पटना की सड़कों पर फिर निकलेगा मोर्चा! चुनाव से पहले राहुल-तेजस्वी ने क्यों बुलाया बिहार बंद?
बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी दलों के बीच हलचल तेज हो गई है. इस बीच अब बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण को लेकर शुरू हुआ विवाद अब एक बड़ा राजनीतिक आंदोलन बन चुका है. विपक्षी दलों ने इसे गरीबों, दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के वोटिंग अधिकार पर हमला बताते हुए 9 जुलाई को बिहार बंद बुलाया है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस विरोध की अगुवाई राहुल गांधी और तेजस्वी यादव करेंगे, जो पटना की सड़कों पर मार्च निकालकर सरकार के खिलाफ आवाज उठाएंगे. यह बंद सिर्फ एक प्रदर्शन नहीं, बल्कि 2025 विधानसभा चुनाव से पहले सत्ता और विपक्ष के बीच सीधी टक्कर माना जा रहा है.
राहुल गांधी करेंगे गोपाल खेमका के परिवार से मुलाकात
इस मुद्दे पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी बुधवार को पटना पहुंचेंगे. वे सुबह करीब 10 बजे पटना एयरपोर्ट आएंगे और फिर इनकम टैक्स गोलंबर से शहीद स्मारक तक निकलने वाले विरोध मार्च में शामिल होंगे. इस दौरान महागठबंधन के अन्य प्रमुख नेता भी साथ रहेंगे. इसके अलावा राहुल गांधी गोपाल खेमका हत्या मामले में पीड़ित परिवार से भी मिल सकते हैं. यह दौरा चुनाव से पहले बड़ा राजनीतिक संदेश माना जा रहा है.
‘सब कुछ जाम रहेगा’
राजद ने अपने सोशल मीडिया पर लिखा है कि 9 जुलाई को ‘संपूर्ण बिहार बंद’ रहेगा. उन्होंने मतदाता सूची की समीक्षा के नाम पर गरीबों और पिछड़े वर्गों के वोट काटे जाने का आरोप लगाया. इसके खिलाफ विरोध जताते हुए उन्होंने कहा कि पूरे बिहार में चक्का जाम होगा और सभी कार्य ठप रहेंगे. साथ ही, ट्रेड यूनियन की हड़ताल को भी समर्थन देने की बात कही गई.
सुरक्षा के कड़े इंतजाम
बिहार बंद को लेकर प्रशासन पूरी तरह सतर्क है. पटना सहित राज्य के संवेदनशील इलाकों में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किए गए हैं ताकि किसी भी हिंसा या टकराव की स्थिति को रोका जा सके. प्रशासन के लिए यह दिन एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है.
सत्ताधारी दल का जवाब
इस विरोध के जवाब में सत्ताधारी जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने सोमवार को साइकिल रैली निकाली. इस रैली के जरिए उन्होंने लोगों को मतदाता सूची पुनरीक्षण की प्रक्रिया के बारे में जागरूक करने का अभियान शुरू किया.
मतदाता सूची पुनरीक्षण क्या है?
मतदाता सूची पुनरीक्षण एक नियमित प्रक्रिया है जिसमें वोटर लिस्ट को अपडेट किया जाता है. इसमें निम्न कार्य होते हैं:
- नए वोटरों के नाम जोड़े जाते हैं (जो 18 साल के हो चुके हों)
- मृत, डुप्लिकेट या स्थान बदल चुके लोगों के नाम हटाए जाते हैं
- गलत जानकारी (जैसे नाम, पता, लिंग आदि) को ठीक किया जाता है
- एक जगह से दूसरी जगह शिफ्ट हुए मतदाताओं की जानकारी अपडेट की जाती है
विवाद क्यों हुआ?
विपक्ष का आरोप है कि इस प्रक्रिया के जरिए जानबूझकर दलित, अल्पसंख्यक, पिछड़े और गरीब वर्गों के नाम वोटर लिस्ट से हटाए जा रहे हैं. इससे इन वर्गों को वोट देने से रोका जा सकता है. वे इसे एक राजनीतिक साजिश मानते हैं जो आगामी चुनावों में फायदा पहुंचाने के लिए की जा रही है. चुनाव आयोग का कहना है कि यह एक सामान्य प्रक्रिया है जो हर कुछ वर्षों में होती है. सभी नागरिकों को अपना नाम जांचने और ज़रूरत पड़ने पर सुधार कराने का मौका दिया जाता है.