W3Schools
For the best experience, open
https://m.punjabkesari.com
on your mobile browser.
Advertisement

क्यों अनर्गल देशद्रोही बयान देते हैं अरशद मदनी!

04:15 AM Nov 26, 2025 IST | Firoj Bakht Ahmed
क्यों अनर्गल देशद्रोही बयान देते हैं अरशद मदनी

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष ऐसा पहली बार नहीं कि मौलाना अरशद मदनी ने भड़काऊ बयान दिया हो। इस बार तो उन्होंने हद ही करदी। मौलाना अरशद मदनी ने अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े विवाद और देश में मुसलमानों की स्थिति के ऊपर पूर्ण रूप से अनर्गल बातें कही हैं। ऐसा लगता है कि कुएं के मेंढक की तरह टर्र-टर्र कर रहे हैं। कहते हैं कि विदेशों में मेयर, गवर्नर जैसे पदों पर मुस्लिम चुने जा रहे हैं, मगर भारत में एक भी वाइस चांसलर नहीं नियुक्त किए जाते। मोदी राज में ही दसियों विश्वविद्यालयों में वाइस चांसलर ही नहीं, लेखक की तरह चांसलर भी नियुक्त हुए हैं और देश के इतिहास में हजारों पदों पर राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, गवर्नर, मंत्री, मुख्यमंत्री आदि ऐसे बड़े पदों पर न जाने कितने मुस्लिम पदासीन रह चुके हैं।
हां, कोई अच्छा कार्य किए बिना आप खबरों में बने रहने के लिए कुछ भी अनाप-शनाप बक देंगे। उनके इन ऊल-जलूल और लाउबाली बयानों से एक आम मुस्लिम की छवि दूषित हो रही है जो हब्बूल वतनी/ निसफूल ईमान (वतन से प्यार और वफादारी ही आधा ईमान है) में विश्वास रखता है। मदनी जैसे लोग तो बक-बक करके अपने बंदूकधारी गार्डों और लंबी गाड़ियों में फरार हो अपनी कोठियों में दुबक जाते हैं, मगर उनके नफरती बयानों का खामियाजा गरीब मुस्लिमों को भुगतना पड़ता है।
मुस्लिम समाज में मौलाना अरशद कासमी का नाम और चेहरा बहु-चर्चित है, क्योंकि विश्व के एक बहुत बड़े मदरसे के वे संस्थापक हैं जिसकी नींव उनके पुरखों ने डाली थी और जो भारत माता के सच्चे सुपुत्र थे, न कि इनके जैसे विद्रोही, जैसे-मौलाना हुसैन अहमद मदनी ( मौलाना अरशद मदनी के पिता), मौलाना उबेदुल्लाह सिंधी, मौलाना मुफ्ती किफायतुल्लाह देहलवी, मौलाना सनाउल्लाह अमृतससरी, मौलाना सनाउल्लाह सियालकोटी, मौलाना अब्दुल बारी फिरंगीमहली, मौलाना सैयद अहमद मदनी, मौलाना आजाद सुभानी, मौलाना मोहसिन मुहम्मद सज्जाद आदि। इन सभी देश रत्नों ने भारत को जालिम अंग्रेजों के चंगुल से छुड़ाने के लिए अपने प्राणों के अतिरिक्त भी नाना प्रकार के बलिदान दिए। चुल्लू भर पानी में डूबने की बात कर रहे हैं मदनी साहब। इसके अतिरिक्त हजरत अली मुजद्दीद सानी, सैय्यद अताउल्लाह शाह बुखारी, अशफाकुल्लाह खान काकोरवी, मौलाना हसरत मोहानी, अल्लामा अनवर शाह कश्मीरी और मौलाना इमाम बख्श सुभाई आदि ऐसे मुस्लिम नेता रहे हैं, जिन्होंने भारत की आजादी के लिए फिरंगियों से लोहा लिया है। मदनी जी का बयान पूर्ण रूप से भारत के अस्तित्व और अस्मिता को तार-तार करने वाला था। कम से कम उन्हें इस ज्वलंत समय तो ऐसी नासमझी की बात नहीं कहनी चाहिए थी कि जब आतंकवाद और हजारों हिन्दुस्तानियों को नाना प्रकार के विस्फोटों से उड़ाने का मंसूबा चल रहा था। मौलाना अरशद मदनी को लेकर बवाल मच गया है। उनके जहरीले बयान के अनुसार सरकार चाहती है कि सांप्रदायिक ताकतें इस्लाम और मुसलमानों दोनों को मिटा दें। अल-फलाह यूनिवर्सिटी और उसके संस्थापक जववाद अहमद सिद्दीकी पर कार्रवाई के सवाल पर मदनी ने कहा, "देखिए अल फलाह में क्या हो रहा है। वो जेल में हैं और न जाने कितने साल और जेल में रहना पड़ेगा।
