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भारत 2027 तक हो पाएगा मलेरिया मुक्त ? 2015 के बाद से मामलों में 55 फीसदी कमी

05:24 PM Dec 08, 2023 IST | Rakesh Kumar
भारत 2027 तक हो पाएगा मलेरिया मुक्त   2015 के बाद से मामलों में 55 फीसदी कमी
Malaria

सबसे पुरानी और घातक बीमारियों में से एक, मलेरिया का इतिहास बहुत लंबा और संघर्षपूर्ण रहा है। भारत में, मलेरिया की कहानी ने एक महत्वपूर्ण कदम आगे बढ़ाया जब भारतीय चिकित्सा सेवा से संबंधित एक ब्रिटिश सेना अधिकारी, रोलैंड रॉस ने 27 अगस्त, 1897 को घोषणा की कि उन्होंने यह स्थापित किया है कि मच्छर किसी रोगी को पहली बार अपना भोजन बनाकर मलेरिया फैला सकते हैं। रक्त में मलेरिया परजीवी का होना और फिर किसी असंक्रमित व्यक्ति को काटना। इसने मच्छर को मलेरिया फैलाने में एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में स्थापित किया, और मलेरिया को खत्म करने की संभावना के बारे में सार्वजनिक स्वास्थ्य वैज्ञानिकों को जागृत किया।

    HIGHLIGHTS 

  • भारत में 100 मिलियन मलेरिया के मामले
  • मलेरिया के मामलों में 2015 के बाद 55 फीसदी की कमी दर्ज की गई
  • संक्रमित मच्छरों द्वारा व्यक्ति को होने वाली बीमारी 

भारत में 100 मिलियन मलेरिया के मामले

malaria free india 1935 में, यह अनुमान लगाया गया था कि भारत में 100 मिलियन मलेरिया के मामले थे और 10 लाख मौतें 2 थीं । हालाँकि, 1958 में राष्ट्रीय मलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम की शुरुआत के बाद 1950 और 1960 के दशक की शुरुआत में सफलता की एक अभूतपूर्व डिग्री हासिल की गई थी। स्वतंत्रता से पहले मरने वालों की संख्या एक मिलियन से घटकर शून्य मृत्यु हो गई और 1965 में 0.1 मिलियन मामले सामने आए, जिससे लगभग समाप्त हो गया। देश से रोग 3 , 4 . इससे यह आत्मसंतुष्टि का भाव आया कि मलेरिया के खिलाफ लड़ाई जीत ली गई है। इसके बाद और डाइक्लोरोडिफेनिलट्राइक्लोरोइथेन (डीडीटी) के प्रति प्रतिरोध के विकास के कारण 1970 के दशक की शुरुआत में इसका पुनरुत्थान हुआ। 1975 में, लगभग 6.5 मिलियन मामले सामने आए थे।

मलेरिया के मामलों में 2015 के बाद 55 फीसदी की कमी दर्ज की गई

malaria free india दुनिया भर में कई देश इससे लड़ रहे हैं, हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट की मानें तो मलेरिया के मामलों में 2015 के बाद 55 फीसदी की कमी दर्ज की गई है लेकिन अब भी स्वास्थ्य समस्याओं के लिहाज से भारत के लिए ये एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2023 के अनुसार, साल 2022 में दुनियाभर में मलेरिया के 249 मिलियन यानी 24 करोड़ 90 लाख अधिक मरीज सामने आए हैं। वैश्विक स्तर पर नजर डालें तो 29 देशों में मलेरिया के 95 प्रतिशत मामले हैं। इनमें से नाइजीरिया (27%), कांगो (12%), युगांडा (5%) और मोजाम्बिक (4%) मामलों के साथ मलेरिया के आधे मामलों के लिए जिम्मेदार हैं।

