For the best experience, open
https://m.punjabkesari.com
on your mobile browser.
Advertisement

क्या फिलिस्तीन को समाप्त कर ग्रेटर इजराइल बनेगा ?

जहां भारत और पाकिस्तान का युद्ध साढ़े तीन दिन में समाप्त हो गया, वहीं इजराइल…

04:27 AM May 28, 2025 IST | Firoj Bakht Ahmed

जहां भारत और पाकिस्तान का युद्ध साढ़े तीन दिन में समाप्त हो गया, वहीं इजराइल…

क्या फिलिस्तीन को समाप्त कर ग्रेटर इजराइल बनेगा

जहां भारत और पाकिस्तान का युद्ध साढ़े तीन दिन में समाप्त हो गया, वहीं इजराइल और फिलिस्तीन युद्ध को लगभग डेढ़ साल हो गया, जिसमें 60,000 के लगभग फिलिस्तीनी नागरिक मारे जा चुके हैं, जिनमें बच्चे, महिलाएं और अन्य शामिल हैं। इतना नरसंहार विश्व के किसी-किसी युद्ध में ही देखने में आया है। फिलिस्तीनियों ने बिना किसी हथियार के व बलिदान पर बलिदान देकर मोर्चा संभाल रखा है। ग़ाज़ा के सभी अस्पताल ध्वस्त हो चुके हैं और जो इक्का-दुक्का बचे हैं, उनमें बिजली नहीं है और सर्जन मोबाईल की रोशनी में आपरेशन करते हैं।

अरब-इजराइल मामलों पर पैनी नज़र रखने वाल और राजनीतिक विश्लेषक, मुमताज़ आलम रिज़वी के अनुसार, अब यरूशलम दिवस पर दमिश्क गेट पर यहूदियों द्वारा एक बड़े मार्च में नया शोशा यह छोड़ा गया है कि इजराइल के कई नेताओं, और विशेष रूप से, इत्मार बेन गिविर की ओर से कहा गया है कि ग़ाज़ा अब उनका हो गया है। साथ ही साथ यह भी कहा गया कि जब तक ‘नकबा’ को नहीं दोहराया जाएगा, तब तक ग्रेटर इजराइल की कल्पना सार्थक नहीं होगी। वास्तव में ‘नकबा’ वह ज़ुल्म था जब 1940 के दशक में पश्चिमी देशों द्वारा यहूदियों को नाज़ी अत्याचार से बचाने के लिए उस समय फिलिस्तीनियों को निकाल कर उस स्थान पर बसाया गया था, जिस पर अब इजराइल है। यहूदियों पर दया कर उनको शरण दी गई थी, क्योंकि यहूदियों को नाज़ियों द्वारा गैस चैंबरों और दहकती भट्टियों में ठूंस-ठूंस कर निर्ममता से मारा जा रहा था। आज यहूदियों द्वारा उन्हीं फिलिस्तीनियों पर हमले किये जा रहे हैं, जिन्होंने उन पर दया की थी। 23 लाख में से 60 हज़ार फिलिस्तीनी परलोक सिधार चुके हैं और तीन लाख घायल हैं।

इजराइल का कहना है कि वह गाजा पर पूरा नियंत्रण हासिल करने और अपनी 2 मिलियन से अधिक आबादी के स्वैच्छिक प्रवास को सुगम बनाने की योजना बना रहा है, इस योजना को फिलिस्तीनियों और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के अधिकांश लोगों ने अस्वीकार कर दिया है। हमास ने सोमवार को फिलिस्तीनियों को नई सहायता प्रणाली के साथ सहयोग न करने की चेतावनी देते हुए कहा कि इसका उद्देश्य उन उद्देश्यों को आगे बढ़ाना है। आज ही इज़रायल के सैन्य अभियान ने गाजा के विशाल क्षेत्रों को नष्ट कर दिया है और इसकी लगभग 90% आबादी को आंतरिक रूप से विस्थापित कर दिया है। कई लोग कई बार भाग चुके हैं।