न्यूयॉर्क का मेयर ममदानी बन सकता है। लंदन का मेयर खान बन सकता है लेकिन हिन्दुस्तान में एक मुस्लिम किसी यूनिवर्सिटी का वाइस चांसलर नहीं बन सकता। अगर वो ऐसा करता है तो उसे आजम खान की तरह जेल जाना पड़ेगा।"जब आठवीं सदी में लाल किले जैसी आतंकी घटनाएं हो रही थीं तो इस्लाम के महत्वपूर्ण इमाम गजाली ने कहा था कि यदि मुस्लिमों ने आतंकवाद को समाप्त नहीं किया तो आतंकवाद उन्हें समाप्त कर देगा। इसी प्रकार से अन्य आतंकी घटनाओं के चलते पश्चिमी मीडिया ने एक मुहावरा निकला, "हर मुसलमान आतंकी नहीं होता, मगर हर आतंकवादी मुसलमान होता है!" इससे मुस्लिमों की बड़ी हानि हुई। मदनी साहब ने कहा कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी का मालिक जेल में है, सरकार मुसलमानों के नेतृत्व को दबा रही है। मजे की बात यह है कि आतंकवाद को उन्होंने कंडम नहीं किया।
उनके विचार में जहां भी कोई आतंकी घटना होती है और उसमें अगर जांच-पड़ताल के बाद कोई मुस्लिम नाम आता है तो अरशद कासमी जैसे लोग उसे हिंदू-मुस्लिम पचड़े में लपेट, सांप्रदायिक और जहरीले बयान देना शुरू कर देते हैं, जिनसे सांप्रदायिक दंगों के भड़कने का डर रहता है। किसी भी अच्छे मुस्लिम या हिंदू का प्यार की गंगा से तो साकार हो सकता है, दंगा कभी उसका ध्येय नहीं हो सकता। इससे दो वर्ष पूर्व मौलाना मदनी ने मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के नाम में ही दिल्ली में फरवरी 2023 में रामलीला ग्राउंड पर एक ऑल इंडिया अधिवेशन में सद्भावना के नाम में दुर्भावना परोस कर सनातन धर्म, मनु, ब्रह्म आदि के विरुद्ध जहर उगल कर भारत में आग लगाने का प्रयास किया, जिसे देश की परिपक्व हिंदू-मुस्लिम जनता ने नकार दिया। इस नामुराद अधिवेशन में मदनीजी ने हिंदुओं को जाहिल तक बोल दिया। ऐसे लोग, जिनमें मौलाना तौकीर रजा खान, आजम खान आदि ऐसे लोग मौजूद हैं जो भोले-भाले मुस्लिमों को बहका कर देश के अंदर आग लगाना चाहते हैं। ये वही लोग हैं जो अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में स्थापित जिन्ना की तस्वीर नहीं हटाना चाहते। एक आम मुसलमान को जो देशभक्त, राष्ट्रवादी और संस्कारवादी है, ऐसे लोग उसे देश और सरकार के विरुद्ध बहलाने, फुसलाने, लटकने, झटकने, भड़काने और भटकाने का कम कर रहे हैं।
इससे पहले भी मदनी साहब ने एक फरमान सादिर किया था कि लड़के और लड़कियां एक साथ शिक्षा प्राप्त नहीं कर सकते। कौनसी दुनिया में रहते हैं ये लोग। ये लोग या तो जमीन के नीचे (कब्र) या जमीन के ऊपर की बार करते हैं, जमीन की हकीकत या सच्चाई की नहीं।

Advertisement

Advertisement
Advertisement
Author Image

Firoj Bakht Ahmed

View all posts

Advertisement
Advertisement
×