अयोध्या में श्रीराम मन्दिर का काम
अयोध्या में श्रीराम मन्दिर निर्माण के लिए जिस ‘राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास’ के गठन का केन्द्र सरकार ने विगत 6 फरवरी को ऐलान किया था, उसकी पहली बैठक में इसके अध्यक्ष और महासचिव सहित अन्य पदाधिकारियों की घोषणा कर दी गई।
04:43 AM Feb 21, 2020 IST | Aditya Chopra
Advertisement
अयोध्या में श्रीराम मन्दिर निर्माण के लिए जिस ‘राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास’ के गठन का केन्द्र सरकार ने विगत 6 फरवरी को ऐलान किया था, उसकी पहली बैठक में इसके अध्यक्ष और महासचिव सहित अन्य पदाधिकारियों की घोषणा कर दी गई। अध्यक्ष पद उन महन्त नृत्य गोपालदास को दिया गया जो राम मन्दिर निर्माण आन्दोलन में सक्रिय इस तरह रहे थे कि 1992 में ढहाई गई बाबरी मस्जिद के मुकदमे में वह अभी भी सीबीआई द्वारा चार्जशीट के अनुसार अभियुक्त हैं। इसी तरह इस न्यास के द्वारा नियुक्त महासचिव चम्पत राय भी अभियुक्त हैं।
Advertisement
पूर्व गृहमन्त्री व भाजपा नेता श्री लाल कृष्ण अडवानी पर भी मुकदमा विचाराधीन है। वैसे श्री अडवानी सीबीआई द्वारा बाबरी मामले में दायर चार्जशीट में अभियुक्त बनाये जाने के बावजूद वाजपेयी सरकार में गृहमन्त्री भी रहे थे। अतः नृत्य गोपालदास का तीर्थ क्षेत्र न्यास का अध्यक्ष बनने पर किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए। यह भी वास्तविकता है कि महंत नृत्य गोपाल दास और चम्पत राय की राम जन्मभूमि आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
Advertisement
राम मंदिर राष्ट्र की अस्मिता है और भारतीयों के रोम-रोम में राम हैं। राम मंदिर निर्माण का आदेश सर्वोच्च न्यायालय ने विगत वर्ष नवम्बर महीने में दिया जिस पर अमल करना सरकार का कर्त्तव्य बनता था। सरकार का काम केवल इतना ही था कि वह मन्दिर निर्माण के लिए एक गैर सरकारी न्यास का गठन कर देती।
Advertisement
न्यास के गठन के अलावा सरकार की कोई और भूमिका नहीं है, अतः अब जो भी करना है वह इस न्यास को ही करना है और इसने विगत बुधवार से अपना काम करना शुरू कर दिया। नृत्य गोपाल दास और चम्पत राय को इसमें शामिल करने का काम न्यास ने ही किया है। हालांकि प्रधानमन्त्री कार्यालय के पूर्व प्रधान सचिव नृपेन्द्र मिश्रा को मन्दिर निर्माण समिति का अध्यक्ष नियुक्त कर न्यास ने स्पष्ट कर दिया है कि मन्दिर का निर्माण कार्य कुशल निर्देशन में होना चाहिए और इसमें संकीर्ण धार्मिक राजनीति नहीं होनी चाहिए।
जिस 66.7 एकड़ भूमि पर यह मन्दिर निर्माण कार्य होगा उसका प्रबन्धन भी श्री मिश्रा ही देखेंगे। इससे यह तो स्पष्ट होता है कि विगत 6 फरवरी को जब तीर्थ क्षेत्र न्यास के संस्थापक सदस्यों की घोषणा सरकार ने की थी तो यह सोच कर ही की थी कि मन्दिर निर्माण के काम में हिन्दू सम्प्रदाय के विभिन्न साधु-संत संगठन समूहों की राजनीति व्याप्त न होने पाये। अतः प्रख्यात वकील श्री के. पारासरन के नाम की घोषणा से ही यह स्पष्ट हो गया था कि मन्दिर निर्माण में पेशेवर लोगों का वर्चस्व रहेगा।
मन्दिर का निर्माण विश्व हिन्दू परिषद द्वारा तैयार किये गये माडल की तर्ज पर ही होगा और महंत नृत्य गोपाल दास द्वारा इसके लिए हिन्दू नागरिकों से एकत्र किये गये धन की मिल्कियत भी न्यास की होगी, इसकी घोषणा भी स्वयं नृत्य गोपाल दास ने ही कर दी है और अपनी मन्दिर निर्माण समिति का विलय भी न्यास में कर दिया है।
मन्दिर निर्माण का हिसाब-किताब और खर्च पूरी तरह पारदर्शी बना रहे इसके लिए श्री पारासरन ने पुणे के धार्मिक नेता गोविन्द देव गिरी को न्यास का खजांची नियुक्त करके स्टेट बैंक में खाता भी खुलवा दिया है। आर्थिक प्रबन्धन पूरी तरह ठीक-ठाक व पारदर्शी बनाये रखना भी न्यास की प्रमुख जिम्मेदारी होगी मगर देखने वाली बात यह भी होगी कि मन्दिर निर्माण पर कुल कितना खर्च आता है और इसका काम कितने दिनों में पूरा होगा।
हालांकि मन्दिर का ‘माडल’ पहले से ही प्रचारित किया जा चुका है परन्तु वास्तव में इसका स्थापत्य किस रूप में आकार लेता है इसका फैसला अब होगा। श्रीराम मंदिर भारत के लोगों की मिल्कियत होगा, जहां वे अपने अाराध्य देव के दर्शन और पूजन कर सकेंगे। श्रीराम मंदिर देशभर को श्रीराम के आदर्शों और मर्यादाओं के पालन का संदेश देगा। अतः श्रीराम के आदर्शों पर चल कर ही भारत ऊंचाइयां प्राप्त कर सकता है।

Join Channel