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सैन्य शक्ति पर सवाल क्यों?

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11:42 PM Apr 14, 2018 IST | Desk Team

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भगवान श्रीकृष्ण महाभारत युद्ध के दौरान अर्जुन को उपदेश दे रहे थे, युद्ध लड़ने को लेकर अर्जुन की शंकाएं दूर कर रहे थे। प्रभु अर्जुन को अपने विराट रूप के दर्शन करा रहे थे और सम्पूर्ण ब्रह्मांड में अपने स्वरूप को दर्शा रहे थे। अर्जुन भयभीत था और अनेक शंकाओं से घिरा हुआ था, असमंजस में था, ​किंकर्तव्यविमूढ़ की दशा में था। अर्जुन से श्रीकृष्ण कह रहे थे कि युद्ध करने के प्रति अपने मन की समस्त शंकाओं को छोड़ दे। इसके लिए उन्होंने एक श्लोक कहा जो गीता के ग्यारहवें अध्याय में है
नभःस्पृशं दीप्तमनेकवर्ण व्यात्ताननं दीप्तविशालनेत्रम्।
दृष्ट्वा हि त्वां प्रव्यथितान्तरात्मा धृतिं न विन्दामि शमं च विष्णो।

यह श्लोक हमारी वायुसेना का सूत्र वाक्य है और सम्पूर्ण बल को शक्ति प्रदान करता है। राष्ट्र रात को चैन की नींद साेता है तो वह इसलिए कि भारतीय सेना सीमाओं की रक्षा के लिए सक्षम है। नरेन्द्र मोदी की सरकार सेनाओं को अत्याधुनिक हथियारों से अभेद्य ताकत देने के लिए वचनबद्ध है। चीन, पाकिस्तान की चुनौतियों का मुकाबला भारत तभी कर सकता है जब हमारी सेनाओं की शक्ति उनके समकक्ष हो या उनसे भी ज्यादा हो।

नरेन्द्र मोदी सरकार भारतीय सेना की जरूरतों को समझती है और लगातार भारतीय सेना की शक्ति को बढ़ाने के लिए कदम उठा रही है लेकिन अफसोस कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल रक्षा सौदों पर सवाल उठा रहे हैं। उन्हें तो राफेल विमान खरीद में भी घोटाला ही नज़र आता है। पूर्व की सरकारों में क्या होता रहा है-
तोप खरीदते हैं तो दलाली हो गई,
ताबूतों की खरीद में गुरुघंटाली हो गई,
पनडुब्बियों की खरीद में
अगस्ता वेस्टलैंड हैलीकाप्टरों की खरीद में
कुछ लोगों की खुशहाली हो गई
अब जबकि सब-कुछ तरीके से हो रहा है तो उस पर सवाल उठाए जाते हैं। हाल ही में सरकार ने 110 विमानों की खरीद की प्रक्रिया शुरू करने का फैसला किया तो राहुल गांधी ने ट्वीट कर इसे मोदी सरकार का नया घोटाला करार दे दिया। यह कैसी सियासत है, रक्षा सौदों पर सवाल उठाकर भारत के मनोबल को तोड़ने की कोशिशें की जा रही हैं।

देश का बच्चा-बच्चा जानता है कि भारतीय सेना को अत्याधुनिक बनाने की इस समय बहुत जरूरत है। इन देशवासियों को याद है कि कारगिल युद्ध के दौरान जवानों के पास बर्फ में पहन कर जाने वाले जूते तक नहीं थे। सेना के जवानों के लिए बुलेट प्रूफ जैकेटों की कमी लगातार बनी रही है। भारतीय सेना के प्रमुख बार-बार गोला-बारूद की कमी के प्रति सरकार को आगाह करते रहे हैं। यूपीए शासन-2 में ए.के. एंटनी रक्षा मंत्री पद पर रहते भ्रष्टाचार से इतने आतंकित हो गए थे कि उन्होंने एक के बाद एक रक्षा सौदे रद्द किए आैर नई खरीद का जोखिम तक नहीं उठाया। मनमोहन सरकार की नीतिगत अपंगता के चलते भारतीय सेना प्रभावित हुई।

