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भारत में मार्च 2025 की थोक मुद्रास्फीति 2.05 प्रतिशत रही

मार्च 2025 में भारत की थोक मुद्रास्फीति 2.05 प्रतिशत पर स्थिर

05:29 AM Apr 16, 2025 IST | Himanshu Negi

मार्च 2025 में भारत की थोक मुद्रास्फीति 2.05 प्रतिशत पर स्थिर

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, मार्च 2025 में भारत की थोक मुद्रास्फीति 2.05 प्रतिशत रही, जो फरवरी के 2.38 प्रतिशत से कम है। मुख्य रूप से खाद्य उत्पादों और अन्य विनिर्माण वस्त्रों की कीमतों में वृद्धि के कारण यह दर सकारात्मक रही।

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आंकड़ो के अनुसार भारत में थोक मुद्रास्फीति (WPI) मार्च 2025 के महीने में 2.05 प्रतिशत रही, जो पिछले महीने के 2.38 प्रतिशत से कम है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, फरवरी में थोक मुद्रास्फीति 2.38 प्रतिशत थी। मार्च में मुद्रास्फीति की सकारात्मक दर मुख्य रूप से निर्मित खाद्य उत्पादों, अन्य विनिर्माण, खाद्य पदार्थों, बिजली और वस्त्र निर्माण आदि की कीमतों में वृद्धि के कारण है। बता दें कि खाद्य लेख और निर्मित उत्पाद समूह से खाद्य उत्पाद  से युक्त खाद्य सूचकांक फरवरी 2025 में 5.94 प्रतिशत से घटकर मार्च 2025 में 4.66 प्रतिशत हो गया।

मार्च में खुदरा महंगाई दर 3.34 प्रतिशत पर, 2019 के बाद सबसे निचला स्तर

1.07 प्रतिशत की कमी

महीने-दर-महीने परिवर्तन मार्च 2025 के महीने के 186.6 से 1.07 प्रतिशत की कमी के साथ मार्च में 184.6 हो गया। कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस -2.42 प्रतिशत, गैर-खाद्य लेख -2.40 प्रतिशत और खाद्य पदार्थों -0.72 प्रतिशत)की कीमत फरवरी की तुलना में मार्च में कम हुई है। पिछले साल अप्रैल में थोक मुद्रास्फीति नकारात्मक क्षेत्र में चली गई थी। इसी तरह, जुलाई 2020 में, COVID-19 के शुरुआती दिनों में, WPI को नकारात्मक बताया गया था। उल्लेखनीय रूप से, थोक मूल्य सूचकांक (WPI) आधारित मुद्रास्फीति सितंबर 2022 तक लगातार 18 महीनों तक दोहरे अंकों में रही।

थोक मूल्यों का सूचकांक

बता दें कि DPIIT हर महीने की 14 तारीख को संदर्भ महीने से दो सप्ताह के अंतराल के साथ भारत में थोक मूल्यों का सूचकांक जारी करता है, और सूचकांक संख्या को देश भर में संस्थागत स्रोतों और विनिर्माण इकाइयों से प्राप्त आंकड़ों के साथ संकलित किया जाता है। देश पिछले कुछ महीनों से उच्च खाद्य मुद्रास्फीति का सामना कर रहा था, जिसका मुख्य कारण सब्जियों, फलों, तेलों और वसा की मुद्रास्फीति में वृद्धि थी। अब ऐसा लगता है कि इसमें कमी आई है।

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