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कौन थे तुलसी माता के पति ? श्राप के बाद मिला था वरदान

09:21 AM Nov 29, 2024 IST | Samiksha Somvanshi

धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक, माता तुलसी का विवाह भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप से हुआ था।

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हर साल कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को तुलसी का विवाह शालिग्राम से कराया जाता है।

तुलसी का विवाह देवउठनी एकादशी के दिन भी मनाया जाता है।

ऐसा माना जाता है कि वृंदा नाम की एक राक्षस कन्या थीं, जो भगवान विष्णु की परम भक्त थीं।

जब वृंदा को पता चला कि भगवान विष्णु ने उनके साथ छल किया है, तो उन्होंने उन्हें श्राप दिया कि वे तुरंत पत्थर के बन जाएं।

भगवान विष्णु ने वृंदा का श्राप स्वीकार किया और वे एक पत्थर के रूप में हो गए। वृंदा ने फिर आत्मदाह कर लिया और जहां वृंदा भस्म हुईं, वहां एक तुलसी पौधा उग गया।

भगवान विष्णु ने तब तुलसी को यह वरदान दिया कि शालिग्राम नाम से उनका एक रूप इस पत्थर में हमेशा रहेगा और इसकी पूजा तुलसी के साथ ही होगी।

तुलसी विवाह के दिन मंडप बनाया जाता है और उसे फूलों, पत्तियों, और रंगोली से सजाया जाता है।

साथ ही मंडप के चारों ओर हल्दी, कुमकुम, और अन्य शुभ सामग्री रखी जाती है।

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