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पायलट ने क्यों किया उड़ान भरने से इनकार? 2 घंटे तक एयरपोर्ट पर फंसे रहे एकनाथ शिंदे

2 घंटे तक एयरपोर्ट पर फंसे रहे एकनाथ शिंदे

04:03 AM Jun 07, 2025 IST | Amit Kumar

2 घंटे तक एयरपोर्ट पर फंसे रहे एकनाथ शिंदे

रात करीब 9:15 बजे जब शिंदे वापस जलगांव एयरपोर्ट पहुंचे, तो विमान के पायलट ने ड्यूटी घंटे पूरे होने का हवाला देते हुए उड़ान भरने से इनकार कर दिया. नियमों के अनुसार पायलट अपनी निर्धारित ड्यूटी सीमा से अधिक उड़ान नहीं भर सकता

Deputy CM Eknath Shinde: महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे को जलगांव एयरपोर्ट पर तकनीकी खामी के कारण दो घंटे की देरी का सामना करना पड़ा. उनका विमान शुक्रवार को दोपहर 3:45 बजे पहुंचने वाला था, लेकिन तकनीकी कारणों के चलते यह शाम 6:15 बजे जलगांव एयरपोर्ट पर उतरा. वहां से उन्हें मुक्ताईनगर सड़क मार्ग से रवाना होना पड़ा, जहां उन्होंने संत मुक्ताई की पालखी यात्रा में भाग लिया और मंदिर में दर्शन किए.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, रात करीब 9:15 बजे जब शिंदे वापस जलगांव एयरपोर्ट पहुंचे, तो विमान के पायलट ने ड्यूटी घंटे पूरे होने का हवाला देते हुए उड़ान भरने से इनकार कर दिया. नियमों के अनुसार पायलट अपनी निर्धारित ड्यूटी सीमा से अधिक उड़ान नहीं भर सकता, इसलिए उसने तत्काल उड़ान भरने में असमर्थता जताई.

मंत्रियों और अधिकारियों ने पायलट को मनाया

ऐसे में स्थिति को संभालने के लिए जलगांव के मंत्री गिरीश महाजन, गुलाबराव पाटील और स्थानीय प्रशासन के अधिकारी पायलट को समझाने में जुट गए. बातचीत और समझाइश के बाद लगभग 45 मिनट बाद पायलट ने विमान उड़ाने की अनुमति दी. इसके बाद एकनाथ शिंदे ने मुंबई के लिए उड़ान भरी.

महिला मरीज के लिए बन गई राहत की वजह

इस पूरी देरी का एक सकारात्मक पहलू भी सामने आया. मुंबई में इलाज के लिए जा रही एक किडनी मरीज महिला, शीतल पाटील, अपने निर्धारित विमान को मिस कर चुकी थीं. जब यह बात मंत्री गिरीश महाजन को पता चली, तो उन्होंने तुरंत उनके लिए वैकल्पिक व्यवस्था की. शीतल और उनके पति को एकनाथ शिंदे के साथ उसी चार्टर्ड विमान में मुंबई भेजा गया.

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मुंबई पहुंचने पर मिला मेडिकल सहयोग

मुंबई एयरपोर्ट पर पहुंचते ही शीतल पाटील के लिए एंबुलेंस की व्यवस्था पहले से कर दी गई थी, जिससे उन्हें तुरंत अस्पताल पहुंचाया जा सका. गुलाबराव पाटील ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि एकनाथ शिंदे आज भी अपनी जमीनी हकीकत और संघर्ष के दिनों को नहीं भूले हैं. आम जनता के प्रति उनकी संवेदनशीलता ही इस बार एक महिला की जान बचाने में मददगार साबित हुई.

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