संक्रमित मच्छरों द्वारा व्यक्ति को होने वाली बीमारी

malaria free india दरअसल मलेरिया एक ऐसी बीमारी है जो संक्रमित मच्छरों द्वारा व्यक्ति को होने वाली बीमारी है। इस बीमारी के मच्छर जमे हुए पानी, गंदगी और नमी में पनपते हैं। वहीं इस बीमारी में एक प्रोटोजोआ परजीवी प्लाज्मोडियम विवैक्स शरीर के अंदर जाता है जो इंसान को कोमा में ले जाने से लेकर उसकी मौत तक का कारण बन सकता है। भारत में मलेरिया के 46 प्रतिशत मामलों में यही परजीवी जिम्मेदार है। रिपोर्ट के अनुसार 2015 के बाद से मलेरिया के मामलो में कमी तो दर्ज की गई है लेकिन भारत के लिए अब भी ये चिंता का विषय है, क्योंकि दक्षिण पूर्व एशिया में मलेरिया से होने वाली कुल मौतों में 94 प्रतिशत मौतें भारत और इंडोनेशिया में दर्ज की जाती हैं। हालांकि पिछले दो दशकों पर नजर डालें तो भारत सहित भारत ने कुछ हद तक मलेरिया पर काबू पाया है और साल 2000 के बाद से इससे होने वाली मौतों में कमी दर्ज की गई है।

2004 में ये आंकड़ा लगभग 9,65,000

Malaria Fever: कैसे होता है मलेरिया का बुखार? जानें इसके लक्षण, इलाज और बचाव - malaria fever know symtoms diagnosis treatment and prevention tlif - AajTak

इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ मैट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (आईएचएमई) ने भी साल 1990 के बाद से मलेरिया से होने वाली मौतों की रिपोर्ट पेश की थी. जिसके अनुसार 1990 में इससे मरने वालों की संख्या लगभग 8,50,000 तक बढ़ी थी. वहीं 2004 में ये आंकड़ा लगभग 9,65,000 पर पहुंच गया. जिसके बाद 2019 में मलेरिया के मामलों में लगभग 6,50,000 तक गिरावट दर्ज की गई. ये आंकड़े डब्ल्यूएचओ के मुकाबले काफी अधिक हैं.

मलेरिया से होने वाली मौतों के लिए सबसे कमजोर आयु वर्ग 5 साल से कम उम्र के बच्चे

घाना ऑक्सफोर्ड की मलेरिया वैक्सीन को मंजूरी देने वाला पहला देश | रॉयटर्स

वैश्विक स्तर पर मलेरिया से होने वाली मौतों के लिए सबसे कमजोर आयु वर्ग 5 साल से कम उम्र के बच्चे हैं। 2019 में 5 साल के बच्चों के बीच मलेरिया से होने वाली मौतें 55 प्रतिशत थी. इससे बच्चों के अधिक संक्रमित होने की संभावना होती है। मलेरिया का बुखार पांच प्रकार का होता है. पहला प्लास्मोडियम फैल्सीपैरम, दूसरा सोडियम विवैक्स, तीसरा प्लाज्मोडियम ओवेल मलेरिया, चौथा प्लास्मोजियम मलेरिया तथा पांचवा प्लास्मोडियम नोलेसी प्लास्मोडियम फैल्सीपैरम इससे पीड़ित व्यक्ति बेसुध हो जाता है. इस बुखार में लगातार उल्टियां होने से व्यक्ति की जान भी जा सकती है। वहीं सोडियम विवैक्स इसमें मच्छर बिनाइल टर्शियन मलेरिया पैदा करता है, जो 48 घटों के बाद अपना असर दिखाना शुरू करता है। प्लाज्मोडियम ओवेल मलेरिया ये एक प्रकास का प्रोटोजोआ होता है जो बेनाइन मलेरिया के लिए जिम्मेदार होता है। इस रोग में क्वार्टन मलेरिया पैदा होता है जिससे मरीज को हर चौथे दिन बुखार आता है। इससे पीड़ति के शरीर में प्रोटीन की कमी हो जाती है और सूजन आ जाती है।

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