इजराइल और फिलिस्तीन विवाद का इतिहास काफी पुराना है। प्रथम विश्व युद्ध में ओटोमन साम्राज्य की हार के बाद, ब्रिटेन ने फिलिस्तीन पर नियंत्रण हासिल कर लिया, जिसमें यहूदी समाज अल्पसंख्यक और अरब बहुमत रहते थे। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने ब्रिटेन को फिलिस्तीन में एक यहूदी मातृभूमि बनाने का काम सौंपा, जिससे दोनों समूहों के बीच तनाव बढ़ गया। 1920 और 1940 के दशक में, फिलिस्तीन में यहूदी अप्रवासियों की संख्या में काफी वृद्धि हुई, क्योंकि कई यहूदी यूरोप में उत्पीड़न से भाग गए। यहूदियों और अरबों के बीच संघर्ष, साथ ही ब्रिटिश शासन का प्रतिरोध तेज हो गया। 1947 में, संयुक्त राष्ट्र ने फिलिस्तीन को अलग-अलग यहूदी और अरब राज्यों में विभाजित करने के लिए मतदान किया, जिसमें यरूशलम को अंतर्राष्ट्रीय प्रशासन के अधीन रखा गया। यहूदी नेतृत्व ने योजना को स्वीकार कर लिया, लेकिन अरब पक्ष ने इसे अस्वीकार कर दिया और इसे कभी लागू नहीं किया गया।

राजनीतिक विश्लेषक मुहम्मद अहमद काजमी का कहना है कि उसके बाद से 1948, 1956, 1967, 1968, 1973, 1982, 2006, 2008 आदि भी में इजराइल ने अरब देशों पर हमला किया था। आजकल ऐसा प्रतीत होता है कि इजराइल और अमेरिका अब गाज़ा ही नहीं, बल्कि ग्रेटर इजराइल के चक्कर में पड़े हैं कि किस प्रकार से गाज़ा निवासियों को वहां से बाहर निकाला जाए और उसका पुनः निर्माण किया जाए, जो कि एक बहुत ही निर्ममता पूर्ण बात है, क्योंकि पहले भी ऐसा कहा गया था कि इन्हें लीबिया, जॉर्डन, सीरिया आदि भेज दिया जाए, जो कि एक असंभव सा कार्य है, क्योंकि इससे पूर्व भी अमेरिका ने वियतनाम, ईराक, अफगानिस्तान आदि पर हमले किए थे कि उन पर कब्ज़ा किया जाए, मगर, इन देशों में अमेरिका की कठपुतली सरकार कुछ समय तक ही काम कर सकी। क्योंकि यह सब अनुचित और अप्राकृतिक था। आज फिलिस्तीन के बेगुनाह लोगों के साथ विश्व के युद्धों का सबसे निर्मम प्रहार और व्यवहार किया जा रहा है। जो बदला हमास से लिया जाना था, वह फिलिस्तीन के लोगों से लिया जा रहा है।

हाल ही में 12000 बच्चे भोजन, पानी और दवाओं के अभाव में मर गए। अब समय आ गया है कि यूनाइटेड नेशंस, अरब देश व अन्य बड़ी ताकतें फिलिस्तीन के निहत्थे निवासियों को बचाने के लिए, मध्य पूर्व एशिया में शांति स्थापित करने के लिए मात्र जबानी जमा खर्च से ऊपर उठ कर अपने सैन्य बल द्वारा पानी, खाद्य सामग्री, दवाएं, कपड़े आदि शुरू कराएं, युद्ध विराम कराएं और यदि इजराइल नहीं मानता तो उस पर बल प्रयोग। इसमें रूस, चीन और दक्षिण कोरिया को भी फिलिस्तीन का साथ देना चाहिए।

Advertisement
Advertisement
Author Image

Firoj Bakht Ahmed

View all posts

Advertisement
×