सेना की तैयारियों में बाधा आई। देश में एफए-18 सुपर हॉर्नेट लड़ाकू विमान के विनिर्माण के लिए अमेरिकी कंपनी बोइंग ने सरकारी कंपनी हिन्दुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड (एचएएल) और निजी क्षेत्र की महिंद्रा डिफैंस सिस्टम्स के साथ सांझेदारी की घोषणा की है। भारत में हॉर्नेट विमान बनाने के लिए लम्बे समय से बोइंग आैर लॉकहीड कंपनी के बीच होड़ लगी थी। ट्रांसफर आफ टैक्नोलाजी के तहत इससे देरी हो रही थी। भारतीय वायुसेना के लिए 110 लड़ाकू विमानों की खरीद प्रक्रिया भी शुरू की गई है। इस सांझेदारी से भारत में भविष्य की प्रौद्योगिकी के संयुक्त विकास में भी मदद मिलेगी जो भारत के हवाई क्षेत्र और रक्षा क्षेत्र परिवेश को बदल देगी।

मेक इन इंडिया सुपर हॉर्नेट के लिए नया अत्याधुनिक संयंत्र स्थापित किया जाएगा। 110 विमानों की जरूरत को पूरा करने के लिए निविदा प्रक्रिया की शर्तों के तहत सेना के आर्डर के 85 फीसदी एयरक्राफ्ट देश में ही तैयार करने होंगे। भारत में ही लड़ाकू विमानों का निर्माण एक बड़ा कदम है। यह एक साहसी निर्णय है। सरकार ने जवानों के लिए बुलेट प्रूफ जैकेट के सौदे को भी सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। भारत अब पांचवीं पीढ़ी की आधुनिक लड़ाकू विमान प्रौद्योगिकी में आगे की राह तय करने में जुटा है और अमेरिका का प्रशासन लड़ाकू विमानों पर भारत के साथ करीबी सहयोग चाहता है। भारतीय वायुसेना के पास लड़ाकू विमानों की स्वीकृत संख्या 42 की तुलना में केवल 31 स्क्वैड्रन है और वायुसेना की तात्कालिक जरूरतों को पूरा किया जाना बहुत जरूरी है।

भारतीय वायुसेना की शुरूआत केवल चार वेस्टलैंड हवाई जहाज, 6 रेपिड एक्शन फोर्स और 19 पायलटों से हुई थी। आज भारतीय वायुसेना विश्व में चौथे नम्बर पर है। 1965, 1971 या फिर कारगिल युद्ध, हमारी सेना ने अद्भुत पराक्रम से शत्रु को पराजित किया है। हमारी सैन्य शक्ति इतनी मजबूत होनी चाहिए कि शत्रु हम पर हमला करने का साहस तो छोड़िए कल्पना भी नहीं कर सके बशर्ते ​िक शत्रु आत्महत्या ही न करना चाहे।

​हिमालय की ऊंचाइयां हों, समुद्र की रहस्य भरी गहराइयां, विशाल आकाश हो या निर्जन स्थानों पर स्थित कंदराएं हों, भारतीय थल, जल और नभ सेना की दक्षता ही काम आती है। यदि कभी युद्ध की स्थिति आती है तो वायुसेना की ही निर्णायक भूमिका होगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत का रक्षा तंत्र सुदृढ़ होगा। प्रधानमंत्री 2019 के चुनावों के बाद भी राष्ट्र का नेतृत्व करने के लिए तैयार हैं क्योंकि देशवासियों को उन पर भरोसा है। विपक्ष को चाहिए कि रक्षा से जुड़े मामलों पर संयम बरते तथा भारतीय सेना और देशवासियों का मनोबल बढ़ाने के लिए काम करे, देशहित इसी में है।

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