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पत्नी पति की संपत्ति नहीं... दिल्ली HC का बड़ा फैसला, कोर्ट ने महाभारत की सुनाई कहानी

महाभारत का उदाहरण देकर दिल्ली HC ने पत्नी की संपत्ति नहीं होने पर दिया फैसला

10:19 AM Apr 19, 2025 IST | Shivangi Shandilya

महाभारत का उदाहरण देकर दिल्ली HC ने पत्नी की संपत्ति नहीं होने पर दिया फैसला

पत्नी पति की संपत्ति नहीं    दिल्ली hc का बड़ा फैसला  कोर्ट ने महाभारत की सुनाई कहानी

दिल्ली हाई कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि पत्नी पति की संपत्ति नहीं होती है। कोर्ट ने महाभारत के द्रौपदी प्रसंग का हवाला देते हुए बताया कि हर महिला को अपनी मर्जी से जीवन जीने का अधिकार है। यह फैसला एक पति द्वारा पत्नी पर अवैध संबंध का आरोप लगाने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान सुनाया गया। इसके बाद अदालत ने आरोपी व्यक्ति, जो महिला का प्रेमी बताया जा रहा था, को मामले से बरी कर दिया और शिकायत खारिज कर दी।

दिल्ली हाई कोर्ट ने महाभारत के द्रौपदी प्रसंग की एक झलक को सुनाया है। हाई कोर्ट ने हाल ही में एक अहम फैसले में सुनवाई की है कि कोई भी महिला अपने पति की संपत्ति नहीं होती है। पत्नी को अपनी मर्जी से जीवन जीने का पूरा अधिकार है। हाई कोर्ट ने यह सुनवाई एक पति-पत्नी द्वारा याचिका पर सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया। इस दौरान कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दी। बता दें कि याचिका में शिकायतकर्ता पति ने अपनी पत्नी पर दूसरे युवक के साथ अवैध संबंध होने का आरोप लगाया था।

द्रौपदी का दिया उदाहरण

इस मामले में पति का कहना था कि उसकी पत्नी दूसरे युवक के साथ दूसरे शहर गई। वहां पूरी रात रुकी और उनदोनों के बीच यौन संबंध भी बने। हालांकि दिल्ली हाई कोर्ट में इस मामले में सुनवाई कर रहीं न्यायमूर्ति नीना बंसल ने महाभारत की द्रौपदी का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा, “पांडव द्रौपदी को अपनी पत्नी मानते थे। इस वजह से धर्मराज युधिष्ठिर उसे जुए में हार गए। द्रौपदी से उसकी इच्छा नहीं पूछी गई थी और उसके साथ जो अन्याय हुआ, उसने महाभारत जैसे युद्ध का आगमन किया। इस दौरान जज ने कहा कि हमारा समाज पत्नी को पति की संपत्ति की तरह देखता रहा, लेकिन सोच गलत है।

एक रूम में रुकना गलत नहीं

जज ने मामले की सुनवाई करते हुए आगे कहा,”किसी होटल में एक कमरा में ठहरना यह साबित नहीं करता कि कुछ भी गलत हुआ है. सिर्फ इस आधार पर किसी पर आरोप नहीं लगाया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि, “धारा 497 अब लागू नहीं मानी जाती है। इसके आधार पर कोई भी व्यक्ति अपराधी नहीं कहा जा सकता है। इसके बाद अदालत ने आरोपी व्यक्ति, जो महिला का प्रेमी बताया जा रहा था, को मामले से बरी कर दिया और शिकायत खारिज कर दी।

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