कौन है महाराणा प्रताप के वंशज, जिनके बीच छिड़ी राजगद्दी की लड़ाई
कौन है महाराणा प्रताप के वंशज, जिनके बीच छिड़ी राजगद्दी की लड़ाई
महाराणा प्रताप के वंशजों के बीच राजगद्दी को लेकर लड़ाई शुरू हो गई है। इसमें दो भाई गद्दी पर अपना-अपना दावा कर रहे हैं
ऐसे में चलिए जानते हैं कि गद्दी को लेकर लड़ाई की वजह क्या है और मेवाड़ पर दावा करने वाले महाराणा प्रताप के वंशज कौन-कौन हैं
उदयपुर में मेवाड़ राजवंश के राजा के तौर पर विश्वराज सिंह मेवाड़ की ताजपोशी 25 नवंबर को हुई। जिसके बाद विश्वराज सिंह के छोटे चाचा अरविंद सिंह और उनके बेटे लक्ष्यराज सिंह ने इस ताजोपशी को गैरकानूनी करार दिया
आजादी के बाद राजशाही खत्म हो गई, तो राजघराने की परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए भगवत सिंह ने एक ट्रस्ट बनाया। इसका नाम ‘महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फाउंडेशन’ था
इसी ट्रस्ट की मदद से मेवाड़ राजघरावा चलाया जाने लगा। भगवत सिंह ने इस ट्रस्ट की जिम्मेदारी अपने छोटे बेटे अरविंद सिंह को दी। वहीं बड़े बेटे महेंद्र सिहं को इस ट्रस्ट से दूर रखा
वहीं, महेंद्र सिंह, भगवत सिंह के बड़े बेटे होने के कारण हमेशा राजघराने की गद्दी की दावा करते रहे। इस कारण ही 25 नवंबर को विश्वराज सिंह को महाराणणा घोषित करते हुए उनका राजतिलक किया गया। महेंद्र सिंह का निधन इसी महीने 10 नवंबर को हो चुका है
अरविंद सिंह ट्रस्ट चलाते थे, ये ही कारण था कि उनके बेटे लक्ष्यराज सिंह पर इसकी जिम्मेदारी आ गई। इसी ट्रस्ट के जरिए राजघराने का संचालन हो रहा है। इसलिए अरविंद सिंह का दावा है कि उनका बेटा लक्ष्यराज सिंह ही मेवाड़ी राजवंश की गद्दी का असली हकदार है
छोटे भाई अरविंद को ट्रस्ट की जिम्मेदारी मिली थी। इस वजह से अरविंद सिंह और इनके पुत्र ही राजघराने को आधिकारिक रूप से चलाते आए हैं
वहीं, 25 नवंबर को बड़े भाई महेंद्र सिंह के बेटे विश्वराज सिंह का राजतिलक 77वें महाराणा के रूप में किया गया। इस वजह से दोनों भाईयों के बीच एक बार फिर से विवाद शुरू हो गया
परंपरा के मुताबिक मेवाड़ राजवंलश के महाराणा का परिवार उदयपुर पैलेस में ही रहता है। फिलहाल इस पैलेस में छोटे भाई अरविंद सिंह के बेटे लक्ष्यराज सिंह का परिवार रहता है। लक्ष्यराज सिंह खुद को 77वें महाराणा मानते हैं