क्या कांग्रेस छोड़ेंगे Shashi Tharoor? सोशल मीडिया पोस्ट से मचाई सियासी हलचल
Shashi Tharoor: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद शशि थरूर की एक हालिया सोशल मीडिया पोस्ट ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट साझा की, जिसमें एक तस्वीर पर लिखा था, "उड़ने के लिए अनुमति ना मांगो. पंख तुम्हारे हैं और आसमान किसी का नहीं." यह संदेश कहीं न कहीं आत्म-प्रेरणा और स्वतंत्र सोच की ओर इशारा करता है, लेकिन राजनीतिक एक्स्पर्ट्स का मानना है कि यह कांग्रेस नेतृत्व को एक परोक्ष संदेश भी हो सकता है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, शशि थरूर ने हाल ही में एक समाचार पत्र में प्रकाशित अपने लेख में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कुछ नीतियों की प्रशंसा की थी. यह बात कांग्रेस पार्टी के कुछ सीनियर नेताओं को रास नहीं आई. थरूर के इस लेख को लेकर पार्टी के भीतर हलचल मच गई, क्योंकि यह उनके पहले के रुख से अलग था.
खरगे का तीखा बयान
इस बीच अब कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इस पूरे मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "मुझे अंग्रेजी कम समझ आती है, लेकिन थरूर की भाषा पर अच्छी पकड़ है. इसी वजह से उन्हें कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) का सदस्य बनाया गया है. हमने हमेशा सेना और राष्ट्र का समर्थन किया है, लेकिन कुछ लोग शायद मोदी का समर्थन अधिक करते हैं." खरगे के इस बयान को स्पष्ट रूप से शशि थरूर के लेख और उनके रुख से जोड़कर देखा जा रहा है.
थरूर की सफाई और पार्टी के साथ मतभेद
इससे पहले भी शशि थरूर ने सार्वजनिक रूप से यह स्वीकार किया था कि उनके विचार कुछ मुद्दों पर पार्टी से मेल नहीं खाते. उन्होंने कहा था, "मैं पिछले 16 वर्षों से कांग्रेस में सक्रिय हूं. हां, कुछ मामलों में मेरे मत पार्टी से अलग हो सकते हैं, लेकिन मैं उन पर पार्टी के भीतर ही बात करूंगा. फिलहाल इस विषय पर सार्वजनिक चर्चा करना सही नहीं है." उन्होंने यह भी जोड़ा कि जब देश को उनकी जरूरत होगी, वे सदैव सेवा के लिए तत्पर रहेंगे.
क्या कांग्रेस में आंतरिक मतभेद गहरे हो रहे हैं?
शशि थरूर के हालिया बयानों और सोशल मीडिया गतिविधियों से यह सवाल उठने लगा है कि क्या कांग्रेस के भीतर मतभेद गहराते जा रहे हैं? उनकी स्वतंत्र सोच और खुले विचारों को लेकर पार्टी में असहजता स्पष्ट दिखाई दे रही है. हालांकि, थरूर ने यह साफ किया है कि वे पार्टी छोड़ने के मूड में नहीं हैं, लेकिन असहमति को दबाना भी उचित नहीं मानते.
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