ार सैनिक और 12 हजार नागरिक लौटा दिए थे। ये वही थे जिन्होंने उस युद्ध के मध्य आत्मसमर्पण किया था, मगर हमने अपने ‘54 लापता वीर सैनिकों’ की रिहाई की मांग तक नहीं की थी। इनमें मेजर स्तर के 6 अधिकारी, 6 कैप्टन, 25 वायुसेना अधिकारी व 7 वीर सैनिक शामिल थे। सरकारी फाइलों में वे आज भी ‘लापता-54’ के नाम से जाने जाते हैं। गत वर्ष जुलाई में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने भी संसद में बताया था कि कुल लापता भारतीय सैनिकों की संख्या 83 थी। इनमें ये ‘54 लापता’ भी शामिल थे, मगर पाकिस्तान निरंतर इस बात से इन्कार करता रहा है कि उसके पास ऐसा कोई भी भारतीय युद्धबंदी है।
कुछ वर्ष पूर्व एक वरिष्ठ भारतीय महिला पत्रकार ने लापता भारतीयों के बारे में तथ्यों को खंगाला। कुछ रिटायर फौजी अधिकारियों से जानकारी ली। अनेक अवकाश प्राप्त व सेवारत वरिष्ठ अधिकारियों से भी जानकारी जुटाई। इसी अभियान में लापता अधिकारियों व सैनिकों के परिवारों से भी विवरण एकत्र किया। कुछ पुराने अखबारों की कतरनों और विदेश मंत्रालय की कुछ संवेदनशील फाइलों से भी जानकारी जुटाई, मगर किसी भी दस्तावेज, साक्षात्कार या छानबीन से पता नहीं चल पाया कि आखिर वे लापता भारतीय अधिकारी एवं जवान कहां गए?
वर्ष 1990 में एक लापता अधिकारी द्वारा दायर एक अदालती याचिका की सुनवाई के मध्य सरकार ने यह संभावना तो व्यक्त कर दी थी कि सम्भवत: उन 54 में से 15 की मृत्यु हो चुकी है लेकिन इनके बारे में पुष्ट प्रमाणों के अभाव सरकार अब तक उन्हें ‘लापता’ की श्रेणी में ही रखने पर विवश है।
मगर उक्त पत्रकार द्वारा एकत्र कुछ आम जानकारियां इस बात की ओर भी संकेत करती हैं कि इनमें से अधिकांश अब भी पाक-जेलों में बंदी हैं और कई तो इस मध्य यातनाओं के मध्य उनकी शारीरिक एवं मानसिक स्थिति भी बुरी तरह प्रभावित हुई है।
इसी छानबीन के मध्य एक बहुचर्चित एवं अति पराक्रमी वायुसेना-पायलट एचएस गिल का ममला भी सामने आया। उसकी उम्र तब 38 वर्ष थी। उसका विमान 1971 के युद्ध के समय सिंध क्षेत्र में उड़ान के मध्य गिरा दिया गया था। उसका नाम भी उन्हीं ‘लापता-54’ की सूची में शामिल था। परिवार सदा प्रतीक्षारत रहा कि कभी तो वह ‘हाईस्पीड’ पायलट लौटेगा। तीन वर्ष पूर्व उसकी पत्नी, जो कि एक स्कूल-प्रिंसिपल के रूप में सेवारत रही थी, कैंसर से चल बसीं। बेटे ने भी विकट एवं अस्पष्ट परिस्थितियों में अपने प्राण ले लिए थे। उनकी एक बेटी भी थी जिसके बारे में कोई विवरण प्राप्त नहीं हो पाया।
ऐसे अनेक संवेदनशील मामले सामने आए हैं जिनके बारे में कुछ नए रहस्योद्घाटन हुए हैं। ऐसा ही एक मामला 1965 के युद्ध में लापता एक वायरलैस आपरेटर का है। अगस्त, 1966 में परिवार वालों को अधिकृत रूप से उक्त वायरलैस ऑपरेटर के दिवंगत होने की जानकारी दे दी गई थी, मगर वर्ष 1974 और उसके बाद की अवधि में रिहा तीन भारतीय युद्धबंदियों ने अधिकारियों को व आपरेटर के परिवारजनों को बता दिया था कि उक्त ऑपरेटर तब भी जीवित था।
