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अध्यादेशों को राज्यपाल की मंजूरी नहीं मिलने पर टकराव का रुख नहीं अपनाएंगे - LDF

केरल में सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चा ने मंगलवार को कहा कि वह राज्यपाल द्वारा कई अध्यादेशों पर हस्ताक्षर करने से इनकार किए जाने के मामले में टकराव का रुख नहीं अपनाएगा।

10:44 PM Aug 09, 2022 IST | Shera Rajput

केरल में सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चा ने मंगलवार को कहा कि वह राज्यपाल द्वारा कई अध्यादेशों पर हस्ताक्षर करने से इनकार किए जाने के मामले में टकराव का रुख नहीं अपनाएगा।

अध्यादेशों को राज्यपाल की मंजूरी नहीं मिलने पर टकराव का रुख नहीं अपनाएंगे   ldf
केरल में सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) ने मंगलवार को कहा कि वह राज्यपाल द्वारा कई अध्यादेशों पर हस्ताक्षर करने से इनकार किए जाने के मामले में टकराव का रुख नहीं अपनाएगा।
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केरल सरकार द्वारा जारी कई अध्यादेश रद्द हो गए क्योंकि राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने इन पर गौर करने के लिए समय की कमी के कारण हस्ताक्षर नहीं किए थे।
एलडीएफ के संयोजक ई.पी. जयराजन ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘वाम मोर्चा की सरकार टकराव या विरोधात्मक रुख अपनाने नहीं जा रही है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ एलडीएफ सरकार इसी तरह काम करती है। सरकार जनहित को आगे रखकर काम करती है। इसीलिए हम इन मुद्दों को संवाद और विचार-विमर्श से सुलझाने के लिए कदम उठाएंगे।’’
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जयराजन ने कहा कि जो असाधारण स्थिति थी, वह सामान्य स्थिति बन जाएगी।
राज्य के कानून मंत्री पी.राजीव ने सोमवार को उम्मीद जताई थी कि अध्यादेशों को राज्यपाल से मंजूरी मिल सकती है। उन्होंने मंगलवार को संवादाताओं से कहा कि राज्यपाल खान का रुख असमान्य है और इस तरह की चीजें नहीं होनी चाहिए।
राजीव ने कहा, ‘‘राज्यपाल का रुख वास्तव में असमान्य है। ऐसा सामान्य तौर पर नहीं होता। अध्यादेश को फिर से जारी करने में कुछ भी असमान्य नहीं है।’’
उन्होंने आगे कहा कि राज्यपाल ने इससे पहले इन अध्यादेशों को अपने विवेक का इस्तेमाल करते हुए मंजूरी दी थी, सरकार भी इन्हें आवश्यक चर्चा और बहस की प्रक्रिया के बाद कानून में तब्दील करना चाहती थी।
राजीव ने कहा कि कानून बनाने की प्रकिया राज्य में लोकतांत्रिक तरीके से होती है और कई बार आपात स्थिति में अध्यादेश लाने की जरूरत पड़ती है।
इस बीच, केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री वी. मुरलीधरन ने सवाल किया कि इस साल फरवरी में अध्यादेश लाने में जल्दबाजी क्यों की गई , क्यों उसके बाद आहूत विधानसभा के सत्र में पारित या पुष्टि किए बिना राज्य सरकार दोबारा इन्हें लागू करने की कोशिश कर रही है।
केंद्रीय मंत्री ने यहां संवादाताओं से बातचीत करते हुए कहा कि क्या इस जल्दबाजी की वजह लोकायुक्त के समक्ष मुख्यमंत्री पिनरई विजयन के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार का मामला है, क्योंकि ऐसी गतिविधि के लिए कोई अच्छी मंशा नहीं हो सकती है।
मुरलीधरन ने कहा कि राज्यपाल ने जिम्मेदारी से फैसला लिया है जो नरेंद्र मोदी सरकार के भ्रष्टाचार रोधी रुख के भी अनुरूप है। उन्होंने कहा कि लोकायुक्त अध्यादेश का कथित उद्देश्य भ्रष्टाचार के मामले को देखने की लोकायुक्त की शक्ति को वापस लेना है।
इससे पहले सूत्रों ने बताया कि सरकार द्वारा जारी कई अध्यादेश आठ अगस्त को रद्द हो गए।
राज्यपाल सोमवार को दिल्ली में थे और बुधवार को यहां आने वाले हैं। उन्होंने पत्रकारों से कहा था कि वह अध्यादेशों पर गौर किए बिना उनपर हस्ताक्षर नहीं करेंगे और इसके लिए उन्हें समय चाहिए।
खान ने दावा किया था कि अध्यादेशों की फाइलें उन्हें उसी दिन भेजी गई थीं, जिस दिन वह ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ समिति की बैठक के लिए राष्ट्रीय राजधानी जा रहे थे और इसलिए उनके पास इनपर गौर करने का समय नहीं था।
उन्होंने कहा था कि अध्यादेश के जरिये शासन ‘‘लोकतंत्र में वांछनीय नहीं है।’’ राज्यपाल ने कहा कि वह अध्यादेशों पर विचार किए बिना, दोबारा उन्हें लागू करने की मंजूरी नहीं देंगे।
केरल के कानून मंत्री पी. राजीव ने सोमवार दोपहर पत्रकारों के सवाल के जवाब में कहा था कि राज्यपाल ने अध्यादेशों पर हस्ताक्षर करने से इनकार नहीं किया है और अभी दिन खत्म नहीं हुआ है।
उन्होंने कहा था, ”अभी भी वक्त है।”
जो अध्यादेश आठ अगस्त को रद्द हो चुके हैं, उनमें केरल लोकायुक्त (संशोधन) अध्यादेश भी शामिल है, जिसमें यह प्रावधान था कि राज्यपाल, मुख्यमंत्री या राज्य सरकार सक्षम प्राधिकारी होंगे और वे लोकायुक्त की सिफारिश पर सुनवाई का अवसर देने के बाद, उसे स्वीकार या अस्वीकार कर सकते हैं। कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन यूडीएफ ने अध्यादेश का विरोध किया था और फरवरी में उसने राज्यपाल से इस पर हस्ताक्षर नहीं करने का आग्रह किया था।
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