कन्हैया लाल Murder के सच से क्यों है इस मुस्लिम संगठन को एतराज? फिल्म उदयपुर फाइल्स पर छिड़ा विवाद
फिल्म "उदयपुर फाइल्स" को लेकर विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है. यह फिल्म राजस्थान के चर्चित कन्हैया लाल टेलर हत्याकांड पर आधारित है, जिसे 11 जुलाई 2025 को रिलीज़ किया जाना है. इस फिल्म को लेकर मुस्लिम संगठनों का कहना है कि इससे देश में सांप्रदायिक तनाव बढ़ सकता है. जमीयत उलेमा-ए-हिंद के बाद अब जमाअत-ए-इस्लामी हिंद ने भी इस फिल्म पर आपत्ति जताई है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उनका कहना है कि यह फिल्म एक धर्म को टारगेट करती है और समाज में नफरत फैलाने की कोशिश करती है. संगठन का आरोप है कि फिल्म के जरिए इस्लाम को बदनाम किया जा रहा है और यह एक सस्ती लोकप्रियता पाने की साजिश है.
राष्ट्रपति से की गई दखल की अपील
जमाअत-ए-इस्लामी हिंद ने फिल्म पर रोक लगाने के लिए राष्ट्रपति से दखल देने की मांग की है. उन्होंने राज्यपाल के ज़रिए राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजने का भी ऐलान किया है. संगठन का कहना है कि यह मामला बहुत गंभीर है और सरकार को इसमें दखल देना चाहिए.
कोर्ट का रास्ता भी अपनाया जाएगा
संगठन ने जानकारी दी है कि जल्द ही राजस्थान हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की जाएगी. जमाअत-ए-इस्लामी के प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद नाजिम ने कहा कि फिल्म अगर रिलीज हुई, तो इससे देश का भाईचारा और शांति प्रभावित हो सकती है. उन्होंने साफ किया कि विरोध शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से किया जाएगा.
सेंसर बोर्ड पर भी उठे सवाल
फिल्म को सेंसर बोर्ड द्वारा सर्टिफिकेट दिए जाने पर भी सवाल उठ रहे हैं. मुस्लिम संगठनों का कहना है कि सेंसर बोर्ड ने बिना सोच-विचार के फिल्म को पास कर दिया है, जबकि इसके कंटेंट से समाज में तनाव फैल सकता है.
विश्व हिंदू परिषद के समर्थन पर आपत्ति
संगठन का आरोप है कि विश्व हिंदू परिषद जैसी पार्टियां इस फिल्म को प्रमोट कर रही हैं ताकि समाज में नफरत फैलाई जा सके. उन्होंने यह भी कहा कि कुछ राजनीतिक ताकतें इस फिल्म के पीछे हैं और इसका मकसद सियासी फायदा उठाना है.
देश के अन्य हिस्सों में भी विरोध
सिर्फ राजस्थान ही नहीं, देश के कई राज्यों में भी मुस्लिम संगठन इस फिल्म का विरोध कर रहे हैं. जमीयत उलेमा-ए-हिंद पहले ही तीन राज्यों के हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर कर चुका है. अब जमाअत-ए-इस्लामी और अन्य संगठनों ने भी इसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.