ऐसा नहीं कि इस दिशा में कभी कोई प्रयास नहीं हुआ। मगर कोई ठोस परिणाम नहीं निकल पाया। जब हमने 93 हजार पाकिस्तानी कैदी रिहा किए थे तब पाकिस्तान ने भी लगभग 600 भारतीय युद्धबंदी सैनिक लौटाए थे। वर्ष 1983 और 2007 में इन लापता-54 के कुछ परिजनों ने पाकिस्तान की यात्रा भी की थी और उस मध्य वे अपने-अपने लापता परिजनों के चित्र भी ले गए थे। मगर उन्हें न तो जेलों में जाकर अन्य युद्धबंदियों से मिलने की अनुमति ही दी गई, न ही जेलों में जाकर स्वयं निरीक्षण की अनुमति दी गई थी।
यह अति महत्वपूर्ण एवं अति संवेदनशील मामला अभी भी सुलग रहा है क्योंकि इन ‘लापता-54’ के मामलों में अभी भी फाइलें-बंद (क्लोज-रिपोर्ट) भी नहीं की गई। उनकी वर्तमान स्थिति के बारे में भी कोई पुख्ता जानकारी उपलब्ध नहीं।
उनके परिवार वालों ने एक बहुत लंबी लड़ाई लड़ी। यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र संघ से लेकर अमेरिका तक से निवेदन किया लेकिन जब इंदिरा गांधी को ही कोई दिलचस्पी नहीं थी तो इसमें कुछ नहीं हो सका। यह उन वीरों का एक चित्र है जो पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत के सामने लाहौर जेल का है।
इन ‘लापता-54’ के नाम इस प्रकार है : मेजर ए.पी.एस. वाराइच, मेजर कमलजीत सिंह संधू, सैकेंड लेफ्टिनेंट सुधीर मोहन सभरवाल, के. रविंद्र कोरा, के. गिरिराज सिंह, के. ओमप्रकाश दलाल, मेजर एके घोष, मेजर एके सूरी, कांस्टेबल कल्याण सिंह, मेजर जशकिरण सिंह मलिक, मेजर एस.सी. गुलेरी, लेफ्टिनेंट विजय कुमार आजाद, कांस्टेबल कमल बक्शी, सैकेंड लेफ्टिनेंट पारस शर्मा, कांस्टेबल वशिष्ठ नाथ, लांस नायक कृष्ण लाल शर्मा, सूबेदार अरसा सिंह, सूबेदार कालिदास, लांस नायक हजूरा सिंह, लांस नायक जगदीश राज, गनर सुजान सिंह, सिपाही दलेर सिंह, गनर पाल सिंह, सिपाही जागीर सिंह, गनर मदन मोहन, गनर ज्ञानचंद, लांस नायक बलवीर सिंह, कैप्टन डीएस जामवाल, के. वशिष्ठ अटोक, स्क्वाड्रन लीडर महेंद्र कुमार जैन, फ्लाइट लेफ्टिनेंट सुधीर कुमार गोस्वामी, फ्लाइंग ऑफिसर सुधीर त्यागी, फ्लाइट लेफ्टिनेंट विजय बसंत तांबे, फ्लाइट लेफ्टिनेंट नागस्वामी शंकर, फ्लाइट लेफ्टिनेंट राम मेता राम, फ्लाइट लेफ्टिनेंट मनोहर पुरोहित, फ्लाइट लेफ्टिनेंट तन्मय सिंह डंडोरा, विंग कमांडर हरसन सिंह गिल, फ्लाइट लेफ्टिनेंट बाबुल गुहा, फ्लाइट लेफ्टिनेंट सुरेश चंद्र संडाल, स्क्वाड्रन लीडर नील माणिकशाह मिस्त्री, फ्लाइट लेफ्टिनेंट हरविंद सिंह, स्क्वाड्रन लीडर जितेंदर दास कुमार, फ्लाइट लेफ्टिनेंट एलएस सासुन, फ्लाइट लेफ्टिनेंट कुशल पाल सिंह नंदा, फ्लाइंग ऑफिसर कृष्णन एल. मलकानी, फ्लाइट लेफ्टिनेंट अशोक बलवंत धवले, फ्लाइट लेफ्टिनेंट श्रीकांत महाजन, फ्लाइट लेफ्टिनेंट गुरदेव सिंह राय, फ्लाइट लेफ्टिनेंट रमेश जी कदम, फ्लाइंग ऑफिसर मुरलीधरन, स्क्वाड्रन लीडर देव प्रकाश चटर्जी, पायलट ऑफिसर तेजिंदर सिंह सेठ और लेफ्टिनेंट कमांडर अशोक राय।